के ईशवरप्पा बोले नहीं चाहिए मुस्लिम वोट, आखिर क्या है कर्नाटक में इन वोटर्स की गणित
Muslims Voter in Karnataka: बीजेपी के कद्दावर नेता के ईशवरप्पा ने शिवमोग्गा में लिंगायत औल वीरशैव समाज को संबोधित करते हुए कहा कि मुस्लिमों का वोट नहीं चाहिए, हालांकि राष्ट्रभक्त मुस्लिम हैं जो बीजेपी को पसंद करते हैं, ऐसे में मुस्लिम समाज की राजनीतिक शक्ति को समझना होगा।
बीजेपी के के ईशवरप्पा ने दिया था बड़ा बयान
- कर्नाटक में 13 फीसद मुस्लिम आबादी
- 40 विधानसभा सीटों पर असर
- उत्तर कर्नाटक के जिलों में ज्यादा प्रभाव
Muslims Voter in Karnataka: आम तौर पर बीजेपी के बारे में अल्पसंख्यक समाज खासतौर से मुस्लिम आबादी का मानना है कि वो उसकी विरोधी है। हालांकि पीएम नरेंद्र मोदी सबका साथ, सबका विकास(pm narendra modi sabka sath, sabka vikas) की बात करते हैं। बीजेपी(bjp) के बारे में विरोध दल यह भी सवाल उठाते हैं कि अगर मुस्लिम समाज से प्रेम है तो टिकट क्यों नहीं देते। इस सवाल के जवाब में बीजेपी के नेता कहते हैं कि विनेबिलिटी(Karnataka assembly elections 2023) यानी कि किसके जीतने की संभावना अधिक है उस पर ध्यान देते हैं। अगर आप बीजेपी को देखें तो तमाम मुस्लिम चेहरे बीजेपी की सरकारों में हैं। लेकिन यह सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ जब बीजेपी के कद्दावर नेता के ईशवरप्पा ने शिवमोग्गा में कहा कि पार्टी को मुसलमानों का वोट नहीं चाहिए। इस संदर्भ में हम बताना चाहेंगे कि कर्नाटक की राजनीति में मुसलमानों(muslim voters role in karnataka) की भूमिका क्या है।
13 फीसद मुसलमान और 40 सीटों पर असर
अगर कर्नाटक में सीटों की संख्या की बात करें तो विधानसभा की कुल 224 सीट हैं। सरकार बनाने के लिए 113 के जादुई आंकड़े की जरूरत होती है। इसका अर्थ यह है कि अगर कोई भी दल 113 विधायक की संख्या को हासिल करे तो वो सरकार बना सकता है। अब यहां बात करेंगे कि कर्नाटक में मुस्लिम आबादी कितनी है और कितनी सीटों पर उनका प्रभाव है। कर्नाटक में कुल आबादी में 13 फीसद मुसलमान(13 percentage muslims in karnataka) हैं और करीब 40 सीटों पर असर है। यानी कि 40 वो सीटें हैं जहां मुस्लिम समाज जीत और हार में निर्णायक भूमिका अदा करता है।
उत्तर कर्नाटक में ज्यादा मुस्लिम आबादी
वैसे तो कर्नाटक के सभी जिलों में मुस्लिम आबादी(Muslim Populations in North Karnataka) है। लेकि उत्तर कर्नाटक के गुलबर्गा, बीदर, बीजापुर, रायचूर और धारवाड़ में आबादी अधिक है। अगर बात शहर की करें तो उत्तर कन्नड़ा में भटकल शहर में मुस्लिम आबादी 74 फीसद है जो सर्वाधिक है इसके बाद जाली औक वेंकटपूरा में भी बड़ी तादाद में आबादी है।
क्या कहते हैं जानकार
जानकारों का कहना है कि बीजेपी को और मुस्लिम समाज दोनों को लगता है कि वो एक दूसरे के विकल्प नहीं हैं। अगर आप 224 सीटों ंमें से 40 सीटों को माइनस कर दें तो सीटों की संख्या 184 होती है। बीजेपी प्रभावी तौर पर यह मानकर चलती है कि 184 सीटों पर पूरी ईमानदारी, लगन और आक्रामक होकर चुनाव लड़ने की जरूरत है। लिहाजा उसके नेता इस तरह के बयानों के जरिए वोटर्स का ध्रुवीकरण करते हैं। इसके अलावा आप को यह भी देखना होगा कि तिसी नेता ने किस इलाके में बयान दिया है। अगर आप के ईशवरप्पा के बयान को देखें तो उनका बयान शिवमोग्गा में आया जहां पर लिंगायत और वीरशैव समाज की आबादी अधिक है।
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