Lok Sabha Chunav 2024, (Raebareli) UP: रायबरेली में कांग्रेस को मिली है केवल 3 बार शिकस्त, जानें इस सीट का इतिहास
Lok Sabha Chunav 2024, Raebareli, UP Lok Sabha Seat: 1977 तक इस सीट पर कांग्रेस की एकतरफा जीत होती रही। इसकी वजह गांव एवं कस्बों तक कांग्रेस का सांगठनिक ढांचा मजबूत होता रहा। कांग्रेस सांसदों ने इस क्षेत्र में विकास के कई कार्य किए।
2019 में रायबरेली से सोनिया गांधी विजयी हुईं।
Lok Sabha Chunav 2024, Raebareli, UP Lok Sabha Seat: उत्तर प्रदेश में कई ऐसी सीटें हैं जहां से कई दिग्गज उम्मीदवार चुनाव मैदान में होंगे। इन्हीं मे से एक सीट रायबरेली है। रायबरेली सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। इस सीट से कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी चुनी जाती रही हैं। हालांकि, इस बार उन्होंने चुनाव लड़ने की जगह राज्यसभा जाने का फैसला किया। सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद यह सीट खाली है। कांग्रेस ने अभी यहां से अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा है कि इस सीट से प्रियंका गांधी उम्मीदवार हो सकती हैं।
भाजपा ने भी अभी घोषित नहीं किया उम्मीदवार
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गत 2 मार्च को उम्मीदवारों की की जो पहली लिस्ट जारी की उसमें अमेठी के लिए उम्मीदवार तो था लेकिन रायबरेली के लिए प्रत्याशी की घोषणा नहीं हुई। हालांकि, चर्चा है कि भाजपा इस सीट से मनोज पांडे को टिकट दे सकती है।रायबरेली सीट पर शुरू से ही कांग्रेस का दबदबा रहा है। रायबरेली सीट पर ब्राह्मण वोटर 11 फीसद, ठाकुर 9%, यादव 7%, एससी 34%, मुस्लिम 6%, लोध-6%, कुर्मी 4% और अन्य 23% हैं। इस सीट पर कुल मतदाता 779813 हैं।
2019 के चुनाव में सोनिया गांधी को 55.8% वोट
2019 के चुनाव में रायबरेली सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 16,28,549 थी। इस सीट पर पुरुष मतदाताओं की संख्या 8,63,320 महिलाओं मतदाताओं की संख्या 7,65,184 है। चुनाव में यहां कुल वैध 9,48,304 वोट पड़े। नोटा का चुनाव 10,252 लोगों ने किया। सोनिया गांधी को 55.8 प्रतिशत के साथ 534,918 वोट मिले। दूसरे नंबर पर भाजपा के दिनेश प्रताप सिंह रहे। सिंह को 38.4 फीसदी के साथ 367,740 वोट मिले। तीसरे स्थान पर आजाद भारत पार्टी के अशोक प्रताप मौर्य रहे। मौर्य को 9459 वोट मिले।
वर्ष | विजेता | पार्टी |
1952 | फिरोज गांधी | कांग्रेस |
1957 | फिरोज गांधी | कांग्रेस |
1960 | आरपी सिंह | कांग्रेस |
1962 | बैजनाथ कुरील | कांग्रेस |
1967 | इंदिरा गांधी | कांग्रेस |
1971 | इंदिरा गांधी | कांग्रेस |
1977 | राजनारायण | जनता पार्टी |
1980 | इंदिरा गांधी | कांग्रेस |
1980 | अरुण नेहरू | कांग्रेस |
1984 | अरुण नेहरू | कांग्रेस |
1989 | शीला कौल | कांग्रेस |
1991 | शीला कौल | कांग्रेस |
1996 | अशोक कुमार सिंह | भाजपा |
1998 | अशोक कुमार सिंह | भाजपा |
1999 | कैप्टन सतीश शर्मा | कांग्रेस |
2004 | सोनिया गांधी | कांग्रेस |
2006 | सोनिया गांधी | कांग्रेस |
2009 | सोनिया गांधी | कांग्रेस |
2014 | सोनिया गांधी | कांग्रेस |
रायबरेली सीट पर कांग्रेस को 3 बार मिली हार
इसे इस बात से समझा जा सकता है कि 1952 से लेकर 2014 तक के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस केवल तीन बार ही 1977, 1996 और 1998 में हारी। बाकी समय हर बार यह सीट कांग्रेस के खाते में गई। इस सीट पर गांधी परिवार से फिरोज गांधी, इंदिरा गांधी, अरुण नेहरू और सोनिया गांधी सांसद रहे। चूंकि शुरुआत से ही इस सीट पर गांधी परिवार का कोई न कोई चुनाव लड़ता रहा, ऐसे में पार्टी के साथ यहां के लोगों को एक खास रिश्ता बन गया।
1999 से लगातार जीत रही कांग्रेस
1977 तक इस सीट पर कांग्रेस की एकतरफा जीत होती रही। इसकी वजह गांव एवं कस्बों तक कांग्रेस का सांगठनिक ढांचा मजबूत होता रहा। कांग्रेस सांसदों ने इस क्षेत्र में विकास के कई कार्य किए। फैक्ट्रियां लगीं जिससे लोगों को रोजगार मिला। आपातकाल के बाद हुए आम चुनाव में जनता पार्टी के राज नारायण तो इंदिरा गांधी को हराने में कामयाब रहे लेकिन तीन साल बाद 1980 में हुए चुनाव में इंदिरा गांधी ने फिर वापसी की। इसके बाद 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस की हार हुई। इन दोनों चुनाव में भाजपा के अशोक कुमार सिंह विजयी हुए। 1999 के बाद से यह सीट एक बार फिर कांग्रेस के कब्जे में आ गई। यहां राजमाता विजयराजे सिंधिया, महिपाल शास्त्री, जनेश्वर मिश्र, सविता आंबेडकर जैसे चेहरे हारकर यहां से चले भी गए।
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