शकूरबस्ती सीट: क्या चौथी बार बाजी मारेंगे सत्येंद्र जैन? इस बार कांग्रेस ने भी लगाया एड़ी-चोटी का जोर

Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025 : शकूरबस्ती सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 156,632 है। इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 79,753 और महिला वोटरों की संख्या 76,594 है। जबकि थर्ड जेंडर वाले 5 मतदाता हैं। पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2020 में इस सीट पर आम आदमी पार्टी से सत्येंद्र जैन विजयी हुए। जैन को इस सीट पर 51.60% यानी 51,165 वोट मिले।

शकूरबस्ती सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला।

Delhi Chunav 2025 : दिल्ली की हाई प्रोफाइल सीटों में शकूरबस्ती भी शामिल है। इस सीट से तीन बार बार विधायक रह चुके दिल्ली के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन उम्मीदवार हैं। जैन चौथी बार मैदान में हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी (BJP) के उम्मीदवार करनैल सिंह और कांग्रेस के प्रत्याशी सतीश लथूरा से है। बीते चुनावों में शकूरबस्ती सीट से भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवार जीत चुके हैं। यहां तीनों पार्टियों की राजनीतिक जमीन पहले से है लेकिन इस बार इस सीट पर मुकाबला टक्कर का माना जा रहा है। खास तौर पर कांग्रेस ने इस सीट पर अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया है।

सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 156,632

शकूरबस्ती सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 156,632 है। इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 79,753 और महिला वोटरों की संख्या 76,594 है। जबकि थर्ड जेंडर वाले 5 मतदाता हैं। पिछले विधानसभा चुनाव यानी 2020 में इस सीट पर आम आदमी पार्टी से सत्येंद्र जैन विजयी हुए। जैन को इस सीट पर 51.60% यानी 51,165 वोट मिले। दूसरे स्थान पर भाजपा रही। भाजपा उम्मीदवार को 43.94 प्रतिशत यानी 43,573 वोट और कांग्रेस प्रत्याशी को 3.41 यानी 3,382 वोट मिले।

शकूरबस्ती सीट का इतिहास

यह सीट भाजपा, कांग्रेस और AAP तीनों के पास रही है। साल 1993 में यहां से भाजपा के गौरी शंकर भारद्वाज ने जीत दर्ज की। इसके बाद 1998 और 2003 में इस सीट से कांग्रेस विजयी हुई। 2008 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से भाजपा के श्याम लाल गर्ग चुनाव जीते। इसके बाद यहां से AAP के सत्येंद्र जैन लगातार चुनाव जीतते आए हैं। वह तीन बार इस सीट से विधायक चुने जाते रहे हैं लेकिन चौथी बार उनकी राह आसान नहीं मानी जा रही है। राजनीति के जानकार मान रहे हैं कि भ्रष्टाचार का आरोप लगने और जेल जाने से जैन की छवि कमजोर हुई है। पिछली बार भाजपा उम्मीदवार के मुकाबले उन्हें करीब आठ फीसद ज्यादा वोट मिले लेकिन इस बार कांग्रेस इस सीट पर काफी मेहनत कर रही है। AAP के वोट बैंक में कांग्रेस यदि सेंध लगा देती है तो जैन की चुनावी राह मुश्किल हो जाएगी।

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