क्या भाजपा को मिलेगा आदिवासियों का साथ, या राह होगी मुश्किल? समझिए झारखंड का चुनावी समीकरण
Jharkhand Chunav: क्या झारखंड में सत्ता परिवर्तन होने वाला है? ये सवाल इसलिए उठ रहा है, क्योंकि भाजपा को पूरी उम्मीद है कि वो झारखंड विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर रही है। हालांकि फिलहाल भविष्यवाणी करने से पहले ये देखना होगा कि क्या भाजपा को आदिवासियों का साथ मिलेगा या राह मुश्किल होगी?

झारखंड चुनाव में भाजपा का क्या होगा?
BJP Plan for Jharkhand: झारखंड विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने के बाद तमाम राजनीतिक दलों ने अपनी तैयारी तेज कर दी है। सभी दल सभी वर्ग के मतदाताओं को साधने में जुट गए हैं। झारखंड में आदिवासी समुदाय सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कहा जाता है कि जिस दल के साथ आदिवासी हैं, उसकी जीत की राह आसान हो जाती है।
आदिवासी समाज के लोग किस दल को देंगे अपना आशीर्वाद
ऐसे में हर किसी के जहन में यह सवाल है कि आदिवासी समाज के लोग किस दल को अपना आशीर्वाद देंगे। सवाल यह भी है कि क्या आदिवासी समाज के लोग भाजपा को अवसर देंगे या फिर उनकी राह मुश्किल करेंगे।
भाजपा और झारखंड मुक्ति मोर्चा दोनों दलों को आदिवासी समाज का साथ मिल सकता है। भाजपा कई बार आदिवासी समाज के लिए अपनी योजनाओं के माध्यम से उनके विकास की बात करती रही है। इसके अलावा, देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास और मुख्यमंत्री मोहन माझी जैसी हस्तियां आदिवासी समाज से ताल्लुक रखती हैं। ऐसे में यह माना जा रहा है कि भाजपा आदिवासी समुदाय पर विशेष ध्यान दे रही है और अपनी पकड़ को लगातार मजबूत कर रही है।
आदिवासी मुख्यमंत्री को साजिश के तहत फंसाने का उठेगा मुद्दा?
दूसरी तरफ, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी आदिवासी समाज से आते हैं। जब वह जेल गए तो उनके समर्थकों का आरोप था कि भाजपा ने आदिवासी मुख्यमंत्री को साजिश के तहत फंसाकर जेल भेजा था। इस बात पर विपक्षियों पार्टियों ने भी मुखरता दिखाई थी। इसलिए भावनात्मक तौर पर आदिवासी समाज के लोग हेमंत सोरेन की पार्टी के साथ भी खड़े हो सकते हैं। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा का गहरा असर है और हेमंत सोरेन के नेतृत्व में यह पार्टी आदिवासी वोट बैंक के लिए जानी जाती है।
लेकिन, पिछले पांच सालों में झामुमो के कई कद्दावर नेता हेमंत सोरेन से अलग हो चुके हैं। इस लिस्ट में शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और 'झारखंड टाइगर' के नाम से मशहूर चंपई सोरेन भी शामिल हैं। दूसरी तरफ, आदिवासी समाज के कई बड़े चेहरे भाजपा में शामिल हुए हैं। इनमें कद्दावर नेता बाबूलाल मरांडी का भी नाम शामिल है। यह झामुमो के लिए पूरी तरह अनुकूल स्थिति नहीं है।
ज्ञात हो कि झारखंड की 81 में से 43 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासियों की आबादी 20 फीसदी से ज्यादा है। 43 में से 22 विधानसभा सीटें तो ऐसी हैं जहां आधी से ज्यादा आबादी आदिवासियों की है। आदिवासी समाज के लोगों के लिए जल, जंगल, जमीन और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दे बहुत अहम रहे हैं। इसी को देखते हुए भाजपा, कांग्रेस से लेकर तमाम क्षेत्रीय पार्टियां ने इन मुद्दों को अपने चुनावी एजेंडे में शामिल किया है।
(इनपुट: IANS)
देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) पढ़ें हिंदी में और देखें चुनाव से जुड़ी सभी छोटी बड़ी न्यूज़ Times Now Navbharat Live TV पर। भारत के चुनाव (Elections) अपडेट और विधानसभा चुनाव के प्रमुख समाचार पाएं Times Now Navbharat पर सबसे पहले ।

मैं टाइम्स नाउ नवभारत (Timesnowhindi.com) से जुड़ा हुआ हूं। कलम और कागज से लगाव तो बचपन से ही था, जो धीरे-धीरे आदत और जरूरत बन गई। मुख्य धारा की पत्रक...और देखें

Bihar Elections: 'मुझे किस सीट से लड़ना चाहिए विधानसभा चुनाव...' चिराग पासवान ने कही यह बड़ी बात

'मैं अब भाजपा में नहीं हूं...' बिहार चुनाव से पहले मशहूर यू-ट्यूबर मनीष कश्यप ने छोड़ी BJP

केरल के नीलांबुर सीट पर दिलचस्प हुआ विधानसभा उपचुनाव, 4 उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुकाबला

असम में दो और तमिलनाडु में छह राज्यसभा सीटों के लिए 19 जून को होगा मतदान, जानिए समीकरण

Kerala By Election: नीलांबुर उपचुनाव के लिए कांग्रेस ने आर्यदान शौकत को चुनावी मैदान में उतारा, 19 जून को है मतदान
© 2025 Bennett, Coleman & Company Limited