Delhi MCD Election 2022: दिल्ली निगम चुनाव का 2024 कनेक्शन, BJP-AAP-कांग्रेस का टिका भविष्य
Delhi MCD Election 2022 (दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022): करीब 15 हजार करोड़ रुपये सालाना बजट वाला दिल्ली नगर निगम (MCD),मुंबई के बाद देश का दूसरा सबसे अमीर नगर निगम है। इसके अलावा देश की राजधानी होने के नाते इसका सीधे केंद्र और राज्य की सत्ता से कनेक्शन है। एमसीडी के पास ऐसे अधिकार है जो न केवल राज्य सरकार के लिए बेहद अहम है। बल्कि केंद्र में बैठी कोई भी सरकार, अपनी सत्ता दिल्ली नगर निगम में चाहती है।
- भाजपा पिछले दो चुनावों में 36 फीसदी वोट लेकर सत्ता पर काबिज है।
- आम आदमी पार्टी 2024 के लोक सभा चुनाव के पहले एमसीडी में जीत हासिल करना चाहती है।
- भाजपा और आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं के प्रचार में उतरने से लड़ाई रोचक हो गई है।
Delhi MCD Election 2022 (दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022): गुजरात, हिमाचल विधानसभा चुनावों के बीच एक ऐसे इलेक्शन की चर्चा है, जो कहने को तो नगर निगम का चुनाव है, लेकिन उसकी अहमियत किसी भी विधान सभा चुनाव से कम नहीं हैं। हालात यह कि पार्षदों के चुनाव के लिए केंद्र में बैठी भाजपा ने जहां केंद्रीय मंत्रियों की टीम उतार दी है। वही पहली बार नगर निगम की सत्ता हासिल करने के लिए आम आदमी पार्टी ने भी दिल्ली-पंजाब के सरकार के मंत्रियों के मैदान में उतार दिया है। एक तरफ जहां भाजपा अपनी 15 साल से चली आ रही सत्ता को बचाना चाहती है, वहीं आम आदमी पार्टी पहली बार MCD Election(दिल्ली नगर निगम चुनाव) में जीत हासिल करने के लिए सारी कवायद कर रही है।
क्यों इतना अहम है MCD Election
करीब 15 हजार करोड़ रुपये सालाना बजट वाला दिल्ली नगर निगम (MCD),मुंबई के बाद देश का दूसरा सबसे अमीर नगर निगम है। इसके अलावा देश की राजधानी होने के नाते इसका सीधे केंद्र और राज्य की सत्ता से कनेक्शन है। यही नहीं एमसीडी के पास ऐसे अधिकार है जो न केवल राज्य सरकार के लिए बेहद अहम है। बल्कि केंद्र में बैठी कोई भी सरकार, अपनी सत्ता दिल्ली नगर निगम में चाहती है।
एमसीडी के पास गलियों से लेकर पॉश इलाके तक में काम करने के अधिकार हैं। साथ ही स्कूल, अस्पताल,पार्किंग, बाजार से संबंधित अधिकार भी उसके पास है। ऐसे में हर राजनीतिक दल वहां अपनी स्थिति मजबूतकर राज्य और केंद्र की सत्ता पर नजर रखता है।
इस बार 2024 का टेस्ट
इस बार का एमसीडी चुनाव इसलिए भी अहम है क्योंकि यह राष्ट्रीय राजनीति पर बहुत ज्यादा असर डालेगा। क्योंकि 2024 के लोक सभा चुनाव से पहले दिल्ली में यह आखिरी चुनाव हैं। ऐसे में जो भी दल जीतेगा, उसे 2024 के लिए दिल्ली की जनता का मूड समझने में मदद मिलेगी। इसलिए भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहद अहम हैं। पिछले 2 बार से भाजपा यहा पर 36 फीसदी वोट जीत कर सरकार बनाती रही है। लेकिन इस बार पहली बार एकीकृत एमसीडी के चुनाव हैं, साथ ही परिसीमन के बाद कई अहम बदलाव हुए हैं। इसे देखते हुए यह चुनाव भाजपा के कामों का भी टेस्ट होगा। इस बार 250 सीटों के लिए चुनाव होगा। वोटिंग 4 दिसंबर को है और परिणाम 7 दिसंबर को आएंगे।
राजनीतिक दल (2017) | सीटें |
भाजपा | 181 |
आम आदमी पार्टी | 48 |
कांग्रेस | 27 |
दिल्ली और एमसीडी अलग-अलग सरकार से हितों का टकराव
अभी दिल्ली विधानसभा में आम आदमी पार्टी की सरकार है। वहीं एमसीडी में भाजपा की सरकार है। ऐसे में कई मुद्दों पर दोनो राजनितिक दलों में टकरार दिखती है। शिक्षा और स्वास्थ्य के मामलों पर दोनों दलों के बीच टकराव नजर आता है। असल में एमसीडी के पास प्राइमरी शिक्षा के संचालन का अधिकार है, वहीं दूसरे ग्रेड के स्कूलों का संचालन का अधिकार दिल्ली सरकार के पास है। इसी तरह दिल्ली सरकार बड़े अस्पतालों का संचालन करती है। टैक्स कलेक्शन में भी एमसीडी और दिल्ली सरकार के अधिकार बंटे हुए हैं।
एमसीडी बॉर्डर एरिया में टोल टैक्स लेती है, वहीं लगान के अधिकार भी एमसीडी के पास हैं। जबकि दिल्ली सरकार एक्साइज ड्यूटी, सेवाएं और दूसरी विभागों के टैक्स लेती है। इसी तरह दिल्ली में सड़क बनाने का अधिकार दोनों के पास है। आम तौर पर कम चौड़ी सड़कों का निर्माण एमसीडी के पास है। ऐसे में अलग-अलग सरकार होने पर टकराव की स्थिति भी बनती है।
भाजपा-आप-कांग्रेस के लिए क्यों अहम
अगर एमसीडी के नतीजे भाजपा की ओर जाते हैं तो उसे 2024 के लोक सभा से लेकर विधानसभा चुनावों के लिए बूस्ट मिल जाएगा। वहीं अगर उसकी हार होती है, तो विपक्षी दलों के लिए बड़ा बूस्ट होगा।
इन चुनावों में अगर आम आदमी पार्टी जीतती है तो न केवल दिल्ली में उसकी पकड़ मजबूत होगी, बल्कि वह राष्ट्रीय स्तर पर यह दावा करेगी कि भाजपा को वह हरा सकती है।
इसी तरह कांग्रेस जीतती है तो उसके लिए एमसीडी चुनाव संजीवनी का काम करेंगे, वहीं अगर वह हारती है तो फिर दिल्ली में उसका भविष्य बेहद कमजोर हो हो जाएगा।
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