Hot Seat: CM शिंदे के बेटे का क्या होगा? बड़ा दिलचस्प है कल्याण का चुनावी मुकाबला; जानें इस सीट का इतिहास

Kalyan Election:महाराष्ट्र की कल्याण लोकसभा सीट पर इस बार की चुनावी लड़ाई बेहद दिलचस्प होने वाली है। यहां अब तक उद्धव ठाकरे की शिवसेना का एकछत्र राज रहा है। पिछले 10 साल से एकनाथ शिंदे के बेटे इस सीट से सांसद हैं, ऐसे में इस बार जूनियर शिंदे के सामने सीट बचाने की चुनौती है। आपको इतिहास से रूबरू कराते हैं।

Shrikant Shinde vs VAISHALI DAREKAR - RANE

वैशाली दारेकर- राणे vs श्रीकांत एकनाथ शिंदे

Lok Sabha Election 2024: महाराष्ट्र की वो लोकसभा सीट, जहां अब तक उद्धव ठाकरे की शिवसेना को एक बार भी हार का सामना नहीं करना पड़ा। लेकिन शिवसेना का अब विभाजन हो चुका है, वो दो टुकड़ों में टूट चुकी है। एक की कमान उद्धव ठाकरे के हाथों में है, तो दूसरे की बागडोर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के पास है। कल्याण सीट पर इस बार के चुनाव में दोनों शिवसेना आमने-सामने हैं। सीएम शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे खुद इस सीट से तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं।

आसान नहीं होगी जूनियर शिंदे की राह

पिछले दो लोकसभा चुनावों में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे श्रीकांत शिंदे कल्याण सीट पर आसानी से जीत हासिल कर रहे थे, लेकिन शिवसेना में विभाजन के बाद उनकी राह आसान नहीं रहने वाली है, यहां कांटे का मुकाबला देखने को मिल रहा है। कल्याण लोकसभा सीट ठाणे जिले के अंतर्गत आती है और यह मुंबई के पास है। यहां 20 मई को मतदान होगा। ऐसे में सबसे पहले आपको बताते हैं कि इस सीट पर कौन-कौन प्रमुख उम्मीदवार हैं।

कल्याण सीट पर प्रमुख उम्मीदवार

क्रम संख्याउम्मीदवार का नामपार्टी
1डॉ. श्रीकांत एकनाथ शिंदेशिवसेना
2वैशाली दारेकर - राणेशिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)
3प्रशांत रमेश इंगलेबहुजन समाज पार्टी
दो चुनावों में श्रीकांत की बड़ी जीत

साल 2014 में श्रीकांत शिंदे ने राजनीति में एंट्री लेने के साथ ही अविभाजित शिवसेना के उम्मीदवार के रूप में पहली बार कल्याण सीट से चुनाव लड़ा था। उस चुनाव में जूनियर शिंदे ने 2,50,749 वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी। जीत का अंतर साल 2019 के लोकसभा चुनाव में और भी बढ़ गया, उन्होंने इस बार 3,44,343 वोटों के अंतर से दोबारा जीत अपने नाम की।

क्या कहता है कल्याण का इतिहास?

19 फरवरी 2008 को परिसीमन पर राष्ट्रपति की अधिसूचना के कार्यान्वयन के बाद, पहली बार साल 2009 में कल्याण निर्वाचन क्षेत्र के लिए लोकसभा चुनाव हुए। इस लोकसभा सीट के अंतरगत छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। जिनमें अंबरनाथ, उल्हासनगर, कल्याण पूर्व, डोंबिवली, कल्याण ग्रामीण और मुंब्रा कलवा विधानसभा सीट हैं। 6 में से एक सीट पर शिंदे की शिवसेना के पास, तीन सीट पर भाजपा का कब्जा, एक पर राज ठाकरे के मनसे और एक पर शरद पवार की एनसीपी का कब्जा है। आपको बताते हैं, किस सीट से कौन विधायक है।

विधानसभा सीटविधायक का नामपार्टी
अंबरनाथ (एससी)थाइन बालाजी किनिकरशिवसेना
उल्हासनगरकुमार आयलानीभाजपा
कल्याण पूर्वगणपत गायकवाडभाजपा
डोंबिवलीरवींद्र चव्हाणभाजपा
कल्याण ग्रामीणप्रमोद पाटिलमनसे
मुंब्रा कलवाजीतेंद्र अव्हाडराकंपा (सपा)
शिंदे के सीएम बनने के बाद बदला समीकरण

श्रीकांत के पिता एकनाथ द्वारा तत्कालीन अविभाजित शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे से अलग होने और जून 2022 में मुख्यमंत्री बनने के लिए भाजपा से हाथ मिलाने के बाद से राजनीतिक परिदृश्य काफी बदल गया है। श्रीकांत शिंदे के इस बार चुनाव लड़ने पर अनिश्चितता बनी हुई थी, क्योंकि भाजपा को लगा था कि वह महाराष्ट्र की अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी और उसके नेता और डोंबिवली से विधायक रवींद्र चव्हाण कल्याण सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे।

कब कौन रहा कल्याण से लोकसभा सांसद?

लोकसभा चुनाव (वर्ष)सांसद का नामपार्टी का नाम
2009आनंद परांजपेशिवसेना
2014श्रीकांत शिंदेशिवसेना
2019श्रीकांत शिंदेशिवसेना
इस सीट के लिए अड़े रहे सीएम एकनाथ शिंदे

कल्याण निर्वाचन क्षेत्र में छह विधानसभाएं आती हैं जिनमें से डोंबिवली सहित तीन सीट पर भाजपा के विधायक हैं जबकि एक-एक सीट पर शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और राकांपा (शरदचंद्र पवार) के विधायक हैं। इस क्षेत्र में भाजपा के तीन विधायक होने से पार्टी ने कल्याण लोकसभा सीट के लिए अपना दावा ठोक दिया, लेकिन एकनाथ शिंदे भी इस बात पर अड़े रहे कि उनकी पार्टी यह सीट नहीं छोड़ेगी।

पूर्व पार्षद को उद्धव की शिवसेना ने दिया टिकट

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) ने श्रीकांत शिंदे के खिलाफ पूर्व पार्षद वैशाली दरेकर-राणे को मैदान में उतारा है। राणे ने 2009 में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के उम्मीदवार के तौर पर इस सीट से चुनाव लड़ा था और उन्हें एक लाख से अधिक मत मिले थे, लेकिन वह हार गई थीं। कंप्यूटर विक्रेता और डोंबिवली के निवासी श्रीकांत कुलकर्णी ने कहा कि पिछले दो दशकों में कल्याण और डोंबिवली नगर निगम क्षेत्र में बढ़ती आबादी के कारण जल आपूर्ति और स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं। उन्होंने कहा, 'यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बुनियादी ढांचे का बहुत अधिक विकास नहीं हुआ। हमें कोई अच्छा सरकारी अस्पताल नहीं मिला। जिन रेलवे स्टेशनों का प्रतिदिन लाखों लोग उपयोग करते हैं वे भी इतने बड़े नहीं हैं और कभी साफ-सुथरे नहीं होते। सड़कें संकरी हैं और विक्रेता फुटपाथों पर कब्जा कर लेते हैं।'

कल्याण शहर के निवासियों की क्या है राय?

दूसरी ओर, कल्याण शहर की निवासी सुमन वलेचा ने दावा किया कि विकास कार्यों में तेजी आई है और सभी समस्याओं के लिए सांसद शिंदे को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है। कल्याण लोकसभा सीट पर जनसांख्यिकी विविध है। डोंबिवली में बड़ी संख्या में महाराष्ट्र के मूल निवासी और दक्षिण भारतीय लोग रहते हैं। उल्हासनगर मुख्य रूप से सिंधी क्षेत्र है, जबकि कल्याण शहर और कल्याण ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में गुजराती और मराठी भाषी आबादी है। अंबरनाथ में सिंधी, गुजराती और महाराष्ट्र के लोग रहते हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) द्वारा प्रतिनिधित्व की जाने वाली मुंब्रा-कलवा विधानसभा सीट पर बड़ी संख्या में मुस्लिम हैं।

चुनाव को लेकर क्या बोलीं उद्धव की उम्मीदवार?

वैशाली दारेकर-राणे ने दावा किया कि लोग वर्तमान शासन से परेशान हैं। उन्होंने बताया, 'कल्याण लोकसभा सीट पर खराब बुनियादी ढांचे और शहरी नियोजन की कमी है। आबादी अधिक होने के बावजूद प्रमुख शहरी क्षेत्रों में पीने के पानी की कोई सुनिश्चित आपूर्ति नहीं है। प्रत्येक शहरी क्षेत्र को केवल कुछ घंटों के लिए पेयजल मिलता है।'

जूनियर शिंदे ने किया जीत का दावा, जानें क्या बोले

इन मुद्दों के बारे में पूछे जाने पर श्रीकांत शिंदे ने कहा, "इसमें कोई संदेह नहीं है कि बढ़ती आबादी, पानी की उपलब्धता और अच्छा संचार नेटवर्क कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे हैं जिन पर मुझे काम करना है। मैंने कई सड़क परियोजनाओं को पूरा करने, पाइपलाइन बदलने और नए पुलों के निर्माण के लिए प्रशासन पर बहुत दबाव डाला है। कुछ योजनाओं पर काम जारी है। श्रीकांत शिंदे ने यह भी दावा किया कि लोगों ने महाराष्ट्र में भाजपा के समर्थन से सरकार बनाने के उनके पिता के फैसले का समर्थन किया है।

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आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

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