Azamgarh Lok Sabha Election: सपा-भाजपा में कांटे की टक्कर, किसका गढ़ है आजमगढ़? 4 जून को उठेगा पर्दा
Azamgarh Lok Sabha Election: समाजवादी पार्टी ने आजमगढ़ लोकसभा सीट से धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को एक बार फिर से मौका दिया है। आजमगढ़ लोकसभा सीट पर छठे चरण में मतदान हो चुके हैं, अब इंतजार है तो चुनाव परिणामों का।

Azamgarh Lok Sabha Seat
Azamgarh Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 की चर्चित सीटों में आजमगढ़ लोकसभा सीट का भी नाम आता है। भले ही यह सीट कभी एक पार्टी का गढ़ न रही हो, लेकिन समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता दिवंगत मुलायम सिंह यादव ने इस सीट पर रमाकांत यादव जैसे दिग्गज नेता को हराकर जीत हासिल की थी। तब से सपा इस सीट को अपना गढ़ मानती है, लेकिन 2020 के उपचुनाव में भाजपा ने भोजपुर सुपरस्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को मैदान में उतारकर भारी उलटफेर किया था। हालांकि, इस बार के चुनाव में यहां सपा और भारतीय जनता पार्टी के बीच करीबी मुकाबला है।
समाजवादी पार्टी ने इस सीट से धर्मेंद्र यादव को उम्मीदवार बनाया है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी ने दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ को एक बार फिर से मौका दिया है। आजमगढ़ लोकसभा सीट पर छठे चरण में मतदान हो चुके हैं, अब इंतजार है तो चुनाव परिणामों का। आइए जानते हैं इस सीट का इतिहास...
रमाकांत यादव के इर्द-गिर्द घूमती है सियासत
आजमगढ़ की सियासत रमाकांत यादव के इर्द-गिर्द ही घूमती है। वह जिस पार्टी के सिंबल से चुनाव लड़े उन्हें जीत हासिल हुई। 1999 के लोकसभा चुनाव में रमाकांत यादव ने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद उन्होंने 2004 में बसपा के सिंबल पर चुनाव लड़कर सपा उम्मीदवार दुर्गा प्रसाद यादव को हराया। 2009 के लोकसभा चुनाव में रमाकांत यादव भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर संसद पहुंचे।
मोदी लहर में मुलायम ने जीती थी सीट
2009 के लोकसभा चुनाव के बाद 2014 में एक बार फिर से रमाकांत यादव भाजपा के सिंबल पर चुनावी मैदान में थे। हालांकि, इस चुनाव में समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव मैदान में उतरे और उन्होंने रमाकांत यादव जैसे दिग्गज नेता को हराकर जीत हासिल की। इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने इस सीट से चुनाव लड़ा और संसद पहुंचे। हालांकि, 2020 में अखिलेश यादव यूपी की राजनीति के लिए इस सीट को छोड़ दिया, जिसके बाद भाजपा के टिकट पर दिनेश यादव यादव उर्फ निरहुआ को मैदान में उतारा और उन्होंने जीत हासिल की।
आजमगढ़ के जातीय समीकरण
आजमगढ़ की राजनीति यादव, मुस्लिम और दलित के इर्द-गिर्द ही घूमती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यहां 21 फीसदी यादव वोटर, 19 फीसदी दलित और 17 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं, भूमिहार, ठाकुर, ब्राह्मण और कायस्थ समाज के मतदाता भी इस सीट पर हैं।
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