बिहार में तेरे JP-मेरे JP की लड़ाई, भाजपा नीतीश कुमार को कांग्रेस जैसा दे पाएगी झटका
Nitish Kumar On Amit Shah: जब से भाजपा और जद(यू) की राह अलग हुई है, उसी समय से अमित शाह ने बिहार में भाजपा की कमान संभाल ली है। और वह लगातार बिहार आ रहे हैं। उनकी कोशिश है कि भाजपा को जद (यू) के साये से अलग कर मजबूत किया जाय। और 2024 के लोक सभा चुनाव में एक बार फिर 2014 और 2019 जैसा इतिहास, जद (यू) के बिना दोहराया जाय।
जय प्रकाश नारायण की मूर्ति का अनावरण करते गृह मंत्री अमित शाह
- लालू प्रसाद यादव हो या फिर नीतीश कुमार ये दोनों नेता जे.पी. आंदोलन से निकले हैं।
- बिहार में अब जे.पी. को लेकर भाजपा और जद (यू), राजद में खींचतान चलती रहेगी।
- अमित शाह ने नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव पर कांग्रेस का साथ देने के लिए निशाना साधा है।
अमित शाह पहुंचे जेपी के गांव
बीते अगस्त में जब से भाजपा और जद(यू) की राह अलग हुई है, उसी समय से अमित शाह ने बिहार में भाजपा की कमान संभाल ली है। और वह लगातार बिहार आ रहे हैं। उनकी कोशिश है कि भाजपा को जद (यू) के साये से अलग कर मजबूत किया जाय। और 2024 के लोक सभा चुनाव में एक बार फिर जद (यू) के बिना 2014 और 2019 जैसा इतिहास दोहराया जाय। साफ है कि भाजपा बिहार नीतीश कुमार के साये से निकलना चाहती है। और उसके लिए उसे किसी ऐसे शख्स की तलाश है, जो नीतीश और लालू प्रसाद यादव के गठबंधन के खिलाफ नया नैरेटिव पेश कर सके। और इसके लिए भाजपा ने जय प्रकाश नारायण को चुना है।
इसीलिए 11 अक्टूबर को अमित शाह न केवल जे.पी. के गांव सिताब दियारा पहुंचे, बल्कि उन्होंने जे.पी.के बहाने नीतीश कुमार पर भी जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि लोकनायक जय प्रकाश ने संपूर्ण क्रांति की बात कही थी, जो लोग आजीवन जे.पी. का नाम लेते रहे, वे सत्ता के लिए सिद्धांतविहीन हो गये हैं। जेपी आंदोलन के दो प्रोडक्ट हैं। वे बिहार में कांग्रेस की गोदी में सत्ता के लिए बैठे हैं। यह जे.पी. का दिखाया रास्ता नहीं है। जे.पी. के मार्ग से भटकने वालों को जनता सत्ता से बेदखल करे।
साल 2014 में भाजपा, जद (यू) और राजद अलग-अलग चुनाव लड़े थे। उस वक्त भाजपा 40 में से 22 सीटों पर जीत हासिल की थी। जबकि जद (यू) को केवल 2 सीटें मिली थी। इसी तरह 2019 में जद (यू) के साथ आने पर 40 में से 39 सीट पर एनडीए का कब्जा था। जिसमें भाजपा को 17, जद (यू) को 16 और एलजेपी को 6 सीटें मिली थीं।
नीतीश का पलटवार
गृह मंत्री अमित शाह के वार के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कैसे चुप रहते। तो उन्होंने पलटवार करने के लिए समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया की पुण्यतिथि का मौका चुना । बुधवार को पटना में नीतीश कुमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि जिन लोगों का आप नाम ले रहे हैं, उनको जे.पी. से कोई मतलब था क्या? इनकी राजनीति शुरू हुए 20 साल ही हुए हैं। भाजपा का जेपी से क्या ही मतलब है। जे.पी. के बारे में इन लोगों को क्या आइडिया है। इन्हें मौका मिल गया है तो कुछ भी बोल रहे हैं। अब जो उन्हें बोलना है बोलते रहें।
सरदार पटेल पर भाजपा को कांग्रेस दे चुकी है झटका
साफ है कि बिहार में अब जे.पी. को लेकर भाजपा और जद (यू), राजद में खींचतान चलती रहेगी। इस बीच गृहमंत्री अमित शाह ने जे.पी. के गांव में उनकी आदमकद मूर्ति का भी अनावरण किया है। जाहिर है बिहार में भाजपा कांग्रेस विरोध के लिए खड़े हुए जे.पी.आंदलोन को प्रमुख मुद्दा बनाएगी। और कांग्रेस का साथ देने पर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को घेरेगी। भाजपा ठीक उसी तरह की रणनीति पर काम करती दिखाई दे रही है, जैसा उसने कांग्रेस के साथ सरदार पटेल को लेकर किया। भले ही सरदार पटेल कांग्रेसी थी। लेकिन भाजपा ने सरदार पटेल को भारत रत्न देने, उनकी मूर्ति बनवाने के साथ-साथ, दूसरे कामों के जरिए कांग्रेस को बैकफुट पर ला दिया है।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | देश (elections News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल
करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रि...और देखें
© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited