Karnataka Assembly Election 2023 : कर्नाटक की इन 5 सीटों पर होगा महामुकाबला, मैदान में बड़े-बड़े दिग्गज

Karnataka Assembly Election 2023 : कर्नाटक की अठानी सीट हाई प्रोफाइल सीट बन गई है। भाजपा से इस सीट पर महेश कुमाथलिम उम्मीदवार हैं। महेश दो बार से विधायक हैं। इस सीट पर इनका मुकाबला तीन बार विधायक रह चुके लक्ष्मण सावदी से है। टिकट न मिलने पर सावदी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं।

कर्नाटक चुनाव में इस बार बड़े-बड़े दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है।

Karnataka Assembly Election 2023 : कर्नाटक विधानसभा चुनाव-2023 के लिए नामांकन वापस लेने की तिथि गत 24 अप्रैल को बीत जाने के बाद विधानसभा की सभी 224 सीटों की चुनावी तस्वीर साफ हो गई है। 517 उम्मीदवारों के नामांकन वापस लेने के बाद चुनाव मैदान में अब कुल 2,613 उम्मीदवार हैं। इनमें 2427 उम्मीदवार पुरुष, 184 महिलाएं और दो अन्य हैं। भाजपा 224 सीटों, कांग्रेस 223, जेडी-एस 207, AAP 209, बसपा 133, माकपा 4, जेडी-यू 8 और एनपीपी दो सीटों पर चुनाव लड़ रही है। राज्य में इन सभी पार्टियों के दिग्गज उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन कुछ सीटें ऐसी हैं जहां पर बहुत ही दिलचस्प एवं करीबी मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है। यहां हम ऐसी ही 5 बड़ी सीटों के बारे में बताएंगे-

अठानी (Athani)

कर्नाटक की अठानी सीट हाई प्रोफाइल सीट बन गई है। भाजपा से इस सीट पर महेश कुमाथलिम उम्मीदवार हैं। महेश दो बार से विधायक हैं। इस सीट पर इनका मुकाबला तीन बार विधायक रह चुके लक्ष्मण सावदी से है। टिकट न मिलने पर सावदी भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं। जानकारों का मानना है कि यहां मुकाबला कुमाथली बनाम सावदी कम बल्कि रमेश जरकीहोली बनाम सावदी ज्यादा है। क्योंकि बताया जाता है कि जरकीहोली के इशारे पर ही सावदी का टिकट काटकर कुमाथली को इस सीट पर उम्मीदवार बनाया गया। टिकट कटने से नाराज सावदी ने पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए।

चन्नापटना (Channapatna)

चन्नापटना सीट से जेडी-एस नेता एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी चुनाव मैदान में हैं। इस सीट पर उनका मुकाबला पांच बार के विधायक भाजपा उम्मीदवार सीपी योगेश्वर से है। इस सीट पर कड़े मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है। चन्नापटना इलाके में कुमारस्वामी की पकड़ अच्छी मानी जाती है। रामनगरा सीट से कुमारस्वामी के बेटे निखिल भी चुनाव मैदान में है। वहीं, योगेश्वर के लिए यह चुनाव उनके राजीनीतिक अस्तित्व के लिए अहम साबित होगा। वह एक दशक में चार बार दल बदल चुके हैं।

End Of Feed