गुजरात:पहले चरण की 89 सीटें पर आज मतदान, जानें बागी-आदिवासी और परंपरा में कौन भारी

Gujarat Assembly Election 2022:पहले चरण में बीजेपी और कांग्रेस के 89-89 और आप के 88 उम्मीदवार मैदान में हैं।इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पहले चरण में 57, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने 14 सीटों पर उम्मीदवारों उतारे हैं। समाजवादी पार्टी, माकपा के भी उम्मीदवार मैदान में हैं।

मुख्य बातें
  • 2017 के चुनाव में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 27 सीटों में से भाजपा केवल 9 सीटों पर जीत हासिल कर पाई थी।
  • 300 से ज्यादा निर्दलीय भी मैदान में हैं। जिसमें भाजपा के बागी भी चुनौती के रूप में हैं।
  • 2017 के चुनाव में भाजपा को 89 सीटों में से 48 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस को 39 सीटों पर जीत मिली थी।

Gujarat Assembly Election 2022: गुजरात विधान सभा चुनाव के पहले चरण की 89 सीटों पर बृहस्पतिवार (1 दिसंबर) को वोटिंग होगी। इस चरण में कुल 788 उम्मीदवार मैदान में हैं। 19 जिलों में होने वाली वोटिंग में भाजपा के लिए सौराष्ट्र और कच्छ के क्षेत्र सबसे बड़े चुनौती हैं। क्योंकि पिछली बार 2017 में भी भाजपा के इन इलाकों में कांग्रेस से कांटे की टक्कर मिली थी। और आप की एंट्री से लड़ाई ज्यादा दिलचस्प हो गई है। इसके अलावा बागी भी भाजपा के लिए सिरदर्द है। पहले चरण में पूर्व मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी,आप के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार इसुदान गढ़वी, क्रिकेटर रवींद्र जडेजा की पत्नी रीवाबा, मोरबी हादसे में नायक बन उभरे कांतिलाल अमृतिया प्रमुख उम्मीदवार हैं। जिन पर सबकी नजरें रहेंगी।

2017 में ऐसा था हाल

पहले चरण में बीजेपी और कांग्रेस के 89-89 और आप के 88 उम्मीदवार मैदान में हैं। सूरत (पूर्वी) सीट से आप प्रत्याशी ने नामांकन वापस ले लिया था। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने पहले चरण में 57, भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने 14 सीटों पर उम्मीदवारों उतारे हैं। समाजवादी पार्टी, माकपा के भी उम्मीदवार मैदान में हैं। पहले चरण में 300 से ज्यादा निर्दलीय भी मैदान में हैं। जिसमें भाजपा के बागी भी चुनौती के रूप में हैं।

साल 2017 में पार्टियों का हाल देखा जाय तो यहां 68 फीसदी वोटिंग हुई थी। और भाजपा को 89 सीटों में से 48 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस को 39 सीटों पर जीत मिली थी। पिछली बार सौराष्ट्र-कच्छ में कांग्रेस भाजपा पर भारी पड़ गई थी। इस दौरान 65 में से 28 को जीत मिली थी, जबकि बीजेपी को 20 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का इस बार इस इलाके में सबसे ज्यादा जोर है। साथ ही भारतीय ट्राइबल पार्टी भी आदिवासी वोट बैंक में सेंध लगा सकती है।

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