International Women's Day Special: लोकसभा चुनाव में दिखेगा महिलाओं का दमखम? समझें सियासी समीकरण
Women's in Politics: सियासत में भी अब महिलाओं की ताकत को नजरअंदाज कर पाना आसान नहीं होगा। आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में सभी राजनीतिक पार्टियों को महिलाओं से काफी उम्मीदें हैं। पिछले चुनावों के आंकड़ों की जुबानी आपको समझाते हैं कि देश की राजनीति में महिलाओं की कितनी अहम भूमिका है।
लोकसभा चुनान में महिलाओं की अहमियत।
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव की घोषणा कभी भी हो सकती है। पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों का ऐलान कर रही है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है। पहली सूची में बीजेपी ने 195 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान किया, इस लिस्ट में 28 महिलाओं को टिकट दिया गया है। उम्मीद की जा रही कि दूसरी सूची में भी कई महिलाओं के नाम होंगे।
इसी तरह कांग्रेस भी कई महिला उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी में है। इस लोकसभा चुनाव में महिलाओं की ताकत का एहसास होने के पूरे आसार हैं। सिर्फ उम्मीदवार ही नहीं महिलाओं के वोट भी इस चुनाव की बड़ी ताकत साबित होंगे।
इन महिलाओं को भाजपा ने बनाया अपना उम्मीदवार
बीजेपी की तरफ से स्मृति ईरानी, माधवी लता, हेमा मालिनी, रूप कुमार चौधरी, सरोज पांडे, कमलेश जांगड़े, बांसुरी स्वराज, कमलजीत सहरावत, पूनमबेन माडम समेत 28 महिला उम्मीदवारों पर पार्टी ने भरोसा जताया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चुनाव लड़ेंगी या नहीं यह अभी तय नहीं है, लेकिन वे मोदी सरकार में आर्थिक सुधारों का बड़ा चेहरा मानी जानी हैं इसलिए चुनाव में उनकी भूमिका रहने वाली है।
देश की सियासत में महिलाओं की कितनी अहम भूमिका?
महिला नेताओं की बात करें तो पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बसपा की ओर से मायावती ने चुनाव में मोर्चा संभाला हुआ है। देश की राजनीति में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी लंबे समय तक महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं। इस बार वह रायबरेली से चुनाव तो नहीं लड़ रहीं, लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के तौर पर उनकी भूमिका को कोई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। सोनिया की जगह उनकी बेटी और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की रायबरेली से चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं। इससे पहले भी प्रियंका गांधी कई चुनावों में कमान संभाल चुकी हैं।
महिलाओं के लिए की जा रही हैं कई बड़ी-बड़ी घोषणाएं
भारत राष्ट्र समिति की नेता और तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता भी पार्टी को चुनाव जिताने के लिए पूरी मेहनत कर रही हैं। दूसरी तरफ भारतीय राजनीति में महिला मतदाता पहले कभी इतनी महत्वपूर्ण नहीं रहीं जितनी की अभी हैं। तभी तो सभी पार्टियां महिलाओं को अपने पाले में करने में लगी हैं। महिलाओं को लेकर कई बड़ी-बड़ी घोषणाएं की जा रही हैं। महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए नारी शक्ति के लिए योजनाओं की घोषणाएं करने की पार्टियों में होड़ लगी है।
बीजेपी नारी शक्ति वंदन अधिनियम को अपनी बड़ी उपलब्धि बताकर महिलाओं के बीच इसका प्रचार कर रही है। महिलाओं को लोकसभा और राज्यों की विधानसभाओं में 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए यह अधिनियम लाया गया है। इसके अलावा लखपति दीदी के जरिए केंद्र सरकार ग्रामीण महिलाओं को साध रही है। मध्यप्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहना योजना चलाई थी। इस योजना का पार्टी की जीत में बड़ा योगदान माना जाता है। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बीजेपी को जीत दिलाने के पीछे महिलाओं का बड़ा योगदान रहा है। यही वजह है कि कई राज्यों में अब महिला केंद्रित योजनाओं को लागू करने की घोषणाएं पार्टी के घोषणापत्रों का अहम हिस्सा बन गया है।
कर्नाटक सरकार ने लक्ष्मी योजना शुरू कर दी है। हिमाचल प्रदेश में इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना लागू की गई, तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली की आप सरकार ने बजट में मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना की घोषणा की है। इसके तहत राजधानी में 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र की उन महिलाओं को यह सम्मान राशि मिल सकेगी।
आंकड़ों से समझिए चुनाव में महिला मतदाताओं की अहमियत
महिला वोटर्स को इतनी अहमियत देने की एक बड़ी वजह यह है कि 2014 के चुनाव के समय से महिला वोटर्स को लेकर एक नया ट्रेंड देखने को मिला है। 2014 के चुनाव में पुरुष और महिला मतदाताओं के मतदान प्रतिशत में बहुत बारीक फर्क था। यह अंतर सिर्फ डेढ़ फीसदी का था। वहीं 2019 के चुनाव में तो महिलाओं ने पुरुषों को पछाड़ दिया। 2019 के चुनाव में पुरुषों का मतदान प्रतिशत जहां 67.02 था, वहीं महिलाओं का 67.18 प्रतिशत था।
एक अनुमान यह लगाया जा रहा है कि 2024 के चुनाव में महिला मतदाताओं की संख्या पिछली बार की तुलना में ज्यादा होगी। चुनाव आयोग के मुताबिक 2024 में 47.1 करोड़ महिला मतदाता होंगी जो किसी भी पार्टी के लिए एक बड़ा वोट बैंक हैं। कह सकते हैं कि वोट पाने की मजबूरी ही सही, लेकिन महिला शक्ति को नजरअंदाज करना अब पार्टियों और सरकारों के वश में नहीं रह गया। वोट की ताकत बढ़ने से आधी आबादी के लिए अपनी आवाज को बुलंद करना और आसान हो सकता है।
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