चौधरी देवी लाल ने जब जीती हुई ये लोकसभा सीट छोड़ दी थी, पर ये गलती पड़ी थी बहुत भारी
Chaudhary Devi Lal on Rohtak Lok Sabha Seat in 1989: चौधरी देवीलाल ( Chaudhary Devi Lal) जिन्हें 'ताऊ' के नाम से भी जाना जाता है उन्होंने साल 1989 में रोहतक सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर फिर इस्तीफा दे दिया था फिर वहां की जनता ऐसी नाराज हुई कि उन्हें 1991, 1996, 1998 लोकसभा चुनाव में लगातार हार का सामना करना पड़ा।
'ताऊ' देवीलाल के राजनीतिक करियर में की एक भारी भूल
- चौधरी देवीलाल उर्फ 'ताऊ' ने 1989 में रोहतक सीट से लोकसभा चुनाव जीता
- देवीलाल ने तब राजस्थान के सीकर से भी चुनाव जीता था तो रोहतक सीट को छोड़ दिया
- रोहतक की जनता इससे इतनी खफा हुई कि 'ताऊ' को अगले 3 लोकसभा चुनाव में हराया
Chaudhary Devi Lal on Rohtak Lok Sabha Seat in 1989: हरियाणा के चौधरी देवीलाल 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में राजस्थान के सीकर और हरियाणा के रोहतक (Rohtak Lok Sabha Election 1989) दोनों से लड़े थे और दोनों सीटें जीतकर लोकसभा पहुंचे थे, उस वक्त उन्हें जनता दल की सरकार में उप प्रधानमंत्री बनाया गया, देवीलाल उर्फ 'ताऊ' को सीकर और हरियाणा की रोहतक में से किसी एक सीट को छोड़ना था तो उन्होंने रोहतक लोकसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।
देवीलाल को उस वक्त लगा था कि रोहतक तो अपनी ही सीट है वहां की जनता उन्हें फिर से चुन लेगी पर ये उनकी राजनीतिक भूल साबित हुई रोहतक की जनता बेहद गुस्से में थी शायद यही वजह रही कि उन्हें अगले तीन लोकसभा चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा।
'ताऊ' के राजनीतिक करियर की भारी भूल
चौधरी देवीलाल ने रोहतक सीट को जीतकर छोड़ दिया था फिर उसके बाद हुए तीन लोकसभा चुनावों सन 1991, 1996, तथा 1998 में देवीलाल को वहां की जनता ने जीत का स्वाद चखने से रोक दिया और उन्हें लगातार तीन लोकसभा चुनाव में हार मिली यानी रोहतक सीट छोड़ना 'ताऊ' के राजनीतिक करियर में भारी भूल कही जाती है।
Chaudhary Devi Lal on Rohtak Lok Sabha Seat
'ताऊ' को 1991, 1996, 1998 लोकसभा में लगातार मिली हार
तीन लोकसभा चुनावों सन 1991, 1996, तथा 1998 में चौधरी देवी लाल हरियाणा रोहतक सीट से अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदी भूपेंद्र सिंह हुड्डा से ही परास्त हुए। 1991 में आम चुनाव हुए तो देवीलाल रोहतक सीट से खड़े हुए पर चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा उन्हें हराकर संसद में पहुंचे थे, देवीलाल को उस चुनाव में कुल 38.43 फीसदी वोट मिले थे वहीं हुड्डा को 44 फीसदी वोट मिले थे वहीं 1998 लोकसभा चुनाव में तो हार-जीत का अंतर केवल 380 वोटों ही रहा था।
दायरा तीन जिलों रोहतक, झज्जर और रेवाड़ी तक
रोहतक संसदीय क्षेत्र का दायरा तीन जिलों रोहतक, झज्जर और रेवाड़ी तक है, रोहतक जिले में रोहतक शहर, कलानौर, महम और गढ़ी सांपला-किलोई आते हैं, रोहतक लोकसभा सीट हुड्डा परिवार का गढ़ मानी जाती है।
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