छिंदवाड़ा सीट पर कड़ी टक्कर।
Lok Sabha Election 2024: भाजपा ने मध्य प्रदेश की छिंडवाड़ा सीट पर होने वाले मुकाबले को और भी रोचक बना दिया है। कमलनाथ का गढ़ कहा जाने वाला ये एकमात्र लोकसभा सीट है, जिसपर पिछले दो चुनावों में कांग्रेस की शाख बच पाती है। 2014 में कमलनाथ और फिर 2019 में उनके बेटे नकुलनाथ ने इस सीट पर अपना कब्जा जमाया था। एक बार फिर कांग्रेस की ओर से नकुल को उम्मीदवार बनाया गया है, मगर भाजपा ने ऐसा दांव चला जिससे वाकई सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है।
छिंदवाड़ा सीट पर भाजपा ने खेला मास्टरस्ट्रोक
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मध्य प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों के लिए अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। पहली लिस्ट में 24 और दूसरी सूची में शेष 5 उम्मीदवारों पर मुहर लगा दी गई है। खास बात ये है कि दूसरी सूची में भाजपा ने कमलनाथ के गढ़ कहे जाने वाले छिंदवाड़ा से ऐसे नेता को टिकट दिया, जिसने सभी का ध्यान आकर्षित कर लिया है। विवेक बंटी साहू वो नाम है जो छिंदवाड़ा में मौजूदा कांग्रेस सांसद नकुलनाथ को टक्कर देंगे।
विधानसभा चुनाव में कमलनाथ की बढ़ाई थी टेंशन
बीते मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 में जब छिंदवाड़ा सीट पर मतगणना शुरू हुई तो पहले राउंड से ही पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को बंटी साहू ने पीछे कर दिया था, वो कई राउंड तक आगे चले। इस बीच कांग्रेस और कमलनाथ दोनों की टेंशन बढ़ने लगी। हालांकि लगातार बढ़त बनाते-बनाते दोपहर तक जब मतगणना अंतिम दौर में पहुंचने लगी तो बंटी साहू धीरे-धीरे पीछे होते चले गए। छिंदवाड़ा सीट पर लोकसभा चुनाव 2024 के लिए उम्मीदवार उतारने से पहले भाजपा आलाकमान की निगाहें विधानसभा चुनाव की उस मतगणना पर जरूर पड़ी होगी।
विधानसभा चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ को विवेक बंटी साहू ने टक्कर दी थी। कांग्रेस के कमलनाथ को 132,302 वोट मिले थे, जबकि विवेक बंटी साहू के खाते में 95,708 वोट आए थे। हालांकि 10 साल पहले इस विधानसभा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस को 25 वोटों से मात दी थी। विवेक कुमार 'बंटी साहू' को टिकट देकर भाजपा ने अब नकुलनाथ की टेंशन बढ़ा दी है।
नकुलनाथ के लिए क्यों टेंशन की बात, समझिए वजह
छिदवाड़ा लोकसभा सीट पर लंबे अरसे से नकुलनाथ के पिता और मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम कमलनाथ का दबदबा रहा है। मोदी लहर के बावजूद भी कमलनाथ ने यहां से साल 2014 में एक लाख से अधिक वोटों से भाजपा प्रत्याशी को शिकस्त दी थी। हालांकि जब कमलनाथ की जगह 2019 में उनके बेटे को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया तो चुनावी नतीजों में उन्हें महज 37,536 वोटों से जीत हासिल हुई। ऐसे में कांग्रेस ने एक बार फिर नकुल को मैदान में उतारा है। साल 2014 के चुनाव में 1 लाख 16 हजार 537 वोटों से जीत और 5 साल बाद ही जब कमलनाथ की सरकार थी, तब उनके बेटे को महज 37 हजार वोटों की जीत... ऐसे में 2024 में नकुल की राह आसान नहीं होगी, ये समझना ज्यादा मुश्किल नहीं है।
क्या कहता है छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का इतिहास?
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा लोकसभा सीट का इतिहास बड़ा रोचक है। इस सीट पर अब तक 18 बार लोकसभा चुनाव या उपचुनाव हुए हैं। मगर कांग्रेस को महज एक बार ही हार झेलनी पड़ी। वो भी सूबे के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम सुंदर लाल पटवा के हाथों... हालांकि वो भी सिर्फ एक साल के लिए ही इस सीट से सांसद रहे। ऐसे में भाजपा की राह भी आसान नहीं रहने वाली है। छिंदवाड़ा सीट से सबसे लंबे समय तक सांसद रहने का रिकॉर्ड भी कमलनाथ के नाम पर ही है। वो इस सीट से 9 बार सांसद चुने जा चुके हैं। इसके अलावा एक बार अलका नाथ और एक बार नकुल नाथ। छिंदवाड़ा के पहले सांसद रायचंदभाई शाह थे। इनके अलावा भीकूलाल चांडक दो बार और गार्गी शंकर मिश्र तीन बार इस सीट से सांसद चुने गए।
एमपी की पांच लोकसभा सीट के लिए उम्मीदवार घोषित
पार्टी ने दो मार्च को राज्य की 29 में से 24 सीट के लिए अपनी पहली सूची घोषित की थी, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम शामिल था। विवादों में रहने वाली भोपाल की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को इस बार टिकट नहीं दिया गया है। दो मौजूदा सांसदों- शंकर लालवानी (इंदौर) और अनिल फिरोजिया (उज्जैन) को दूसरी सूची में फिर से नामांकित किया गया है। पार्टी ने धार से मौजूदा सांसद छत्तर सिंह दरबार का टिकट काटकर, 2014 से 2019 तक लोकसभा सदस्य रहीं सावित्री ठाकुर को मैदान में उतारा है।
भाजपा ने नक्सल प्रभावित बालाघाट जिले से मौजूदा सांसद ढाल सिंह बिसेन को हटाकर एक नया चेहरा डॉ. भारती पारधी को मैदान में उतारा है। डॉ. पारधी नगर निगम पार्षद हैं। भाजपा ने छिंदवाड़ा में अपनी जिला इकाई के प्रमुख विवेक बंटी साहू को मैदान में उतारा। साहू ने 2018 और 2023 के विधानसभा चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए थे। कांग्रेस और भाजपा की ओर से उम्मीदवारों की घोषणा किए जाने के साथ ही नाथ के भाजपा में शामिल होने की अटकलों पर विराम लगने की संभावना है।
किन-किन मौजूदा सांसदों को दोबारा मिला टिकट?
पिछली बार राज्य की 29 में से 28 सीट (छिंदवाड़ा छोड़कर) जीतने वाली भाजपा ने 14 नये उम्मीदवारों को टिकट दिया है। जिन सीट पर नये उम्मीदवार उतारे गए हैं वे मुरैना, ग्वालियर, सागर, भोपाल, दमोह, सीधी, जबलपुर, होशंगाबाद, रतलाम, विदिशा, गुना, बालाघाट, छिंदवाड़ा और धार हैं। जिन सीट पर मौजूदा सांसदों को दोबारा टिकट दिया गया उनमें भिंड (संध्या राय), टीकमगढ़ (केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार), खजुराहो (प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वी डी शर्मा), सतना (गणेश सिंह), रीवा (जनार्दन मिश्रा), शहडोल (हिमाद्री सिंह) , मंडला (केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते), राजगढ़ (रोडमल नगर), देवास (महेंद्र सिंह सोलंकी), मंदसौर (सुधीर गुप्ता), खरगोन (गजेंद्र पटेल), खंडवा (ज्ञानेश्वर पाटिल) और बैतूल (दुर्गादास उइके), इंदौर (शंकर लालवानी) और उज्जैन (अनिल फिरोजिया)हैं। नवंबर 2023 के विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ दल ने केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, फग्गन सिंह कुलस्ते और प्रहलाद पटेल सहित सात सांसदों को मैदान में उतारा था।
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