History of Code of Conduct: जानिए आदर्श आचार संहिता का दिलचस्प इतिहास, 1960 से शुरू हुआ, इस राज्य से हुई थी शुरुआत

History of Code of Conduct in India: निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा किए जाने के साथ ही यह संहिता लागू हो जाती है और निर्वाचन प्रक्रिया समाप्त होने तक लागू रहती है।

चुनाव आचार संहिता का इतिहास

Explained Model Code of Conduct: निर्वाचन आयोग द्वारा शनिवार को लोकसभा चुनावों की घोषणा किए जाने के साथ ही आदर्श आचार संहिता भी प्रभावी हो जाएगी। आदर्श चुनाव संहिता का भी एक दिलचस्प इतिहास है जिसके बार में हम आपको बताने जा रहे हैं। इसकी उत्पत्ति 1960 में केरल विधानसभा चुनाव के दौरान हुई थी, तब प्रशासन ने राजनीतिक दलों के लिए एक आचार संहिता बनाने की कोशिश की थी। निर्वाचन आयोग के मुताबिक आचार संहिता के मौजूदा स्वरूप पिछले 60 साल के प्रयासों और विकास का नतीजा है।

इसका उद्देश्य सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग को रोकना

आदर्श आचार संहिता चुनावों के दौरान सभी हितधारकों द्वारा स्वीकार्य नियम है। इसका उद्देश्य प्रचार, मतदान और मतगणना को व्यवस्थित, स्वच्छ और शांतिपूर्ण रखना और सत्तारूढ़ दलों द्वारा राज्य मशीनरी और वित्त के किसी भी दुरुपयोग को रोकना है। परंतु, इसे कोई वैधानिक मान्यता प्राप्त नहीं है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कई मौकों पर इसकी सुचिता को बरकरार रखा है। चुनाव आयोग आचार संहिता के किसी भी उल्लंघन की जांच करने और सजा सुनाने के लिए पूरी तरह से अधिकृत है।

चुनाव आचार संहिता

चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही लागू

निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव कार्यक्रम की घोषणा किए जाने के साथ ही यह संहिता लागू हो जाती है और निर्वाचन प्रक्रिया समाप्त होने तक लागू रहती है। ‘लीप ऑफ फेथ’ शीर्षक से प्रकाशित किताब में लिखा गया है, संहिता पिछले 60 वर्षों में विकसित होकर अपना वर्तमान स्वरूप ग्रहण कर चुकी है। इसकी उत्पत्ति केरल में 1960 के विधानसभा चुनावों के दौरान हुई थी, जब प्रशासन ने राजनीतिक दलों के लिए 'आचार संहिता' विकसित करने का प्रयास किया था। भारत में चुनावों की यात्रा का दस्तावेजीकरण करने के लिए निर्वाचन आयोग ने यह पुस्तक प्रकाशित की थी।

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