लालू यादव के एक दांव से किनारे लग गए पप्पू यादव-कन्हैया कुमार, तेजस्वी के लिए कोई चुनौती बने RJD सुप्रीमो को मंजूर नहीं
Loksabha Election 2024 : बेगूसराय सीट पर भी कांग्रेस की दावेदारी थी, वह इस सीट से अपने तेजतर्रार नेता कन्हैया कुमार को चुनाव लड़ाना चाहती थी लेकिन सीट बंटवारे में यह सीट लेफ्ट के खाते में चली गई है। इससे कन्हैया कुमार के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है।
बिहार में पहले चरण में चार सीटों पर होगा मतदान।
Loksabha Election 2024 : बिहार में सीट बंटवारे पर महागठबंधन में फंसा पेच आखिरकार सुलझ गया है। इस सीट बंटवारे पर सहमति कई दौर की बैठक एवं चर्चाओं के बाद बनी है। कौन कितने सीटों पर चुनाव लड़ेगा इसका फॉर्मूला राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और लेफ्ट के बीच तय हो गया है। बिहार में राजद सबसे ज्यादा 26 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। कांग्रेस के हिस्से में 9 सीटें आई हैं जबकि लेफ्ट 5 सीटों पर चुनाव लड़ेगा। लेफ्ट की इन पांच सीटों में से तीन सीटें माले, बेगूसराय भाकपा और खगड़िया माकपा के खाते में गई हैं। लेकिन सीट बंटवारा होने के बाद भी पूर्णिया सीट को लेकर पेंच फंसा हुआ है। पप्पू यादव इस सीट पर अपनी दावेदारी छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। बयान देकर उन्होंने इस सीट पर सस्पेंस और बढ़ा दिया है।
पूर्णिया-बेगूसराय दोनों सीटें राजद के पास
इस सीट बंटवारे में सबसे खास बात यह है कि कांग्रेस की दावे वाली दोनों सीटें पूर्णिया और बेगूसराय राजद के पास हैं। कांग्रेस इन दोनों सीटों पर शुरू से ही अपने उम्मीदवारों के लिए दावेदारी करती आ रही थी लेकिन ऐसा लगता है कि सीट बंटवारे में राजद सुप्रीमो लालू यादव की ही चली है। लालू यादव के दांव ने पप्पू यादव और कन्हैया कुमार दोनों को किनारे लगा दिया है। पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ने के लिए पप्पू यादव ने यहां तक कि अपनी जन अधिकार पार्टी का कांग्रेस में विलय कर दिया। वह पूर्णिया सीट से चुनाव लड़ने पर अड़े हुए थे। उन्होंने कहा था कि वह दुनिया छोड़ देंगे लेकिन पूर्णिया नहीं छोड़ेंगे।
पप्पू यादव ने फिर किया पूर्णिया सीट पर दावा
पूर्णिया सीट राजद के खाते में जाने के बावजूद पप्पू यादव के तेवर नरम नहीं हुए हैं। उन्होंने इस सीट पर अपनी दावेदारी और तेज कर दी है। पप्पू यादव ने कहा है कि वह दो अप्रैल को इस सीट से अपन नामांकन दाखिल करेंगे। ध्यान देने वाली बात यह है कि जदयू से राजद में शामिल हुईं बीमा भारती इस सीट से पर्चा भरने वाली हैं। उन्हें राजद से टिकट मिला है। पप्पू यादव ने शनिवार को कहा कि वह पूर्णिया में कांग्रेस का झंडा लहराकर रहेंगे। जाहिर है कि पप्पू यादव की इस घोषणा करने के बाद राजद और कांग्रेस के बीच टकराव बढ़ सकता है।
तेजस्वी को कोई चुनौती दे, लालू पसंद नहीं करेंगे
बेगूसराय सीट पर भी कांग्रेस की दावेदारी थी, वह इस सीट से अपने तेजतर्रार नेता कन्हैया कुमार को चुनाव लड़ाना चाहती थी लेकिन सीट बंटवारे में यह सीट लेफ्ट के खाते में चली गई है। इससे कन्हैया कुमार के राजनीतिक भविष्य पर सवाल खड़ा हो गया है। कन्हैया कुमार चुनाव लड़ेंगे या नहीं इस पर भी संशय बरकरार है। दरअसल, राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि लालू यादव ने बड़े करीने से पप्पू यादव और कन्हैया कुमार दोनों को किनारे लगा दिया है। राजनीति के जानकारों का कहना है कि आगे चलकर महागठबंधन का कोई नेता तेजस्वी यादव को चुनौती दे, यह लालू यादव कभी नहीं चाहेंगे। इसलिए जब भी मौका मिलता है तो वे ऐसी राजनीतिक संभावनाओं को खत्म कर देते हैं।
लालू किसी नेता को उभरने नहीं देंगे
पप्पू यादव पहले राजद में थे और फिर अलग होकर अपनी अलग पार्टी बनाई। महागठबंधन की सरकार के दौरान पप्पू यादव जमकर तेजस्वी और तेजप्रताप को कोसते और उनकी आलोचना करते थे। महागठबंधन में शामिल होने के मौके पर पप्पू यादव भले ही जाकर लालू यादव और तेजस्वी से मिले लेकिन जानकार मानते हैं कि राजद सुप्रीमो ने उन्हें मन से माफ नहीं किया है। लालू राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं वे कभी नहीं चाहेंगे कि बिहार में कोई भी उनके परिवार के लिए चुनौती बने। कन्हैया अपनी वाकपटुता के लिए जाने जाते हैं। वह अपनी बातों से लोगों को प्रभावित तो कर लेते हैं लेकिन उसे वोट में तब्दील करने की क्षमता अभी उनमें नहीं है। यह बात पिछले लोकसभा चुनाव में उनके प्रदर्शन से देखी जा सकती है।
भूमिहार मतदाता तय करते हैं बेगूसराय की सियासी किस्मत
2019 लोकसभा चुनाव में वह भाकपा के टिकट पर बेगूसराय से चुनाव लड़े। इस सीट पर उनका मुकाबला भारतीय जनता पार्टी के दिग्गज नेता गिरिराज सिंह से हुआ। खास बात यह है कि दोनों नेता भूमिहार समुदाय से आते हैं और इस सीट पर इस समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। 2019 के चुनाव में इस सीट पर करीब 62 प्रतिशत मतदान हुआ। बेगूसराय का जातीय समीकरण भूमिहार उम्मीदवार के लिए फिट बैठता है। इस सीट पर भूमिहार मतदाता करीब 4 लाख 75 हजार हैं जो चुनाव में अहम भूमिका निभाते हैं। जबकि कुशवाहा और कुर्मी वोटरों की संख्या तकरीबन दो लाख से ज्यादा है। यादव जाति वोटर करीब डेढ़ लाख और इसके बाद ब्राह्मण और राजपूत जाति के मतदाताओं की संख्या है। दिलचस्प बात यह है कि इस चुनाव में भी लालू ने कन्हैया कुमार को वॉक ओवर नहीं दिया। राजद ने उनके खिलाफ अपना उम्मीदवार उतारा था।
ऐसा था पूर्णिया, बेगूसराय का 2019 का चुनाव परिणाम
2019 में पूर्णिया सीट जद-यू के हिस्से में आई थी। इस सीट पर जदयू के संतोष कुमार विजयी हुए। उन्हें 632,924 वोट यानी 54.8% वोट मिले। दूसरे स्थान पर कांग्रेस के उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह रहे। कांग्रेस उम्मीदवार को 369,463 वोट मिले। बेगूसराय सीट पर भाजपा से गिरिराज सिंह विजयी हुए। गिरिराज को 692,193 वोट जबकि दूसरे स्थान पर भाकपा उम्मीदवार कन्हैया कुमार को 269,976 वोट मिले। राजद ने यहां से मोहम्मद तनवीर हसन को टिकट दिया। हसन को 198,233 वोट मिले थे। इस सीट पर सिंह और कन्हैया कुमार के बीच कांटे की टक्कर होने की बात कही गई थी लेकिन चुनाव नतीजा जब आया तो यह बात साफ हो गई कि कन्हैया भाजपा उम्मीदवार से काफी पीछे रह गए। राजद और भाकपा के वोटों को यदि मिला भी दें तो गिरिराज सिंह भारी पड़े।
पहले चरण में बिहार की 4 सीटों पर मतदान
कांग्रेस ने 2019 में नौ सीटों पर चुनाव लड़ा था और वह एक सीट किशनगंज में विजयी हुई। जबकि 19 सीटों पर राजद ने चुनाव लड़ा लेकिन एक भी सीट पर उसे जीत नहीं मिली। इस चुनाव में एनडीए ने 39 सीटों पर जीत का परचम लहराया। भाजपा ने 17, जदयू ने 16 और लोजपा ने छह सीटों पर कब्जा जमाया। पहले चरण में बिहार की चार सीटों औरंगाबाद, जमुई, गया और नवादा सीट पर चुनाव होना है। इन सीटों पर राजद ने पहले ही अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए थे।
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