सपा-आप से गठबंधन के बावजूद कांग्रेस की मुश्किलों का अंत नहीं, बंगाल-महाराष्ट्र-केरल में बड़ा संकट
सीट शेयरिंग को लेकर अभी कांग्रेस की कई राज्यों में बात अटकी हुई है। मुश्किलों के बीच इंडिया गठबंधन बीजेपी की अजेय चुनाव मशीनरी का मुकाबला करने जा रही है।
सीट शेयरिंग पर कांग्रेस उलझी
Congress Alliance: समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने के बावजूद, कांग्रेस अभी भी चुनौतियों से जूझ रही है। आम चुनाव कुछ ही महीने दूर हैं और पार्टी बंगाल और महाराष्ट्र में सीट-बंटवारे समझौते को अंतिम रूप नहीं दे पाई है। बंगाल में कांग्रेस की टीएमसी से बात नहीं बन पा रही है तो महाराष्ट्र में भी शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और एनसीपी के साथ पेंच फंसा हुआ है। इन्हीं मुश्किलों के बीच इंडिया गठबंधन बीजेपी की अजेय चुनाव मशीनरी का मुकाबला करने जा रही है।
बंगाल में संकट
बंगाल की स्थिति कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती है। सीट-बंटवारे की चर्चा में तृणमूल कांग्रेस को शामिल करने की कोशिशों में रुकावटें आ गई हैं। अनुभवी नेता अधीर रंजन चौधरी के नेतृत्व में बातचीत के बावजूद कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस आम सहमति तलाशने में नाकाम रहे हैं। ममता बनर्जी की टीएमसी कांग्रेस को दो से अधिक सीटें देने को तैयार नहीं है। जबकि कांग्रेस 10 सीटों की मांग कर रही है।
महाराष्ट्र में मुश्किलें
महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी के शरद पवार के नेतृत्व वाले गुट के बीच भी पेंच फंसा हुआ है। इंडिया गठबंधन के भीतर सीट-बंटवारे की योजना अब तक तैयार नहीं हुई है। इन दलों के बीच बातचीत अपने अंतिम चरण में बताई जा रही है। राहुल गांधी मौजूदा गतिरोधों को दूर करने के लिए उद्धव ठाकरे के साथ चर्चा में लगे हुए हैं। कांग्रेस का लक्ष्य मुंबई की छह लोकसभा सीटों में से तीन पर चुनाव लड़ना है, जबकि उद्धव ठाकरे चाहते हैं कि मुंबई की चार सीटों सहित राज्य भर में 18 लोकसभा सीटें शिवसेना को मिले। दोनों नेताओं के बीच लंबी चर्चा हुई है।
कांग्रेस की केरल चुनौती
केरल में 20 लोकसभा सीटें हैं और कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ ने 20 में से 19 सीटें जीती थीं। अब, चूंकि लगातार दूसरे कार्यकाल में वामपंथी सरकार है, वाम नेतृत्व वाले एलडीएफ और यूडीएफ के बीच सीट बंटवारे पर सहमति बनना बाकी है। ऐसी खबरें हैं कि एलडीएफ आगामी लोकसभा चुनाव फिर से अकेले लड़ सकता है।
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