खट्टे-मीठे अनुभव वाली है 4 दशक की मेरी यात्रा, रोमांचित करता है लोकतंत्र के महापर्व का हिस्सा बनना

EVM History : भारतीय चुनाव प्रक्रिया में मैंने अब तक चार दशक से ज्यादा का सफर तय कर लिया है। मेरी यह यात्रा सपाट नहीं रही। मैंने काफी हिंचकोले खाए। राजनीतिक की रपटीली राहों के इस सफर में मुझे आक्षेप, तंज और आलोचना झेलना पड़ा।

देश में पूर्ण रूप से 2004 के लोकसभा में हुआ EVM का इस्तेमाल।

EVM History : चार दशक पहले भारतीय चुनाव प्रक्रिया का जब मैं हिस्सा बना तो मैं अपनी भूमिका को लेकर रोमांचित हो उठा। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और उसके चुनाव का हिस्सा बनना मेरे लिए खुशकिस्मत की बात थी। मेरे जरिए लोग अपने भाग्यविधाता का चुनाव करेंगे, यह सोचकर मेरी खुशी की कोई सीमा नहीं थी। साथ ही मेरे मन में में कई तरह के सवाल उमड़ते-घुमड़ते थे। मसलन कि मैं चुनाव आयोग, राजनीतिक दल और मतदाताओं की आकांक्षाओं पर खरा उतर पाऊंगा या नहीं? मुझे लेकर कोई सवाल तो नहीं करेगा? लेकिन मैं चुनाव आयोग का शुक्रगुजार हूं कि उसने मेरे अंदर किसी तरह की कमजोरी या खोट नहीं रहने दी। बदलती तकनीक एवं जरूरतों के हिसाब से मुझे अपडेट करता रहा और मैं भी चुनाव के महापर्व यानी मतदान के मोर्चे पर मजबूती से डटा रहा।

मेरी यह यात्रा सपाट नहीं रही

भारतीय चुनाव प्रक्रिया में मैंने अब तक चार दशक से ज्यादा का सफर तय कर लिया है। मेरी यह यात्रा सपाट नहीं रही। मैंने काफी हिंचकोले खाए। राजनीतिक की रपटीली राहों के इस सफर में मुझे आक्षेप, तंज और आलोचना झेलना पड़ा। चुनावों में हार का सामना करने वाले राजनीतिक दलों ने मेरी विश्वनीयता पर प्रश्न चिह्न लगाए। इसे देखकर मुझे काफी पीड़ा और दुख हुआ। मेरी भूमिका पर सवाल उठे और मुझे कसौटियों पर कसा गया। मुझसे सवाल हुए लेकिन मैंने अग्निपरीक्षा दी और खरा उतरा। दलों ने जब-जब मुझ पर कटाक्ष, तंज और आरोप लगाए तब-तब चुनाव आयोग ने मेरा पूरा साथ दिया। ईसी को मुझ पर इतना भरोसा है कि वह किसी भी चुनौती को सहर्ष स्वीकर करता है और मुझमें किसी तरह की खोट को साबित करने के लिए उनसे कहता है। यह अलग बात है कि मेरी निष्पक्षता पर आरोप लगाने वाले दल मेरा सामना नहीं करते, भाग खड़े होते हैं।

लंबी सोच एवं तार्किक नजरिए का नतीजा हूं

चुनाव प्रक्रिया में मेरा आना अचानक से हुई कोई घटना नहीं है। बल्कि मैं चुनाव अधिकारियों की लंबी सोच एवं तार्किक नजरिए का नतीजा हूं। बात निकली है तो उस बारे में भी एक नजर डालना मुनासिब होगा। साल 1977 में निर्वाचन आयोग ने मतदान ईवीएम प्रणाली से कराने की दिशा में आगे बढ़ा। ईवीएम डिजाइन और इसे बनाने की जिम्मेदारी इलेक्ट्रानिक्स कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) हैदराबाद को सौंपी गई। ईसीआईएल आगे ईवीएम निर्माण के दिशा में काम करता रहा और दो साल बाद उसे इसका एक पोटो-टाइप विकसित करने में सफलता मिली। यह एक बड़ी कामयाबी थी।
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