Delhi MCD Election Result 2022: MCD में अगर किसी को नहीं मिला बहुमत,जानें फिर कैसे बनेगी सरकार
Delhi MCD Election Result 2022: सूत्रों के अनुसार रूझानों को देखते हुए भाजपा नेतृत्व ने निर्दलीय उम्मीदवारों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है।अभी तक घोषित 34 सीटों के रिजल्ट में भाजपा ने 17, आप ने 15 और कांग्रेस ने 2 सीटें जीत ली है।
MCD में सरकार पर फंसेगा पेंच!
- आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पहले भी मिला चुके हैं हाथ
- अभी तक 52 फीसदी वोटों की गिनती पूरी
- 34 सीटों को नतीजे घोषित हो गए।
Delhi MCD Election Result 2022: दिल्ली एमसीडी चुनाव की मतगणना जैसे-जैसे आगे बढ़ रही हैं, परिणाम और रूझान बड़े रोचक होते जा रहे हैं। कभी भाजपा बहुमत के आंकड़े के करीब पहुंचती दिख रही है तो कभी आम आदमी पार्टी बहुमत का आंकड़ा पार करती दिख रही है। सुबह 10:45 तक के आंकड़ों के अनुसार 52 फीसदी वोटों की गिनती हो चुकी है। ऐसे में 48 फीसदी वोटों की गिनती बाकी है और यह वोट भाजपा और आप का दिल्ली नगर निगम में भविष्य तय करेंगे। अभी तक घोषित 34 सीटों के रिजल्ट में भाजपा ने 17, आप ने 15 और कांग्रेस ने 2 सीटें जीत ली है। सूत्रों के अनुसार रूझानों को देखते हुए भाजपा नेतृत्व ने निर्दलीय उम्मीदवारों से संपर्क भी साधना शुरू कर दिया है।
राजनीतिक दल | कितनी सीटों पर आगे |
आम आदमी पार्टी | 131 |
भाजपा | 105 |
कांग्रेस | 10 |
अन्य | 4 |
एमसीडी में कुल 250 सीटों के लिए वोटिंग हुई थी। और अभी तक के रूझान के अनुसार आम आदमी पार्टी 128 सीटों पर आगे हैं, वहीं भाजपा 109 सीटों, जबकि कांग्रेस 9 सीटों और अन्य 4 सीटों पर आगे हैं। ऐसे में अगर भाजपा और आम आदमी पार्टी में किसी को बहुमत नहीं मिलता है तो एमसीडी में दो समीकरण बन सकते हैं।
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस पहले भी मिला चुके हैं हाथ
साल 2014 में जब विधान सभा चुनाव हुए थे तो उस समय किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। उस वक्त आम आदमी पार्टी ने 28 सीटों के साथ कांग्रेस से हाथ मिलाया था। कांग्रेस को 8 सीटें मिली थीं। दोनों दलों ने मिलकर अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। हालांकि वह सरकार 49 दिनों में ही गिर गई थी। और उसके बाद पूर्ण बहुमत के साथ आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी। पुराने इतिहास को देखते हुए आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक बार फिर हाथ मिला सकते हैं।
भाजपा के पास क्या विकल्प
दूसरी तरफ ऐसे समीकरण भी बन सकते हैं जिसमें कांग्रेस और निर्दलीय पार्षद सरकार भाजपा के साथ जा सकते हैं। क्योंकि इसके पहले भाजपा पूर्वोत्तर राज्यों से लेकर गोवा में कांग्रेस के विद्रोही या सभी विधायकों का विलय भाजपा में कर चुकी है। ऐसी स्थिति में निर्दलीय पार्षदों के साथ मिलकर भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है।
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