गुजरातः तब मुद्दा और था, पर अब पाटीदार एक, PM के साथ खड़े हैं- बोले हार्दिक पटेल; बताई सपोर्ट की वजह

Gujarat Assembly Elections 2022: भाजपाई बनने के लिए कांग्रेस छोड़ने के मुद्दे पर जब पूछा गया तो 29 बरस के हार्दिक पटेल बोले- उनके मुद्दों का समाधान हो गया है और वह हमेशा “भाजपा-की सोच वाले और वैचारिक रूप से हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के करीब” थे।

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भारतीय जनता पार्टी के नेता हार्दिक पटेल। (फाइल)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

Gujarat Assembly Elections 2022: गुजरात में विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता हार्दिक पटेल ने कहा है कि साल 2017 के विस चुनाव में स्थितियां कुछ और थीं...मुद्दे कुछ और थे। पर पाटीदार अब एक हैं। वह पीएम नरेंद्र मोदी के साथ खड़े हैं।

हार्दिक ने पाटीदार समुदाय की ओर भाजपा के समर्थन की वजह बताते हुए कहा कि केंद्र सरकार की ओर से मौजूदा कोटे में छेड़छाड़ किए बिना आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण के फैसले से गुजरात में पटेल समुदाय के कई मुद्दे हल हो चुके हैं। यही वजह है कि यह समुदाय इन चुनावों में पार्टी की भारी जीत सुनिश्चित करेगा।

दरअसल, पटेल गुजरात में साल 2015 के पाटीदार आरक्षण आंदोलन के अगुआ रहे हैं। उन्होंने कहा कि आंदोलन ने वर्ष 2017 के गुजरात चुनाव में लगभग 20 विधानसभा क्षेत्रों को सीधे प्रभावित किया था। उन्होंने 2017 के चुनावों के दौरान कांग्रेस का समर्थन किया था।

समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा को दिए इंटरव्यू के दौरान पटेल बोले- पाटीदार एकजुट हैं। उन्होंने पीएम मोदी का समर्थन करने का फैसला किया है। 2017 के चुनावों में मुद्दा अलग था। 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस कोटे ने गुजरात के पटेलों सहित अन्य वर्गों से गरीबों और वंचितों के लिए आरक्षण का लाभ बढ़ाया है। इस बार पटेल यह सुनिश्चित करेंगे कि भाजपा को प्रचंड बहुमत मिले।

पटेल मानते हैं, “इससे (ईडब्ल्यूएस आरक्षण से) भाजपा को काफी फायदा होगा। पिछली बार, पाटीदार आंदोलन ने लगभग 20 सीटों पर प्रत्यक्ष रूप से प्रभाव डाला था और कई अन्य सीटों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा था। लेकिन अब न केवल पटेल बल्कि कई समुदायों को आरक्षण का लाभ मिलेगा।”

आप को लेकर सवाल पूछे जाने पर पटेल ने बताया कि वह अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली पार्टी को भाजपा के लिए किसी खास चुनौती के रूप में नहीं देखते। कांग्रेस ही नजदीकी प्रतिद्वंद्वी है, हालांकि चुनावों में वह काफी अंतर से दूसरे नंबर पर रहेगी। उन्होंने बताया, “आप चुनाव लड़ने के लिए आजाद है। पर भगवान विष्णु और महेश के खिलाफ उसके नेताओं की टिप्पणियों ने गुजरात के लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है।”

इसी महीने की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने 3:2 के बहुमत के फैसले में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण को बरकरार रखा, जिसमें एससी, एसटी और ओबीसी गरीबों को शामिल नहीं किया गया था।

केंद्र ने इससे पहले जनवरी 2019 में संविधान में संशोधन कर सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू किया था। उसने अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणियों की आनुपातिक सीटों पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्रदान करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों में सीटों की कुल संख्या बढ़ाने के निर्देश भी जारी किए।

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अभिषेक गुप्ता author

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