श्रीनगर में इंजीनियर राशिद बोले, हमारी आवाज कोई नहीं दबा सकता, सच हमारे साथ है
Engineer Rashid : बारामूला के सांसद ने कहा कि हम चाहते हैं कि 1947 से लंबित एवं चार पांच लाख लोगों की जान ले चुका जम्मू एवं कश्मीर मुद्दा हल हो जाए ताकि पूरे उपमहाद्वीप में शांति लौट आए। किसी मां को अपने बच्चों को न खोना पड़े और किसी को भी जेल न जाना पड़े।
राशिद ने कहा-हमें अपनी शर्तों पर शांति चाहिए।
Engineer Rashid : तिहाड़ जेल में पांच साल से ज्यादा वक्त बीताने के बाद बारामूला के सांसद शेख अब्दुल राशिद अपने घर आ गए हैं। गुरुवार को श्रीनगर में उन्होंने कहा कि 'कश्मीर के लोगों को जितनी शांति चाहिए उतनी इसकी किसी और को जरूरत नहीं है लेकिन यह शांति जम्मू कश्मीर के लोग अपनी शर्तों पर चाहते हैं न कि केंद्र सरकार द्वारा तय किए गए शर्तों पर। इंजीनियर रशीद के नाम से मशहूर अवामी इत्तेहाद पार्टी (एआईपी) के प्रमुख और बारामूला से लोकसभा सांसद ने सुबह श्रीनगर हवाई अड्डे पहुंचने पर टर्मिनल से बाहर निकलने के बाद सड़क पर सजदा किया।
सम्मानपूर्वक शांति चाहिए-राशिद
उन्होंने कहा, 'हम (प्रधानमंत्री नरेन्द्र) मोदी को बताना चाहते हैं कि हमसे ज्यादा किसी को शांति की जरूरत नहीं है। लेकिन यह शांति हमारी शर्तों पर आएगी, आपकी शर्तों पर नहीं। हमें कब्रिस्तान जैसी शांति नहीं चाहिए, बल्कि सम्मानपूर्वक शांति चाहिए।' हवाई अड्डे के बाहर उनका स्वागत करने के लिए जुटे अपने समर्थकों का आभार व्यक्त करते हुए रशीद ने कहा कि वह कश्मीर के लोगों को यह संदेश देना चाहते हैं कि वे बिल्कुल भी कमजोर नहीं हैं।
'अस्वीकार्य है 5 अगस्त 2019 का फैसला'
उन्होंने केंद्र द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाए जाने का जिक्र करते हुए कहा, 'कश्मीर के लोग जीतेंगे क्योंकि जम्मू-कश्मीर के लोग सच्चाई के रास्ते पर हैं। नरेन्द्र मोदी द्वारा 5 अगस्त, 2019 को लिए गए फैसले हमें पूरी तरह अस्वीकार्य हैं। चाहे आप इंजीनियर रशीद को तिहाड़ भेजें या कहीं और, हम विजयी होंगे।' अपने बेटे और पार्टी नेताओं से घिरे रशीद ने अपने समर्थकों से हिम्मत न हारने को कहा।
सच हमारे साथ-इंजीनियर
उन्होंने कहा, 'सच हमारे साथ है। धरती पर कोई भी, चाहे वह नरेन्द्र मोदी हों, अमित शाह हों, हमारी आवाज को दबा नहीं सकता। हम सच के साथ हैं और सच्चाई की जीत होगी। हम भीख नहीं मांग रहे हैं। हम चाहते हैं कि हमारे साथ इंसानों जैसा व्यवहार किया जाए।' सांसद ने कहा, "हम चाहते हैं कि 1947 से लंबित एवं चार पांच लाख लोगों की जान ले चुका जम्मू एवं कश्मीर मुद्दा हल हो जाए ताकि पूरे उपमहाद्वीप में शांति लौट आए। किसी मां को अपने बच्चों को न खोना पड़े और किसी को भी जेल न जाना पड़े।" एआईपी सुप्रीमो बाद में बारामूला के लिए रवाना हो गए जहां डेलिना में उन्हें एक जनसभा को संबोधित करना था।
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