जम्मू-कश्मीर चुनाव में क्या है सबसे बड़ा मुद्दा? आर्टिकल-370, आतंकवाद या कोई और

Jammu Kashmir Assembly Elections 2024: इस बार के जम्मू-कश्मीर चुनाव 2024 में कौन-कौन से मुद्दे सबसे अहम होने वाले हैं। आर्टिकल-370 के साथ और बाद, आतंकवाद बनाम विकास के विजन के साथ मतदाता मतदान करेंगे। आपको बताते हैं कि बीते कुछ वर्षों में सूबे में कितने अहम बदलाव हुए हैं।

haryana assembly election 2024

जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Assembly Elections 2024: 2018 में जम्मू-कश्मीर में सरकार गिरने और 2019 में आर्टिकल-370 की समाप्ति के बाद घाटी में पहली बार विधानसभा चुनाव होना है। यानी 10 साल बाद यहां विधानसभा चुनाव के लिए मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे।
पहले जम्मू-कश्मीर एक संपूर्ण राज्य था। लेकिन, अब वह एक केंद्रशासित प्रदेश है। यहां तीन चरणों में चुनाव होने हैं। यहां पहले के मुकाबले सीटों की संख्या थोड़ी बढ़ गई है। यहां नए बदलाव के बाद से पुलिस, जमीन और पब्लिक ऑर्डर पर उपराज्यपाल का अधिकार है। जबकि, अन्य सभी मामलों पर चुनी हुई सरकार फैसला करेगी। हालांकि, इसके लिए भी उपराज्यपाल की मंजूरी जरूरी होगी।

जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 सीटों पर चुनाव

पहले जम्मू-कश्मीर में कुल 111 सीटें थीं। जिसमें से जम्मू में 37, कश्मीर में 46 और लद्दाख में 4 सीटें थी और पाकिस्तान के कब्जे वाली कश्मीर के लिए 24 सीटें रखी गई थीं। लेकिन, अब जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 सीटें हैं और पीओके की 24 रिजर्व सीटों को यथावत रखा गया है। वहीं, लद्दाख की जो 4 सीटें होती थीं उनमें विधानसभा चुनाव कराना संभव नहीं है। क्योंकि वह केंद्र सरकार के पूर्णतः अधीन केंद्रशासित प्रदेश हैं।

जम्मू-कश्मीर में 370 के बाद क्या-क्या हुए बदलाव?

आर्टिकल-370 की समाप्ति के बाद जम्मू-कश्मीर में 2022-23 में 66,000 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले। मीडिया के हवाले से बताया गया कि 31 दिसंबर, 2023 तक जम्मू कश्मीर को वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान 2,153.45 करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ, जो पिछले दशक में किसी भी वित्तीय वर्ष की तुलना में सबसे अधिक है। जबकि, 2021 में नई औद्योगिक नीति लागू होने के महज 22 महीनों के भीतर प्रदेश को 5,000 से अधिक घरेलू और विदेशी कंपनियों से निवेश प्रस्ताव मिले।
जम्मू और कश्मीर में अगस्त 2019 से दिसंबर 2023 तक सरकारी क्षेत्र में कुल 31,830 रिक्तियां (जम्मू-कश्मीर बैंक सहित) भरी गई हैं। वहीं, 13 मार्च, 2024 तक के आंकड़ों की मानें तो जम्मू और कश्मीर पीएमईजीपी के तहत रोजगार सृजन में अग्रणी था। 2019 में केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के गठन के बाद यहां पहला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 20 मार्च, 2023 को हुआ था। यह भारत की आजादी के 77 साल बाद हुआ। दुबई के एम्मार ने श्रीनगर के सेमपुरा में एक शॉपिंग मॉल और बहुउद्देश्यीय वाणिज्यिक टावर की आधारशिला रखी।

कई अलगाववादी नेता भी लड़ रहे हैं चुनाव

जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 की समाप्ति का विरोध करने वाले अलगाववादी नेताओं ने भी विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद इसे स्वीकार किया है और कई अलगाववादी नेता भी चुनाव लड़ रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो 13 अलगाववादी नेता घाटी में हो रहे 2024 विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इंजीनियर राशिद की आवामी इत्तेहाद पार्टी और जमात-ए-इस्लामी ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया है। कुलगाम, पुलवामा, देवसर और ज़ैनापोरा इन चार सीटों पर जमात-ए-इस्लामी के नेता स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे हैं।
जबकि, आवामी इत्तेहाद पार्टी के बैनर तले हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के नेता चुनाव मैदान में हैं। वहीं, प्रतिबंधित संगठन अंजुमन शरीए शियान से जुड़े तीन लोग कश्मीर की अलग-अलग पार्टियों के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। उमर हमीद, जावेद हबी, मुनीर खान जैसे अलगाववादी नेता भी इस विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने के लिए मैदान में उतर आए हैं।

पुलिस और सुरक्षाबलों पर होती थी पत्थरबाजी

जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 के हटाए जाने के बाद जिस तरह से घाटी की तस्वीर बदली है और केंद्र सरकार की योजनाओं को जिस तरह से यहां धरातल पर उतारा गया है, यहां की जनता अब चुनाव में उसी को ध्यान में रखकर मतदान करने वाली है। केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के पांच साल बाद बिना किसी रुकावट के घाटी सामान्य दिनचर्या में वापस लौट आया है। यहां इससे पहले आए दिन पथराव और विरोध प्रदर्शनों का दौर चलता रहता था। इसके साथ ही आतंकी घटनाओं में लोग जान गंवा रहे थे। ऐसा घटनाओं में जहां आतंकियों को स्थानीय लोगों का समर्थन प्राप्त होता था या फिर पुलिस और सुरक्षा बलों पर विरोध प्रदर्शनों और जुलूस के दौरान पत्थरबाजी होती थी। जिसमें पुलिस और सुरक्षा बलों के हाथों शांति स्थापित करने की कोशिश में नागरिकों की जान चली जाती थी। लेकिन, सरकारी आंकड़ों की मानें तो पिछले पांच वर्षों में ऐसी एक भी घटना दर्ज नहीं की गई।
इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए सरकार की तरफ से पहल शुरू की गई। उनके जीवनयापन के स्तर में सुधार से लेकर उनको घाटी का हिस्सा बनाने के साथ उन्हें आरक्षण का भी लाभ दिया गया। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर के कुछ गांवों में आजादी के बाद से पहली बार विद्युतीकरण आर्टिकल 370 के हटने के बाद हो पाया। घाटी में इंफ्रास्ट्रक्चर और कनेक्टिविटी के कामों में तेजी आई और साथ ही आर्थिक विकास एवं पर्यटन को तेजी से बढ़ावा मिला।

610 कश्मीरी पंडितों की संपत्ति बहाली

घाटी में बारामूला, बांदीपोरा, शोपियां और गांदरबल जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कश्मीरी पंडित कर्मचारियों के लिए 1,200 फ्लैट का निर्माण किया गया। घाटी से विस्थापित कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए भी सरकार की तरफ से तमाम कोशिशें की जा रही हैं। पहली बार जम्मू में वाल्मिकी समुदाय और विस्थापित लोगों को मतदान करने तथा चुनाव लड़ने का अधिकार प्राप्त हुआ। 610 कश्मीरी पंडितों की संपत्ति बहाली की गई। कश्मीरी प्रवासियों को बड़ी संख्या में नौकरी की पेशकश की गई है।
इसके साथ ही कश्मीर ने जी20 टूरिज्म वर्किंग ग्रुप की बैठक और मिस यूनिवर्स प्रेस कॉन्फ्रेंस जैसे अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की मेजबानी की। श्रीनगर में फॉर्मूला-4 कार रेसिंग इवेंट की शुरुआत भी हुई। इसके साथ गुलमर्ग में मर्सिडीज-बेंज के इलेक्ट्रिक वाहन का भव्य लॉन्च हुआ। इसके साथ जम्मू-कश्मीर में 50 से अधिक फिल्मों की शूटिंग की गई, जिससे स्थिरता को बढ़ावा मिला और पर्यटन को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया।
इसके साथ ही आतंकवाद से जूझ रहे जम्मू-कश्मीर में पिछले 33 वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है कि स्थानीय आतंकवादियों की तुलना में विदेशी आतंकवादियों का खात्मा चार गुना अधिक हुआ है। पूरे केंद्र शासित प्रदेश में मारे गए 46 आतंकवादियों में से 37 पाकिस्तानी थे, जबकि केवल नौ स्थानीय थे। यानी आर्टिकल 370 के खात्मे के बाद तेजी से लोग मुख्य धारा में लौट रहे हैं।
कुल मिलाकर जम्मू-कश्मीर का यह चुनाव आर्टिकल 370 के साथ बनाम आर्टिकल 370 के बाद का है। यानी जम्मू-कश्मीर के मतदाता इस बार आतंकवाद बनाम विकास के विजन के साथ मतदान करने मतदान केंद्र पर पहुंचेंगे।
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | इलेक्शन (elections News) और बजट 2024 (Union Budget 2024) की ताजा समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

आयुष सिन्हा author

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited