Karnataka Election: बीजेपी-कांग्रेस में सत्ता के लिए जंग पर JDS के लिए है अस्तित्व की लड़ाई! बनेगी किंगमेकर या फिर...
Karnataka Election: दलबदल और आंतरिक कलह से त्रस्त और एक पारिवारिक पार्टी होने की छवि के साथ, देवगौड़ा के बेटे एच डी कुमारस्वामी ने एक तरह से अकेले अपने दम पर राज्य भर में जद (एस) के प्रचार का प्रबंधन किया है। इस बार उनके वृद्ध पिता इस मामले में पीछे रहे हैं। कुमारस्वामी ने अपने अभियान को 'पंचरत्न' नामक कार्यक्रम पर केंद्रित किया
कर्नाटक चुनाव में इस बार जेडीएस के लिए अस्तित्व की लड़ाई
Karnataka Election: कर्नाटक चुनाव के लिए बुधवार 10 मई को वोटिंग होनी है। इस चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई दिख रही है, लेकिन इन दोनों की लड़ाई के बीच जेडीएस भी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रही है। बीजेपी कांग्रेस के लिए यह चुनाव जहां सत्ता की लड़ाई है, वहीं जेडीएस के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई बताई जा रही है।
किंगमेकर बनेगी?
पूर्व प्रधानमंत्री एच डी देवेगौड़ा की पार्टी जनता दल (सेक्युलर) के लिए यह राजनीतिक अस्तित्व की लड़ाई साबित हो सकती है। यह क्षेत्रीय पार्टी एक बार फिर से 'किंग' या 'किंगमेकर' बनकर उभरेगी या फिर कांग्रेस-बीजेपी के बीच फंस जाएगी। 2018 में त्रिशंकु जनादेश में जेडीएस किंग बन चुकी है। पिछले कुछ चुनावों की तरह ही इस बार भी राजनीतिक दायरों में इस बारे में बात हो रही है।
कई चुनौतियों का सामना
दलबदल और आंतरिक कलह से त्रस्त और एक पारिवारिक पार्टी होने की छवि के साथ, देवगौड़ा के बेटे एच डी कुमारस्वामी ने एक तरह से अकेले अपने दम पर राज्य भर में जद (एस) के प्रचार का प्रबंधन किया है। इस बार उनके वृद्ध पिता इस मामले में पीछे रहे हैं। कुमारस्वामी ने अपने अभियान को 'पंचरत्न' नामक कार्यक्रम पर केंद्रित किया, जिसमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, आवास, किसान कल्याण और रोजगार के मुद्दों को शामिल किया गया और कहा कि इन्हें जेडीएस के सत्ता में आने पर लागू किया जाएगा।
आखिरी समय में देवगौड़ा की एंट्री
हालांकि 89 वर्षीय देवेगौड़ा शुरुआत में उम्र संबंधी बीमारियों के कारण चुनाव प्रचार से दूर रहे, लेकिन उन्होंने पिछले कुछ सप्ताह में जद (एस) के उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया, विशेष रूप से पार्टी के गढ़ माने जाने वाले पुराने मैसूर क्षेत्र में।
क्या है इतिहास
वर्ष 1999 में अपने गठन के बाद से, जेडीएस ने कभी भी अपने दम पर सरकार नहीं बनाई है। लेकिन दोनों राष्ट्रीय दलों के साथ गठबंधन में वह दो बार सत्ता में रही है। फरवरी 2006 से वह भाजपा के साथ 20 महीने सरकार में रही और मई 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के साथ 14 महीने सरकार में रही। जिसके मुख्यमंत्री कुमारस्वामी रहे।
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