Varanasi Lok Sabha Election: कैसा है वाराणसी का सियासी इतिहास? कभी कांग्रेस का गढ़ रही यह सीट कैसे बनी भाजपा का अभेद किला

Varanasi Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में आज वाराणसी लोकसभा सीट पर भी मतदान हो रहा है। पीएम मोदी जहां तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाने को लेकर आश्वस्त हैं तो उनके खिलाफ इंडिया गठबंधन से चुनाव लड़ रहे अजय राय भी जीत का दावा कर रहे हैं।

Varanasi Lok Sabha election

Varanasi Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव के लिहाज से देश की हॉट सीटों की बात करें तो वाराणसी लोकसभा सीट शीर्ष पर शुमार है। इसकी वजह हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। गुजरात से निकलकर पीएम मोदी ने जब देश की सियासत का रास्ता चुना तो उन्होंने इसी लोकसभा सीट को अपनी कर्मभूमि बनाया। पहली बार यहां से 2014 में चुनाव जीतकर वह संसद पहुंचे और इसके बाद 2019 में भी उन्होंने वाराणसी लोकसभा सीट को ही चुना। अब 2024 के लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी तीसरी बार वाराणसी लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं।

लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में आज इस सीट पर भी मतदान हो रहा है। पीएम मोदी जहां तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाने को लेकर आश्वस्त हैं तो उनके खिलाफ इंडिया गठबंधन से चुनाव लड़ रहे अजय राय भी जीत का दावा कर रहे हैं। हालांकि, अजय राय पीएम मोदी के खिलाफ दो बार चुनाव हार भी चुके हैं। आइए जानते हैं वाराणसी लोकसभा सीट का इतिहास...

कभी कांग्रेस का गढ़ रही है वाराणसी

वाराणसी लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का गढ़ रही है। पहले आम चुनाव में इस सीट से कांग्रेस प्रत्याशी रघुनाथ सिंह ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1962 के लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के टिकट पर रघुनाथ सिंह दोबारा इस सीट से सांसद बने। हालांकि, 1967 के आम चुनाव में यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकल गई और यहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने जीत हासिल की। हालांकि, 1971 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां पर फिर से वापसी की। आपातकाल के बाद वाराणसी के सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गए और जब 1977 का चुनाव हुआ तो कांग्रेस को यहां बुरी तरह हार मिली। हालांकि, 1980 में कांग्रेस ने इस सीट पर फिर से जीत हासिल की और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी ने यहां जीत हासिल की।

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