Gujarat: सूरत से कांग्रेस उम्मीदवार का क्यों खारिज हुआ नामांकन पत्र? जानें इस सीट का समीकरण और इतिहास
Gujarat LokSabha Election 2024: सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुम्भणी का नामांकन पत्र खारिज हो गया है। इस सीट का बड़ा ही रोचक इतिहास है, यहां से देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई एक दो बार नहीं, 5 बार सांसद चुने गए थे। आपको इस सीट का सियासी समीकरण समझना चाहिए।
कैसा है सूरत लोकसभा सीट का समीकरण।
Surat Lok Sabha Seat: गुजरात की सूरत लोकसभा सीट पर इस बार का समीकरण अब पूरी तरह बदल चुका है। कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुम्भणी का नामांकन खारिज कर दिया गया है। इस सीट का चुनावी इतिहास बड़ा रोचक है, ये वही सीट है जहां से देश के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई सांसद चुने जाते रहे हैं। 1989 के बाद से अब तक इस सीट पर भाजपा का कब्जा है, यानी कांग्रेस को एक भी बार जीत नसीब नहीं हुई है।
क्या कहता है सूरत लोकसभा सीट का इतिहास?
साल 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का राज रहा, जब मोरारजी देसाई ने इंदिरा गांधी से अदावत मोल ली तो कांग्रेस (ओ) को यहां से जीत हासिल हुई। 1977 के चुनाव में मोरारजी देसाई ने जनता पार्टी में रहते हुए जीत हासिल की। हालांकि इंदिरा खेमे में 1980 में यहां वापसी की और 1989 तक यहां कांग्रेस का कब्ज रहा। हालांकि जब इस सीट पर पहली बार कांग्रेस को हार मिली तो उसके बाद आज तक दोबारा ये सीट कांग्रेस के खाते में नहीं गई। कांग्रेस की ओर से इस सीट पर आखिरी सांसद सीडी पटेल थे। उसके बाद 2009 तक भाजपा काशीराम राणा ने चुनाव जीता और पिछले 15 सालों से दर्शना जरदोश यहां से सांसद चुनी जा रही हैं।
कब-कब कौन बना सूरत लोकसभा सीट से सांसद?
वर्ष | नाम | पार्टी |
1952 | कनयालाल देसाई | कांग्रेस |
1957 | मोरारजी देसाई | कांग्रेस |
1962 | मोरारजी देसाई | कांग्रेस |
1967 | मोरारजी देसाई | कांग्रेस |
1971 | मोरारजी देसाई | कांग्रेस (ओ) |
1977 | मोरारजी देसाई | जनता पार्टी |
1980 | सीडी पटेल | कांग्रेस |
1984 | सीडी पटेल | कांग्रेस |
1989 | काशीराम राणा | भाजपा |
1991 | काशीराम राणा | भाजपा |
1996 | काशीराम राणा | भाजपा |
1998 | काशीराम राणा | भाजपा |
1999 | काशीराम राणा | भाजपा |
2004 | काशीराम राणा | भाजपा |
2009 | दर्शना जरदोश | भाजपा |
2014 | दर्शना जरदोश | भाजपा |
2019 | दर्शना जरदोश | भाजपा |
सूरत लोकसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नीलेश कुम्भणी का नामांकन पत्र रविवार को खारिज कर दिया गया। उनके तीन प्रस्तावकों ने जिला निर्वाचन अधिकारी को हलफनामा सौंपते हुए कहा था कि नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। सूरत से कांग्रेस के वैकल्पिक उम्मीदवार सुरेश पडसाला का नामांकन पत्र भी अवैध करार दिया गया है जिससे गुजरात का मुख्य विपक्षी दल शहर में चुनावी मुकाबले से बाहर हो गया है।
किस कारण से खारिज हुआ नीलेश का नामांकन?
निर्वाचन अधिकारी सौरभ पारधी ने अपने आदेश में कहा कि कुम्भणी और पडसाला द्वारा सौंपे गए तीन नामांकन पत्रों को प्रस्तावकों के हस्ताक्षरों में प्रथम दृष्टया विसंगतियां पाए जाने के बाद खारिज कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि ये हस्ताक्षर असली नहीं दिखते। पारधी ने आदेश में कहा कि अत: कुम्भणी के नामांकन पत्र को खारिज किया जाता है।
आदेश में कहा गया कि प्रस्तावकों ने अपने हलफनामों में कहा है कि उन्होंने फॉर्म पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। इस घटनाक्रम की पुष्टि करते हुए कांग्रेस के वकील बाबू मंगुकिया ने कहा, ‘नीलेश कुम्भणी और सुरेश पडसाला के नामांकन पत्र खारिज कर दिए गए हैं। चार प्रस्तावकों ने कहा है कि फॉर्म पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं।’ उन्होंने कहा कि अब उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय का रुख किया जाएगा।
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