जालौन सीट, यूपी लोकसभा चुनाव 2024: वोटिंग की तारीख, मुख्य प्रत्याशी और चुनाव रिजल्ट की डेट
Jalaun Lok Sabha Seat : यूपी की जालौन लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। पांच विधानसभा के मिश्रण से बनी इस लोकसभा सीट पर बीजेपी जीत का सिक्सर लगा चुकी है। तो चलिए जानते हैं इस सीट का चुनावी इतिहास क्या रहा है और यहां कब मतदान है और कब परिणाम आएंगे?
लोकसभा चुनाव
Jalaun Lok Sabha Seat : उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से एक सीट जालौन लोकसभा संसदीय सीट है। यमुना (Yamuna) और बेतवा नदी (Betwa River) से घिरा और कानपुर देहात-झांसी (Kanpur Dehat-Jhansi) का हिस्से को मिलाकर परिसीमन के बाद 1962 में ये संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में आई। इस सीट से कांग्रेस-जनता पार्टी, बीजेपी, सपा और बसपा अलग-अलग समय पर जीत दर्ज कर चुकी हैं। वर्तमान में ये सीट भारतीय जनता पार्टी (BJP) के पास है। वर्तमान जालौन लोकसभा सीट में जालौन की उरई, कालपी, माधौगढ़, झांसी की गरौठा और कानपुर देहात की भोगनीपुर विधानसभा सीटें शामिल हैं। इस सीट पर इस बार 20 मई को पांचवे चरण में मतदान होना है। लिहाजा, आज हम इस सीट के चुनावी इतिहास सहित अन्य पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
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जालौन लोकसभा का चुनावी इतिहास (Jalaun Loksabha Seat History)साल 1962 से अस्तित्व में आई जालौन लोकसभा सीट पर 1962 से लेकर 1971 तक लगातार तीन बार कांग्रेस (Congress Party) के रामसेवक चौधरी जीतकर संसद पहुंचे। फिर आपातकाल के बाद 1977 में हुए आम चुनाव में यहां से जनता पार्टी (Janta Part) के रामचरण दोहरे विजयी हुए। साल 1980 में कांग्रेस पार्टी के नाथुराम शाक्यवार और 1984 में भी कांग्रेस के ही लच्छी राम विजयी हुए। लेकिन, 1989 में एक बार फिर इस सीट पर जनता पार्टी को जीत नशीब हुई और रामसेवक भाटिया सांसद बने। फिर, 1991 में सीट भारतीय जनता पार्टी के खाते में चली गई और गया प्रसाद कोरी विजयी हुए। इसके बाद 1996 और 1998 में भानू प्रताप वर्मा जीतकर संसद पहुंचे। 1999 में यह सीट बसपा (BSP) के खाते में चली गई और बृजलाल खाबरी (वर्तमान यूपी कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष) को जीत नशीब हुई।
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हालांकि, 2004 में केंद्र से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सत्ता से बाहर हो गई, लेकिन इस सीट पर बीजेपी ने फिर वापसी की और जनता ने आशीर्वाद देकर दोबारा भानु प्रताप वर्मा को जीत का ताज पहनाया। लेकिन, 2009 के लोकसभा चुनाव में यहां पहली बार समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का खाता खुला और घनश्याम अनुरागी विजयी हुए। लेकिन 2014 में मोदी लहर में फिर बीजेपी के भानुप्रताप वर्मा जीते और यह सिलसिला 2019 में भी जारी रहा।
वर्तमान में यह सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। यहां से भानु प्रताप वर्मा 5 बार सांसद चुने गए हैं। एक बार फिर 2024 में भाजपा ने भानु प्रताप वर्मा पर ही भरोसा जताया है। भानु प्रताप वर्मा अपनी जीत का छक्का लगाने के इरादे से संसदीय क्षेत्र में जुटे हुए हैं। भानु प्रताप के खिलाफ सपा-कांग्रेस के गठबंधित प्रत्याशी नारायण दास अहिरवार चुनावी मैदान में हैं। नारायण दास अहिरवार बसपा के संस्थापक सदस्य भी रहे हैं। 2007 से 2011 तक नारायण दास अहिरवार यूपी की मायावती सरकार में मंत्री भी रहे हैं। 2022 में उन्होंने बसपा का दामन छोड़कर सपा की साइकिल में सवार हो गए। हालांकि, इस सीट पर बसपा का अच्छा खासा वोटर्स है। 2019 में सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में गई थी। इससे पहले बृजलाल खाबरी दूसरे नंबर पर थे। लिहाजा, इस बार गंठबंधित प्रत्याशी और भाजपा प्रत्याशी में कड़े मुकाबले की आशंका है।
मुख्य उम्मीदवार- नारायण दास अहिरवार -सपा/INDIA
- भानुप्रताप वर्मा - बीजेपी/NDA
- सुरेश चंद्र गौतम - बसपा
जालौन लोकसभा सीट पर अनुसूचित जाति के 45 प्रतिशत वोटर्स ही निर्णायक साबित होते हैं। यहां ओबीसी वोटर्स की संख्या 35 और सामान्य की संख्या 20 प्रतिशत है। इस सीट पर डेढ़ लाख के करीब मुस्लिम वोटर्स भी हैं। यहां साल 2019 में 19,33, 358 मतदाता थे, जिनमें से 11,29,955 मतदाताओं ने ही वोट किया था। इनमें से महिला वोटर्स की संख्या 5,06, 493 और पुरुष वोटर्स की संख्या 6,20,288 थी। कुल मिलाकर 58.44 फीसदी मतदान हुआ था।
4 जून को आएगा परिणाम
जालौन लोकसभा सीट में पांचवे चरण में 20 मई को मतदान होना है। सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक वोटिंग होगी। इसके लिए प्रशासन ने तैयारियां कर ली हैं। वहीं, 4 जून को पूरे देश के साथ यहां भी चुनाव का परिणाम सामने आएगा।
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