Jammu and Kashmir Election Result: मिलिए सबसे कम उम्र की विजेता शगुन परिहार से, जिनके पिता को हिजबुल आतंकवादियों ने मार दी थी गोली

Shagun Parihar: शगुन परिहार ने जम्मू-कश्मीर की मुस्लिम बाहुल किश्तवाड़ विधानसभा सीट से जीत हासिल की है। उनके पिता और चाचा को हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने मार दिया था। आइए जानते है आज इनके बारे में...

बीजेपी की शगुन परिहार ने जीती किश्तवाड़ विधानसभा सीट

Jammu and Kashmir Election Result: जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव-2024 में एक सीट काफी चर्चा में है। उस सीट का नाम है किश्तवाड़ विधानसभा सीट। इस सीट पर बीजेपी ने शगुन परिहार पर दांव चला था और उन्होंने बीजेपी को यहां से जीत भी दिलाई है। महज 29 साल की उम्र में शगुन परिहार ने 2024 के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में सबसे कम उम्र की विजेता बनकर इतिहास रच दिया। वह 2024 के जम्मू-कश्मीर चुनाव में जीतने वाली सिर्फ तीन महिलाओं में से एक हैं, लेकिन उनकी जीत कड़ी मेहनत से हुई। उन्होंने किश्तवाड़ से जीत हासिल की, जो लंबे समय से उग्रवाद से प्रभावित जिला है। फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि हमने अपने बहुत से सैनिकों को खोया है। मैंने अपने पिता को खोया है, और कुछ ने अपने भाइयों और बेटों को खोया है। मेरी पहली कोशिश यह सुनिश्चित करना होगी कि यहां हर बच्चे के सिर पर पिता का साया हो, इलाके में शांति और समृद्धि हो। मेरी कोशिश हर घर में खुशियां लाना होगा।

आतंकवादियों ने कर दी थी पिता और चाचा की हत्या

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, शगुन परिहार की उम्मीदवारी व्यक्तिगत क्षति से प्रेरित है। हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों ने 1 नवंबर, 2018 को पंचायत चुनाव से पहले उनके पिता, भाजपा कार्यकर्ता अजीत परिहार और उनके चाचा अनिल परिहार की उनके घर के पास हत्या कर दी थी। शुरुआत में अपने अकादमिक करियर पर ध्यान केंद्रित करने वाली शगुन परिहार वर्तमान में पीएचडी कर रही हैं। शगुन परिहार का राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं था। हालांकि, अपने परिवार की विरासत के भार और अपने समुदाय के प्रति जिम्मेदारी की भावना ने उन्हें राजनीति के क्षेत्र में कदम रखने के लिए मजबूर कर दिया। उन्होंने दो राजनीतिक दिग्गजों को हराया: पूर्व मंत्री और एनसी के दिग्गज सज्जाद अहमद किचलू और पीडीपी के फिरदौस अहमद टाक। कड़े मुकाबले में उन्होंने 29053 वोट हासिल किए और किचलू से मात्र 521 वोटों से आगे रहीं।
शगुन को मैदान में उतारने का भाजपा का फैसला किश्तवाड़ में अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए एक रणनीतिक कदम था, यह एक ऐसा जिला है जहां मुस्लिमों की अच्छी खासी आबादी है और हिंदू समुदाय कम है। ऐतिहासिक रूप से नेशनल कॉन्फ्रेंस का गढ़ रही यह सीट पांच बार नेशनल कॉन्फ्रेंस ने जीती है, लेकिन भाजपा ने पहली बार 2014 में सुनील शर्मा के साथ इस सीट पर कब्जा किया था। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने शगुन परिहार के निजी इतिहास की गंभीरता को स्वीकार किया। उनके मारे गए पिता और चाचा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वह सिर्फ हमारी उम्मीदवार नहीं हैं; वह आतंकवाद को खत्म करने के भाजपा के संकल्प का जीता जागता उदाहरण हैं।
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