SC, ST और OBC कोटा बचाने के लिए मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ है भाजपा: सीएम योगी

Lok Sabha Election 2024: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है । टीएमसी पर अपने हमलों को तेज करते हुए सीएम योगी ने 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी सभी ओबीसी प्रमाण पत्रों को रद्द करने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय को धन्यवाद भी दिया।

CM Yogi

मुस्लिम आरक्षण के खिलाफ है भाजपा: सीएम योगी

Uttar Pradesh Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है । उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (BJP) किसी भी तरह के मुस्लिम आरक्षण का विरोध करती है। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर आरक्षण असंवैधानिक है। बाबा साहेब अंबेडकर ने इसका कड़ा विरोध किया था, लेकिन कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की पार्टियां मुस्लिम आरक्षण देने की होड़ में लगी हुई हैं।

TMC पर सीएम योगी ने साधा निशाना

टीएमसी पर अपने हमलों को तेज करते हुए सीएम योगी ने 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी सभी ओबीसी प्रमाण पत्रों को रद्द करने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने 2010 में 118 मुस्लिम जातियों को ओबीसी श्रेणी में शामिल करके पिछले 14 वर्षों से ओबीसी के आरक्षण अधिकारों पर पूरी तरह से डकैती डाली है। हम कलकत्ता उच्च न्यायालय को धन्यवाद देना चाहते हैं, जिसने टीएमसी के इस तरह के असंवैधानिक कृत्य पर कड़ी फटकार लगाई है।
सीएम योगी ने कहा कि इसी तरह बिहार में लालू जी कह चुके हैं कि मुसलमानों को आरक्षण मिलना चाहिए, उन्हें यह आरक्षण कहां से मिलेगा, वे ओबीसी, एससी, एसटी का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को देना चाहते हैं। उन्होंने आगे कहा कि भाजपा एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण की रक्षा के लिए किसी भी तरह के मुस्लिम आरक्षण का विरोध करती है। सीएम योगी ने कहा कि भाजपा एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण की रक्षा के लिए किसी भी तरह के मुस्लिम आरक्षण का विरोध करती है और दूसरी बात यह है कि मुस्लिम आरक्षण असंवैधानिक भी है और अगर इस तरह की कुप्रथा को लागू करने की कोशिश की जाती है तो देश की अखंडता प्रभावित होगी।
22 मई को जारी कलकत्ता उच्च न्यायालय के निर्देश में पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग को 1993 के अधिनियम के अनुसार ओबीसी की एक नई सूची तैयार करने का निर्देश दिया गया है। 2010 से पहले ओबीसी सूची में शामिल व्यक्तियों की स्थिति बरकरार रहेगी, जबकि 2010 के बाद किए गए नामांकन रद्द कर दिए जाएंगे। अनुमान है कि इस निर्णय के परिणामस्वरूप लगभग पांच लाख ओबीसी प्रमाण पत्र अमान्य हो जाएंगे।
हालांकि, जिन व्यक्तियों ने ओबीसी कोटे के तहत नौकरी प्राप्त की है या उन्हें प्राप्त करने की प्रक्रिया में हैं, वे प्रभावित नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें कोटे से बाहर नहीं रखा जा सकता है। कलकत्ता उच्च न्यायालय द्वारा 2010 के बाद पश्चिम बंगाल में जारी किए गए ओबीसी प्रमाण पत्रों को रद्द करने के कुछ घंटों बाद, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि वह इस फैसले को स्वीकार नहीं करेंगी और ओबीसी आरक्षण जारी है और हमेशा जारी रहेगा।
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Shashank Shekhar Mishra author

शशांक शेखर मिश्रा टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल (www.timesnowhindi.com/ में बतौर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। इन्हें पत्रकारिता में करीब 5 वर्षों का अनुभव ह...और देखें

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