PM मोदी के मिशन 400 पार में कितना असरदार होंगे भोजपुरी के 3 धुरंधर, अभी रेस से बाहर नहीं 'पावर स्टार' पवन सिंह
Bhojpuria Candidates in Loksabha Election 2024: भाजपा ने दूसरी बार रवि किशन को इस सीट पर उम्मीदवार बनाया है। 2019 के चुनाव वह इस सीट पर विजयी हुए। इस चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के रामभुआल निषाद को हराया।
भोजपुरी के तीन सुपरस्टार्स को भाजपा से मिला टिकट।
Bhojpuria Candidates in Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चुनावी बिसात बिछ गई है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अपनी पहली लिस्ट में 195 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया है। पहली सूची में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर अमित शाह, राजनाथ सिंह जैसे दिग्गजों के नाम हैं। इसी सूची में भोजपुरी की चार सुपरस्टारों मनोज तिवारी (Manoj Tiwari), रवि किशन (Ravi Kishan), दिनेश लाल यादव निरहुआ (Dinesh Lal Yad Nirahua)और पवन सिंह (Pawan Singh) का नाम भी आया। पहली सूची में भोजपुरी (Bhojpuri) के इन चार महारथियों का एक साथ नाम आना यह दिखाता है कि पूर्वांचल एवं भोजपुरी क्षेत्र में अपनी सीटों पर जीत दर्ज करने के लिए भाजपा कितनी गंभीर है। पवन सिंह को छोड़कर बाकी तीन उम्मीदवार पहले से भाजपा के सांसद हैं। इस बार इस सूची में पवन सिंह का नाम भी जुड़ा। पार्टी ने उन्हें बंगाल के आसनसोल (Asansol) से टिकट दिया लेकिन टिकट मिलने के 15 घंटे के भीतर पवन सिंह ने चुनावी दौड़ से पीछे हट गए। कहा जा रहा है कि अभी पवन सिंह अभी उम्मीदवारी की रेस से बाहर नहीं हुए हैं, अभी यूपी और बिहार की कई सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान होना है, पार्टी उन्हें किसी और सीट से टिकट दे सकती है। जानकारों का मानना है कि पवन सिंह बिहार की आरा सीट से टिकट चाहते थे। यहां हम भोजपुरी के तीन सुपरस्टारों रवि किशन, मनोज तिवारी और दिनेश लाल यादव की चुनावी ताकत के बारे में बात करेंगे।
रवि किशन, गोरखपुर (Gorakhpur seat)
भाजपा ने दूसरी बार रवि किशन को इस सीट पर उम्मीदवार बनाया है। 2019 के चुनाव वह इस सीट पर विजयी हुए। इस चुनाव में उन्होंने समाजवादी पार्टी (सपा) के रामभुआल निषाद को हराया। मोदी लहर पर सवार रवि किशन को पिछले चुनाव में करीब 60 प्रतिशत वोट मिले। उन्होंने तीन लाख से ज्यादा वोटों से सपा प्रत्याशी को हराया।
लोगों के कार्यक्रम में पहुंचते हैं रवि किशन
चुनाव जीतने के बाद रवि किशन ने गोरखपुर के लोगों से अपना खास रिश्ता बनाया है। कोरोना काल मे उन्होंने व्यक्तिगत स्तर पर लोगों की मदद की। यही नहीं बुलावे पर हर कार्यक्रम में पहुंचते रहे हैं और लोगों से मिलते-जुलते रहे हैं। लोग उन्हें अपने बीच पाकर खुश होते हैं। रवि किशन ने अपने ऊपर स्टारडम को हावी नहीं होने दिया है। टिकट मिलने के समय वह गोरखपुर में सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ 'प्रोजेक्ट अलंकार' में शामिल हुए। इस बार रवि किशन के सामने सपा की काजल निषाद हैं। रवि किशन सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय हैं।
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गोरखपुर सीट पर सबसे ज्यादा निषाद मतदाता
X पर रवि किशन के 5.61 लाख फॉलोअर्स, फेसबुक पर 7.32 लाख और इंस्टाग्राम पर 25 लाख फॉलोअर्स हैं। रवि किशन ने अपनी राजनीतिक पारी 2014 में शुरू की थी। कांग्रेस के टिकट पर उन्होंने जौनपुर से चुनाव लड़ा। हालांकि इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। साल 2017 में वह भाजपा में शामिल हुए। वह पूर्वांचल से और ब्राह्मण परिवार से आते हैं। अपने ठेठ और देसी अंदाज से उन्हें वोटरों को अपनी तरफ खींचने की क्षमता है। गोरखपुर में वोटों के समीकरण की अगर बात करें तो यहां 3.5 लाख निषाद वोटर, 2 लाख यादव वोटर, 2 लाख दलित मतदाता और 1.5 लाख ब्राह्मण वोटर हैं।
मनोज तिवारी, नॉर्थ इस्ट दिल्ली (North East Delhi)
दिल्ली की नॉर्थ इस्ट सीट से मनोज तिवारी तीसरी बार उम्मीदवार हैं। पार्टी ने उन पर एक बार फिर भरोसा जताया है। इस बार कई समीकरणों को देखते हुए तिवारी को टिकट मिला। मनोज की सबसे बड़ी मजबूती उनका पूर्वांचल का बड़ा चेहरा होना है। अभिनेता और गायक होने के चलते यूपी और बिहार में उनके बड़े प्रशंसक हैं। दिल्ली में करीब 35 फीसदी पूर्वांचल वोटर हैं। यूपी से आकर दिल्ली में बसने वाले करीब 28 लाख लोग हैं। जबकि दिल्ली में बिहार के करीब 11 लाख लोग रहे हैं। मनोज तिवारी अपने संसदीय क्षेत्र नॉर्थ इस्ट में लगातार सक्रिय रहे हैं। वह पार्टी कार्यक्रमों में भी नजर आते हैं। राहुल और अखिलेश के साथ आने के बाद यह सीट कांग्रेस के पास है। ऐसे में भाजपा चाहती थी कि दिल्ली में एक सीट पर कम से कम एक पूर्वांचल का चेहरा हो। भाजपा को लगता है कि कांग्रेस की काट पूर्वांचल का वोटर बन सकता है।
2014 में AAP उम्मीदवार आनंद कुमार को हराया
मनोज तिवारी की रानीजिक पारी की शुरुआत 2009 में हुई। वह सपा के टिकट पर गोरखपुर से लोकसभा चुनाव लड़े। इस चुनाव में उन्हें योगी आदित्यनाथ के हाथों हार का सामना करना पड़ा। बाद में 2013 में वह भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने पहली बार मनोज तिवारी को 2014 के चुनाव में उन्हें नॉर्थ इस्ट सीट से टिकट दिया। इस चुनाव में तिवारी ने आम आदमी पार्टी (AAP) के उम्मीदवार आनंद कुमार को हराया। दूसरी बार 2019 के लोकसभा चुनाव में इसी सीट पर उन्होंने दिल्ली की पूर्व सीएम एवं कांग्रेस की दिग्गज नेता शीला दीक्षित को हराया। टिकट मिलने पर मनोज तिवारी ने कहा कि भाजपा में टिकट मिलने से कोई बड़ा नहीं हो जाता और नहीं मिलने पर कोई छोटा नहीं होता। शीर्ष नेतृत्व को धन्यवाद देते हैं।
manoj Tiwari
दिनेश लाल यादव निरहुआ, आजमगढ़ (Azamgarh seat)
आजमगढ़ सपा का गढ़ माना जाता है। सपा के इस किले में सेंधमारी करने के लिए 2019 में भाजपा ने भोजपुरी के बड़े स्टार दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव मैदान में उतारा। इस चुनाव में निरहुआ के सामने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव थे। इस चुनाव में दिनेश ने जमकर चुनाव प्रचार किया। उनके प्रचार के लिए पूरी भोजपुरी इंडस्ट्री ने आजमगढ़ डेरा डाल दिया। गांव-गांव जाकर प्रचार किया लेकिन निरहुआ यह चुनाव हार गए। हारने के बाद भी निरहुआ ने आजमगढ़ से अपना रिश्ता बनाए रखा। वह वहां जाते रहे और लोगों से मिलते रहे। उनका जुझारूपन और लोगों से बनाया उनका रिश्ता काम आया और 2022 के उपचुनाव में वह सपा का किला ढाहने में कामयाब हो गए। उन्होंने सपा के वोटरों में सेंधमारी की और सपा प्रत्याशी धर्मेंद्र यादव को हरा दिया।
पूर्वांचल में महिलाओं के चहेते हैं निरहुआ
आजमगढ़ सीट पर जातीय समीकरण कुछ इस प्रकार है। यहां यादव आबादी 4.5 लाख, मुस्लिम 3 लाख और जाटव 2.75 लाख हैं। निरहुआ को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने आजमगढ़ के यादव वोटरों को अपनी तरफ करने की कोशिश तो की ही है, उसकी नजर प्रदेश के 8 फीसदी वोटरों पर भी है। दिनेश लाल के जरिए वह सूबे के यादव मतदाताओं में सेंधमारी भी करना चाहती है। यही नहीं पूर्वांचल की महिलाओं में निरहुआ की अच्छी छवि है, महिलाएं उन्हें काफी पसंद करती हैं। जाहिर है कि भाजपा दिनेश लाल के जरिए यादव वोटरों को बरकरार और नए मतदाताओं को अपने साथ जोड़ना चाहती है। यही सोचकर उनसे तीसरी बार उन्हें उम्मीदवार बनाया। सोशल मीडिया पर भी दिनेश लाल की अच्छी फैन फॉलोइंग है। X पर उन्के 2.48 लाख फॉलोअर्स, फेसबुक पर 14 लाख और इंस्टाग्राम पर 17 लाख चाहने वाले हैं।
azamgarh seat
अभी रेस से बाहर नहीं पवन सिंह (Pawan Singh)
भोजपुरी के अभिनेता एवं पावर स्टार के नाम से मशहूर पवन सिंह यदि चुनाव लड़ने से पीछे नहीं हटते तो लोगों को इस सीट पर रोमांचक मुकाबला देखने को मिलता। आसनसोल सीट से अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा टीएमसी के सांसद हैं। वह भी भोजपुरिया हैं। गत शनिवार को भाजपा जब अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर रही थी, उस समय पवन सिंह जिम में थे। आसनसोल से टिकट मिलने की घोषणा उन्होंने टीवी पर देखी। टिकट मिलने पर उन्होंने अपने प्रशंसकों के साथ खुशी का इजहार किया लेकिन 15 घंटे के भीतर ही उन्होंने अपना मन बदल लिया।
pwan singh
सुना है अच्छे कलाकार और गायक हैं पवन-शत्रुघ्न सिन्हा
X पर उन्होंने चुनाव लड़ने की असमर्थता जाहिर कर दी। हालांकि, उनके इस फैसले के पीछे बंगाल में उनके विरोध का एक बड़ा कारण माना जा रहा है। इसके बाजवूद पवन सिंह के चुनाव लड़ने की संभावना पूरी तरह से खत्म नहीं हुई है। चुनावी जानकारों का कहना है कि पवन सिंह आरा सीट से टिकट चाहते थे। पवन सिंह के चुनाव लड़ने से इंकार किए जाने पर शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर उन्हें नहीं जानते लेकिन सुना है कि वह अच्छे कलाकार हैं और अच्छा गाते हैं। चुनाव नहीं लड़ने का फैसला उनका आंतरिक मामला है।
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आलोक कुमार राव author
करीब 20 सालों से पत्रकारिता के पेशे में काम करते हुए प्रिंट, एजेंसी, टेलीविजन, डिजिटल के अनुभव ने...और देखें
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