Guna Lok Sabha Seat: क्यों खास है मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट, सिंधिया राजघराने का रहा है राज

Guna Lok Sabha Seat: मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार का गढ़ है। गुना लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ था। पहले चुनाव में विजयाराजे सिंधिया ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए उन्होंने हिंदू महासभा के वीजी देशपांडे को हराया था।

Jyotiraditya Scindia

गुना लोकसभा सीट पर रहा है सिंधिया परिवार का दबदबा

Guna Lok Sabha Seat: मध्य प्रदेश की गुना लोकसभा सीट सिंधिया परिवार का गढ़ है। इस सीट पर सिंधिया राजघराने का ही राज रहा है। ग्वालियर के बाद गुना ही वो लोकसभा सीट है जहां से सिंधिया परिवार चुनाव लड़ना पसंद करता है। ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया, माधवराव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ही इस सीट पर ज्यादातर जीतते आए हैं। फिलहाल पिछले 4 चुनावों से इस सीट पर कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया को ही जीत मिली है। 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी के जयभान सिंह को इस सीट से हराया था।

गुना लोकसभा सीट की राजनीतिक पृष्ठभूमि

गुना लोकसभा सीट पर पहला चुनाव 1957 में हुआ था। पहले चुनाव में विजयाराजे सिंधिया ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए उन्होंने हिंदू महासभा के वीजी देशपांडे को हराया था। इसके अगले चुनाव में यहां से कांग्रेस के रामसहाय पांडे मैदान में उतरे। उन्होंने हिंदू महासभा के वीजी देशपांडे को मात दी थी।
1967 के उपचुनाव में गुना में कांग्रेस को हार मिली और स्वतंत्रता पार्टी के जे बी कृपलानी को जीत मिली थी। इसी साल हुए लोकसभा चुनाव में स्वतंत्रता पार्टी की ओर कांग्रेस की पूर्व नेता विजयाराजे सिंधिया लड़ीं थी। उन्होंने कांग्रेस के डीके जाधव को यहां पर शिकस्त दी थी। शुरुआती दो चुनाव में जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस को लगातार 3 चुनावों में हार मिली। अब साल 1971 में विजयाराजे के बेटे माधवराव सिंधिया मैदान में उतरे वह यहां से जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े थे। यहां पर लड़े पहले ही चुनाव में उन्होंने जीत हासिल की थी।
1984 के चुनाव में माधवराव ग्वालियर से लड़े और वहां पर भी उन्होंने जीत हासिल की थी। तब कांग्रेस ने यहां से महेंद्र सिंह को टिकट दिया था और उन्होंने बीजेपी के उद्धव सिंह को हराया था। 1989 के चुनाव में यहां से विजयाराजे सिंधिया एक बार फिर यहां से लड़ीं और तब के कांग्रेस के सांसद महेंद्र सिंह को शिकस्त दी। इसके बाद से विजयाराजे सिंधिया ने यहां पर हुए लगातार 4 चुनावों में जीत का परचम फहराया। अब जब माधवराव ग्वालियर से चुनाव लड़ रहे थे और उनके जाने के बाद कांग्रेस यहां पर कमजोर होते गई। ऐसे में 1999 में माधवराव एक बार फिर इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला लिए, उन्होंने इस सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई।
1999 के चुनाव में माधवराव ने यहां से जीत हासिल की। 2001 में उनके निधन के बाद 2002 में हुए उपचुनाव में उनके बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना से लड़े और गुना की जनता ने उन्हें भारी बहुमत दिया। अपने पहले ही चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जीत दर्ज की। इसके बाद गुना की जनता ज्योतिरादित्य सिंधिया जीताते ही आ रही है। यहां तक कि 2014 में मोदी लहर में जब कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा था तब भी सिंधिया गुना में जीत हासिल करने में कामयाब हुए थे। कांग्रेस को यहां पर 9 बार जीत मिली है। वहीं बीजेपी को 4 बार और 1 बार जनसंघ को जीत मिली है। ऐसे में देखा जाए को इस सीट पर एक ही परिवार के तीन पीढ़ियों का राज रहा है। बीजेपी इस सीट पर तब ही जीत हासिल की है जब विजयाराजे सिंधिया उसके टिकट पर चुनाव लड़ीं।

जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी के जयभान सिंह पवैया को हराया था। दोनों के बीच हार जीत का अंतर 120792 वोटों का था। वहीं बसपा के लखन सिंह 2.81 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे। इससे पहले 2009 के चुनाव में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को जीत मिली थी। उन्होंने इस बार बीजेपी के दिग्गज नेता नरोत्तम मिश्रा को हराया था। सिंधिया ने 249737 वोटों से जीत हासिल की थी। वहीं बसपा 4.49 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। लोकसभा चुनाव-2024 में ज्योतिरादित्य सिंधिया का मुकाबला कांग्रेस के यादवेंद्र सिंह से है। तीसरे चरण में सात मई को यहां वोटिंग हुई थी। इस बार यहां 72.43 प्रतिशत वोटिंग हुई है। 2019 की बात करें तो इस सीट पर 70.32 प्रतिशत और 2014 में 60.77 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। पिछले चुनावों के मुकाबले बम्पर वोटिंग को सिंधिया के पक्ष में माना जा रहा है लेकिन नतीजा तो चार जून को ही सामने आएगा।
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Shashank Shekhar Mishra author

शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें

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