हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश...Gujarat के सियासी संग्राम के 3 युवा नाम, जहां से लड़ रहे वहां 'नाक का सवाल'

Gujarat Assembly Elections 2022: हालांकि, इस चुनाव से कुछ महीनों पहले हार्दिक ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया, जबकि अल्पेश यह काम साल 2019 में कर गए और मेवाणी आधिकारिक तौर पर कांग्रेस का हिस्सा बन गए।

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हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी की गिनती गुजरात के युवा नेताओं में की जाती है। (फाइल)

तस्वीर साभार : टाइम्स नाउ ब्यूरो

Gujarat Assembly Elections 2022: हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और जिग्नेश मेवाणी इस बार के गुजरात विधानसभा चुनाव में स्टार कैंडिडेट्स सरीखे हैं। जिन सीटों से ये चुनावी मैदान में हैं, वहां पर प्रतिष्ठा की लड़ाई मानी जा रही है। पाटीदार कोटा आंदोलन के चेहरा रहे हार्दिक अहमदाबाद जिले की Viramgam सीट से चुनावी ताल ठोंक रहे हैं।

वैसे, बताया गया कि उन्हें अपने निर्वाचन क्षेत्र में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा, क्योंकि कई स्थानीय पार्टी नेता और कार्यकर्ता पार्टी की ओर से किसी ऐसे व्यक्ति की उपेक्षा किए जाने से असंतुष्ट हैं, जिसने पार्टी पर कभी हमला बोला था। पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) में हार्दिक के कई पूर्व सहयोगी भी अब उनका विरोध कर रहे हैं। हार्दिक को मौजूदा कांग्रेस विधायक लाखा भारवाड़ के खिलाफ खड़ा किया गया है, जिन्हें "मूक शक्ति" (साइलेंट फोर्स) माना जाता है। आम आदमी पार्टी (आप) ने ठाकोर समुदाय के प्रभुत्व वाली सीट से अमर सिंह ठाकोर को उतारा है।

अल्पेश की बात करें तो यह उनका तीसरा चुनाव होगा। सूत्रों की मानें तो इस चुनाव में वह फिर से राधनपुर से भाजपा का टिकट मांग रहे थे। पर स्थानीय पार्टी नेताओं के कड़े विरोध के बाद उन्हें गांधीनगर दक्षिण से मैदान में उतारा गया, जहां उनका सामना एक हाई-प्रोफाइल कांग्रेस उम्मीदवार हिमांशु पटेल से है। कांग्रेस प्रवक्ता और मजबूत स्थानीय जनाधार वाले पाटीदार नेता हिमांशु अल्पेश को कड़ी चुनौती दे रहे हैं।

कांग्रेस के प्रमुख दलित चेहरा जिग्नेश को भी वडगाम से फिर से चुनाव लड़ने के लिए कड़ी टक्कर का सामना करना पड़ रहा है। 2017 में जिग्नेश ने बीजेपी के विजय चक्रवर्ती को 19,000 वोटों से हराकर यह सीट जीती थी। मुस्लिम समुदाय के वर्चस्व वाली सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, मगर जिग्नेश इस बार तीन प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों का सामना कर रहे हैं, जिनमें AIMIM के उम्मीदवार कल्पेश सुंधिया के अलावा भाजपा के मणिलाल वाघेला और आप के दलपत भाटिया हैं।

तीनों युवा नेताओं ने साल 2017 के विस चुनाव में नैरेटिव सेट करने में अहम भूमिका निभाई थी। दरअसल, तीनों ने तब अपनी-अपनी जाति के नेता के नाते सत्तारूढ़ बीजेपी को चुनौती दी थी। इन्हें तब प्रमुख विपक्षी कांग्रेस के "HAJ" (हार्दिक-अल्पेश और जिग्नेश) के रूप में करार दिया गया था, जबकि ये बीजेपी के 'RAM' (रूपाणी-अमित-मोदी) के खिलाफ थे। हालांकि, इस चुनाव से कुछ महीनों पहले हार्दिक ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया, जबकि अल्पेश यह काम साल 2019 में कर गए और मेवाणी आधिकारिक तौर पर कांग्रेस का हिस्सा बन गए।

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अभिषेक गुप्ता author

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