वाह भाई वाह बजरंग बली ठीक तकबीर बोलूं तो सांप्रदायिकता, असदुद्दीन ओवैसी ने कसा तंज

Karnataka Assembly Elections 2023: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अब जोरों पर है। कर्नाटक की सभाओं में अब बजरंग बली पर चर्चा होने लगी है। बीजेपी और कांग्रेस के बाद अब एआईएमआईएम के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी भी इस जंग में कूद पड़े हैं।

एआईएमआईएम के मुखिया हैं असदुद्दीन ओवैसी

मुख्य बातें
  • कर्नाटक में 10 मई को मतदान
  • 13 मई को आएंगे नतीजे
  • प्रचार में बजरंग बली का मुद्दा छाया

Karnataka Assembly Elections 2023: कर्नाटक विधानसभा की सभी 224 सीटों के लिए मतदान 10 मई को होगा। सभी राजनीतिक दल मतदाताओं के दिल और दिमाग में जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। विकास के मुद्दे पर शुरु हुआ प्रचार पर अब जाति और धर्म पर केंद्रित होता जा रहा है। कर्नाटक की रैलियों में बीजेपी लगातार कांग्रेस पर आरोप लगा रही है कि वो बजरंग बली (Bajrang bali) का अपमान कर रही है। हाल ही में एक रैली में पीएम नरेंद्र मोदी(Narendra Modi) ने मतदाताओं से अपील करते हुए कहा कि जब मतदान के लिए बटन दबाना तो बजरंग बली का नाम लेकर कांग्रेस को सजा देना। कांग्रेस भी पीछे नहीं रही, कद्दावर नेता डी के शिवकुमार(DK Shivkumar) ने कहा कि अगर पार्टी सत्ता में आती है तो राज्य के अलग अलग हिस्सों में बजरंग अली के मंदिर बनाए जाएंगे। इन दोनों शख्सियतों के बयानों पर एआईएमआईएम मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अगर अल्ला हूं अकबर की तकरीर करें तो लोग कहेंगे कि ओवैसी सांप्रदायिकता वाली राजनीति कर रहे हैं।

'अगर तकबीर का नारा लगाएं तो..'

ओवैसी ने पहले कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पूछा कि अगर आप बजरंग बली के मंदिर बनाने की बात करते हैं तो क्या हुबली में जिस दरगाह को गिराया गया क्या उसे आप दोबारा बनवाएंगे। सच तो यह है कि कांग्रेस ने वैचारिक तौर पर बीजेपी के सामने सरेंडर कर दिया है। इसके साथ ही बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर वो तकबीर का नारा लगाएं तो क्या पीएम मोदी को मंजूर होगा।

'कांग्रेस और बीजेपी दोनों जिम्मेदार'

कोलार में रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि पीएम बोलते हैं कि बटन दबाने से पहले बजरंग बली का नारा लगाना, क्या यह धर्मनिरपेक्षता है। अगर वो कहें कि 10 मई को अल्लाहू अकबर का नारा लगाकर वोट देना तो तो मीडिया के लोग हंगामा मचाने लगेंगे। वो कहना शुरू कर देंगे कि ओवैसी सांप्रदायिकता की राजनीति कर रहा है। हकीकत यह है कि दोनों दल कर्नाटक की जनता के साथ छल कर रहे हैं। कर्नाटक में स्कूलों की तस्वीर यह है कि क्लास 3 का छात्र क्लास 2 की किताब नहीं पढ़ पाता। सिर्फ तीन फीसद बच्चों को पौष्टिक आहार मिल रहा है। इस तरह के हालात के लिए कोई और नहीं बल्कि कांग्रेस और बीजेपी दोनों जिम्मेदार हैं।

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