कितना रोचक है चंडीगढ़ का रण? संजय टंडन vs मनीष तिवारी की जंग में उठा बाहरी का मुद्दा; जानें इस सीट का इतिहास
Chandigarh Election: चंडीगढ़ लोकसभा सीट पर इस बार की चुनावी लड़ाई बेहद दिलचस्प होने वाली है। यहां से दो बार की सांसद किरण खेर का टिकट कट चुका है, इस बार भाजपा ने संजय टंडन को मैदान में उतारा है। उनका मुकाबला कांग्रेस के मनीष तिवारी से है। आपको इस सीट के समीकरण और इतिहास से रूबरू कराते हैं।
मनीष तिवारी vs संजय टंडन।
Lok Sabha Election 2024: भाजपा से दो-दो बार सांसद रह चुकी अभिनेत्री किरण खेर एक बार फिर चंडीगढ़ सीट से मैदान में हैं। 2014 में उन्होंने पहली बार यहां से चुनाव जीता था। पिछले दोनों चुनाव में भाजपा ने इस सीट पर कब्जा जमाए रखा है। इस बार चंडीगढ़ से कुल 19 उम्मीदवार मैदान में हैं। हालांकि भाजपा ने उम्मीदवार बदलकर संजय टंडन को मैदान में उतारा, जिनकी राह आसान नजर नहीं आ रही है। ऐसा हम क्यों कह रहे हैं आपको इस रिपोर्ट में समझाते हैं।
क्या कहता है इस बार का समीकरण?
आपको चंडीगढ़ लोकसभा सीट के इतिहास के साथ-साथ इस बार यहां के सियासी समीकरण को समझना भी जरूरी है। पिछले दो बार के चुनाव में इस सीट पर भाजपा की किरण खेर का कब्जा है। कयास लगाए जा रहे थे कि यहां की जनता उनसे काफी नाराज है, जिसके चलते भाजपा ने इस सीट पर अपना उम्मीदवार बदल दिया और संजय टंडन को मैदान में उतारा। उनका मुकाबला मनीष तिवारी से हो रहा है, आम आदमी पार्टी ने इस सीट पर भी कांग्रेस को समर्थन किया है। यहां से बहुजन समाज पार्टी ने रितु सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है।
किस पार्टी ने किसे बनाया उम्मीदवार?
क्रमांक | उम्मीदवार का नाम | पार्टी |
1 | मनीष तिवारी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
2 | रितु सिंह | बहुजन समाज पार्टी |
3 | संजय टंडन | भारतीय जनता पार्टी |
4 | दीपांशु शर्मा | अखिल भारतीय परिवार पार्टी |
5 | राज प्रिंस सिंह | सुपर पावर इंडिया पार्टी |
6 | राजिंदर कौर | सैनिक समाज पार्टी |
7 | सुनील थामन | हरियाणा जनसेना पार्टी |
8 | किशोर कुमार उर्फ बंटी भैया | निर्दलीय |
9 | कुलदीप राय उर्फ हैप्पी सूद मोरिंडा | निर्दलीय |
10 | पुष्पिंदर सिंह उर्फ लवली अटावा | निर्दलीय |
11 | प्रताप सिंह राणा | निर्दलीय |
12 | पियार चंद उर्फ कौंडल | निर्दलीय |
13 | बलजीत सिंह उर्फ लाडी | निर्दलीय |
14 | पूर्व सहायक कमांडेंट रणप्रीत सिंह | निर्दलीय |
15 | महंत रविकांत मुनि | निर्दलीय |
16 | लखवीर सिंह उर्फ कोटला | निर्दलीय |
17 | विनोद कुमार | निर्दलीय |
18 | विवेक शर्मा | निर्दलीय |
19 | सुनील कुमार | निर्दलीय |
चंडीगढ़ लोकसभा सीट पहली बार वर्ष 1967 में अस्तित्व में आई थी। इस सीट से भारतीय जनसंघ के श्रीचंद गोयल पहले सांसद चुने गए थे। जिसके बाद अगले ही चुनाव में कांग्रेस के अमरनाथ विद्यालंकार को जीत हासिल हुई थी। अब तक यहां सात बार कांग्रेस पार्टी का कब्जा रहा है। जबकि एक-एक बार जनसंघ, जनता पार्टी और जनता दल ने चुनाव जीता है। भारतीय जनता पार्टी ने चार बार इस सीट पर जीत हासिल की है। यहां वर्तमान में भाजपा की सांसद हैं।
कब कौन चुना गया चंडीगढ़ का सांसद?
वर्ष | नाम | पार्टी |
1967 | श्रीचंद गोयल | भारतीय जनसंघ |
1971 | अमरनाथ विद्यालंकार | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1977 | कृष्ण कांत | जनता पार्टी |
1980 | जगन्नाथ कौशल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (आई) |
1984 | जगन्नाथ कौशल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1989 | हरमोहन धवन | जनता दल |
1991 | पवन कुमार बंसल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1996 | सत्य पाल जैन | भारतीय जनता पार्टी |
1998 | सत्य पाल जैन | भारतीय जनता पार्टी |
1999 | पवन कुमार बंसल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
2004 | पवन कुमार बंसल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
2009 | पवन कुमार बंसल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
2014 | किरण खेर | भारतीय जनता पार्टी |
2019 | किरण खेर | भारतीय जनता पार्टी |
चंडीगढ़ संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता संजय टंडन का कहना है कि उनके प्रतिद्वन्द्वी और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी एक 'राजनीतिक पर्यटक' हैं और 2029 में चुनाव लड़ने के लिए नयी सीट तलाशेंगे। अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ रहे टंडन ने विश्वास जताया कि भाजपा लगातार तीसरी बार इस सीट पर जीत दर्ज करेगी। चंडीगढ़ में लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में एक जून को मतदान होना है। टंडन 10 वर्षों तक भाजपा की चंडीगढ़ इकाई के अध्यक्ष रह चुके हैं।
तिवारी से संजय टंडन ने पूछा- लुधियाना क्यों छोड़ा?
टंडन ने कहा, 'मनीष तिवारी एक राजनीतिक पर्यटक हैं... 1991 में वह चुनाव लड़ने के लिए कानपुर गये... निर्वाचन क्षेत्र पहुंचने से पहले ही लोगों ने विरोध किया और उन्हें हवाई अड्डे से दिल्ली वापस भेज दिया गया।' उन्होंने कहा, 'तब से वह (मनीष तिवारी) ऐसा ही करते आ रहे हैं। वह एक निर्वाचन क्षेत्र में जाते हैं और वहां की मौजूदा व्यवस्था से खेलने का प्रयास करते हैं। वह दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों से दो बार निर्वाचित हुए हैं। चंडीगढ़ के लोगों के जहन में यह सवाल है कि उन्होंने लुधियाना क्यों छोड़ा?'
पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट हैं भाजपा उम्मीदवार संजय टंडन
छह बार के विधायक और छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल बलरामजी दास टंडन के बेटे संजय टंडन पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट हैं। उन्होंने कहा कि तिवारी 2009 में लुधियाना से निर्वाचित हुए थे और मनमोहन सिंह सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री थे लेकिन उन्होंने कुछ काम नहीं किया। संजय टंडन ने कहा, 'वह (2014 चुनाव में) भाग गये और 2019 में उन्होंने नयी सीट (अनंतपुर साहिब) से चुनाव लड़ा और संकल्प जताया कि मैं चंडीगढ़ नहीं जाना चाहता। वह अपनी जुबान से मुकर गये। एक राजनीतिक पर्यटक होने के अलावा वह अपनी जुबान पर भी कायम नहीं रहते हैं।'
भाजपा नेता ने कहा, 'उनके (मनीष तिवारी के) पास न तो वादा करने के लिए कुछ है और न ही करने के लिए कुछ है... अभी तो वह सोच रहे होंगे कि 2029 के चुनाव में किस सीट से लडूं।' चंडीगढ़ लोकसभा सीट से तिवारी को चुनाव मैदान में उतारने के लिए भाजपा, कांग्रेस की आलोचना कर रही है और उन्हें 'बाहरी' बता रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में टंडन के समर्थन में एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मनीष तिवारी को 'उड़न खटोला' करार दिया था।
विपक्ष की आलोचना को टंडन ने नकारा और दी सफाई
अभिनेत्री किरण खेर चंडीगढ़ से मौजूदा सांसद हैं, जिन्होंने 2014 में पूर्व केंद्रीय मंत्री और तीन बार के कांग्रेस सांसद पवन कुमार बंसल को हराया था। खेर ने 2019 में भी इस सीट पर जीत हासिल की थी। टंडन ने कहा, 'मुझे पूरा विश्वास है कि भाजपा लगातार तीसरी बार इस निर्वाचन क्षेत्र में जीत दर्ज करेगी।' चंडीगढ़ सीट से किरण खेर की अनुपस्थिति को लेकर विपक्ष की आलोचना को नकारते हुए टंडन ने कहा 'वह बीमार हैं और उन्होंने पार्टी को बता दिया था कि इस बार चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। बीमारी के समय को छोड़ दें तो उन्होंने संसद में 90 फीसदी उपस्थिति दर्ज कराई है। चंडीगढ़ के लोगों के लिए उन्होंने लगातार काम किया है।'
टंडन ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) की, दिल्ली और कुछ स्थानों पर मिल कर चुनाव लड़ने और पंजाब में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने को लेकर आलोचना भी की। उन्होंने कहा 'चंडीगढ़ में दोनों दल मिल कर चुनाव लड़ रहे हैं और एक दूसरे की तारीफ कर रहे हैं। लेकिन कुछ किलोमीटर दूर मोहाली में वे अलग अलग लड़ रहे हैं और एक दूसरे पर वार करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। आखिर कौन सी तस्वीर सही है। कुश्ती और दोस्ती में क्या अंतर है?'
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