देश के पहले चुनाव में क्यों सिनेमाघरों पर था फोकस, दिलचस्प हैं वो पुराने वाकये
Cinema Use in India's First Election 1951: देश में किसी भी चुनाव के लिए प्रचार के साधनों की कोई कमी नहीं एक से बढ़कर एक हैं, पर सालों पहले ऐसा नहीं था, आजादी के बाद देश के पहले चुनाव की जो साल 1951 में हुआ था तब चुनाव आयोग चुनाव के लिए सालभर लोगों को सिनेमाघरों में फिल्मों और रेडियो के माध्यम से जागरुक करता रहा था।
देश के पहले आम चुनाव में तब लोगों को फिल्मों के माध्यम से जागरूक किया गया था
- 1951 में देश के पहले चुनाव के लिए लोगों को फिल्मों के माध्यम से जागरूक किया गया
- इस काम में रेडियो ने भी खासा अहम रोल निभाया था क्योंकि ये काफी पॉपुलर था
- कैसे वोटिंग के लिए प्रेरित किया गया था और कैसे वोटिंग करनी है ये सब बताया गया था
लोकसभा चुनाव 2024 की जारी कवायद में ये तो साफ है कि कोई भी प्रत्याशी अपने प्रतिद्धंदी से किसी भी मायने में पीछे नहीं रहना चाहता है चाहे इसके लिए पैसा पानी की तरह बहाना पड़े तो भी कोई गुरेज नहीं, वैसे पहले की तुलना में अब प्रचार के साधन भी काफी ज्यादा हैं और बेहद आधुनिक भी यहां तक कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस भी, पर पहले के चुनाव में ऐसा नहीं था तब ना तो प्रचार के इतने माध्यम थे और ना ही ऐसी तकनीक...आज हम आपको देश के पहले चुनाव जो 1951 में हुआ था उस वक्त कैसे मतदाताओं को वोटिंग के लिए प्रेरित किया गया था और कैसे वोटिंग करनी है ये सिनेमाघरों और रेडियो के माध्यम से समझाया गया था।
उस वक्त चूंकि देश का पहला चुनाव था इसलिए लोगों का जोश देखते ही बनता था, हर कोई चुनाव प्रचार में बढ़चढ़कर भाग लेने का इच्छुक दिख रहा था पर प्रचार के साधन बेहद कम थे तो चुनाव के दौरान बड़ी-बड़ी जनसभाएं हो रहीं थीं, पार्टियां और प्रत्याशी घर-घर जाकर प्रचार कर रहे थे।
भारत की आबादी उस समय तकरीबन 36 करोड़ थी और इनमें से भी जो वोटर थे उस वक्त वो करीब 17.3 करोड़ थे, वोटिंग की उम्र सीमा तय की गई थी 21 साल पर उस वक्त लोगों को वोटिंग की प्रक्रिया और उसकी बारीकियां समझाना बड़ी टेड़ी खीर था...खैर उसका भी समाधान निकाला गया और सहारा लिया गया सिनेमाघरों का और रेडियो का...
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...पर वोटरों को समझाना भी तो था
चुनाव प्रचार के लिए जगह-जगह पर्चे और पार्टी के प्रतीक चिह्न लगा दिए गए पर मतदाताओं को समझाना भी तो था आजाद भारत में पहली बार 25 अक्टूबर 1951 से 21 फरवरी 1952 तक चुनावी प्रक्रिया चली थी जिसमें काफी दिक्कतें भी पेश आईं थीं, उस टाइम पर सबसे बड़े प्रचारक के रूप में जवाहर लाल नेहरू जिन्होंने देश के कोने-कोने में पहुंचकर जन सभाएं की थीं।
सिनेमाघरों में मतदान प्रक्रिया पर डॉक्युमेंट्री फिल्म दिखाई गईं
1951 में देश के पहले चुनाव के लिए चुनाव आयोग सालभर लोगों को फिल्म और रेडियो के माध्यम से जागरुक करता रहा, बताते हैं कि उस टाइम पर देशभर के कई सौ सिनेमाघरों में मतदान प्रक्रिया पर डॉक्युमेंट्री फिल्म दिखाई गई जिसमें वोट डालने के बारे में बताया गया, कहते हैं कि यही नहीं बल्कि वोटरों के क्या कर्तव्य हैं यह भी उसमें दर्शाया गया था ताकि वोटर मतदान से जुड़ी सारी प्रक्रियाओं से रू-बरू हो सके।
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Radio के जरिए भी Voters को जागरुक किया गया
वहीं ऑल इंडिया रेडियो के जरिए भी मतदाताओं को जागरुक किया गया, उस वक्त कई कार्यक्रम किए गए जिससे वोटर जागरूक हो सके और अपने वोट का सही से प्रयोग कर सके, रेडियो से जारी संदेशों में मताधिकार का उद्देश्य, मतदाता सूची की तैयारी से लेकर मतदान प्रक्रिया तक के बारे में तफ्सील से बताया गया था जिससे लोगों के मन से वोटिंग को लेकर भ्रम दूर हो सकें और वो मतदान की इस प्रक्रिया का हिस्सा बनकर अपने जनप्रतिनिधि का चुनाव कर सके।
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