Lok Sabha Chunav: 25 सालों तक राजनीति से दूर रहा सारंगढ़ राजपरिवार, बड़ा दिलचस्प है रायगढ़ का मुकाबला

Election News: चुनावी राजनीति से दूर रहने के बाद एक बार फिर सारंगढ़ राजपरिवार छत्तीसगढ़ के रायगढ़ से किस्मत आजमा रहा है। डॉक्टर मेनका देवी सिंह को कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित रायगढ़ लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है। वह भाजपा के नये चेहरे राधेश्याम राठिया से मुकाबला करेंगी।

Electoral politics Sarangarh Royal Family

बड़ा दिलचस्प है रायगढ़ का चुनावी मुकाबला।

Raigarh Election: छत्तीसगढ़ के सारंगढ़ राजपरिवार के सदस्य लगभग 25 वर्षों तक चुनावी राजनीति से दूर रहने के बाद एक बार फिर रायगढ़ लोकसभा सीट से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस पार्टी ने इस परिवार के सदस्य पर भरोसा जताया है, तो वहीं भाजपा ने नए चेहरे को मैदान में उतारा है। इस बार रायगढ़ सीट का चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है।

मेनका देवी सिंह vs राधेश्याम राठिया का मुकाबला

सारंगढ़ में राजनीतिक रूप से प्रभावशाली गोंड राजपरिवार की सदस्य डॉक्टर मेनका देवी सिंह को कांग्रेस ने अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित रायगढ़ लोकसभा सीट से मैदान में उतारा है। वह भाजपा के नये चेहरे राधेश्याम राठिया से मुकाबला करेंगी। रायगढ़ छत्तीसगढ़ की उन सात सीटों में से एक है, जहां सात मई को मतदान होगा।

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा ने की थी बराबरी

लोकसभा सीट का नाम रायगढ़ जिले से लिया गया है, जो राज्य में औद्योगिक और खनन केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। इस सीट में तीन जिले रायगढ़, जशपुर और सारंगढ़-बिलाईगढ़ (2022 में बनाया गया जिला) जिला शामिल हैं। पिछले साल के विधानसभा चुनाव में लोकसभा सीट के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से भाजपा ने चार (रायगढ़, कुनकुरी, पत्थलगांव और जशपुर) और कांग्रेस ने भी चार (खरसिया, धरमजयगढ़, लैलूंगा और सारंगढ़) सीटों पर जीत हासिल की थी। डॉक्टर मेनका देवी छत्तीसगढ़ के राजघरानों से एकमात्र उम्मीदवार हैं जो इस बार लोकसभा चुनाव में मैदान में हैं।

चार बार रायगढ़ लोकसभा सीट पर हासिल हुई है जीत

पिछले साल छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में पूर्व उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव और जूदेव परिवार के दो सदस्यों सहित पूर्ववर्ती राजघरानों के सात सदस्य मैदान में थे। लेकिन इनमें से किसी को भी सफलता नहीं मिली। 1962 में इस सीट के गठन के बाद से सारंगढ़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्यों ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चार बार रायगढ़ लोकसभा सीट जीती है। 1962 में इस सीट पर हुए पहले लोकसभा चुनाव में पूर्व जशपुर राजपरिवार के सदस्य विजय भूषण सिंह ने अखिल भारतीय राम राज्य परिषद के उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल की थी।

क्या कहता है रायगढ़ लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास?

इस सीट पर अब तक हुए 15 लोकसभा चुनावों में से कांग्रेस ने छह, भारतीय जनता पार्टी ने सात जबकि जनता पार्टी और अखिल भारतीय राम राज्य परिषद ने एक-एक बार जीत हासिल की है। सारंगढ़ राजघराना आजादी के पहले से ही कांग्रेस से जुड़ा रहा है। डॉक्टर मेनका देवी के पिता स्वर्गीय राजा नरेशचंद्र सिंह ने 1952 से 1968 तक अविभाजित मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार में मंत्री के रूप में कार्य किया था। वह अविभाजित मध्य प्रदेश के एकमात्र मुख्यमंत्री थे जो आदिवासी समुदाय से थे।

मेनका देवी के परिवार के ये सदस्य रहे हैं रायगढ़ के सांसद

डॉक्टर मेनका देवी की मां स्वर्गीय ललिता देवी 1969 में पुसौर विधानसभा सीट (रायगढ़ जिला) से निर्विरोध विधायक चुनी गईं। डॉक्टर मेनका देवी राजा नरेशचंद्र की पांच बेटियों में सबसे बड़ी हैं। उनकी बेटी रजनीगंधा 1967 में रायगढ़ से सांसद रहीं और दूसरी बेटी पुष्पा देवी सिंह ने 1980, 1984 और 1991 में रायगढ़ लोकसभा सीट जीती थी। डॉक्टर मेनका देवी की दूसरी बहन कमला देवी 18 वर्षों तक विधायक रहीं और अविभाजित मध्य प्रदेश में पंद्रह वर्षों तक मंत्री रहीं। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी 1998 में रायगढ़ सीट जीतने वाले आखिरी कांग्रेस उम्मीदवार थे।

जब विष्णु देव साय ने पुष्पा देवी को हराया था चुनाव

मेनका देवी की बेटी कुलिशा ने कहा, 'हालांकि हमने 25 वर्षों तक चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन हम राजनीति और लोगों की सेवा से दूर नहीं थे। हमारा परिवार इस दौरान क्षेत्र में लोगों की सेवा और विभिन्न रूपों में उनका सहयोग करता रहा। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप, डॉक्टर मेनका देवी जी को टिकट मिला और वह चुनाव जीतेंगी।' 1999 के चुनाव में पुष्पा देवी को छत्तीसगढ़ के मौजूदा मुख्यमंत्री, भाजपा के विष्णु देव साय के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। 2014 में कांग्रेस ने डॉक्टर मेनका देवी को टिकट दिया था लेकिन बाद में उन्होंने उम्मीदवार बदल दिया।

तीन बार इस सीट से सांसद चुने गए विष्णु देव साय

विष्णु देव साय ने 2004, 2009 और 2014 में तीन बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया है। 2014 में साय को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया था। 1977 में रायगढ़ सीट जीतने वाले जनता पार्टी के नरहरि प्रसाद साय इस सीट से एक और सांसद थे जो केंद्र में केंद्रीय मंत्री बने। भाजपा के दिग्गज नेता नंद कुमार साय ने 1989 और 1996 में दो बार रायगढ़ सीट में जीत हासिल की थी।

विष्णु देव साय 2019 में भाजपा ने नहीं दिया था टिकट

2019 में भाजपा ने विष्णु देव साय को टिकट नहीं दिया था और एक नए चेहरे गोमती साय को मैदान में उतारा था। गोमती साय ने कांग्रेस के लालजीत सिंह राठिया को हराया था। पिछले राज्य विधानसभा चुनाव में गोमती साय छत्तीसगढ़ विधानसभा के लिए चुनी गईं, जिसके बाद इस बार भाजपा ने नए चेहरे राधेश्याम राठिया को मैदान में उतारा है।

इस सीट पर रहा है सारंगढ़ राजघराने का प्रभाव

राजनीतिक विश्लेषक आर कृष्णा दास ने कहा, 'रायगढ़ लोकसभा सीट पर जशपुर, रायगढ़ और सारंगढ़ के राज परिवारों का मतदाताओं पर प्रभाव है। हालांकि उनका प्रभाव पूरे लोकसभा क्षेत्र में नहीं है।' दास कहते हैं, 'इस सीट पर सारंगढ़ राजघराने का प्रभाव रहा है। इस सीट पर अब तक हुए 15 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस ने सात बार सारंगढ़ राजपरिवार के सदस्यों को मैदान में उतारा है।' उन्होंने कहा कि सारंगढ़ राजपरिवार की पुष्पा देवी ने इस सीट से तीन बार जीत हासिल की लेकिन 1989, 1996 और 1999 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
दास ने कहा, '25 साल के अंतराल के बाद सबसे पुरानी पार्टी ने एक बार फिर इस परिवार पर भरोसा जताया है और डॉक्टर मेनका देवी को मैदान में उतारा है।' उन्होंने कहा, 'डॉक्टर मेनका देवी को उनके विनम्र और सरल स्वभाव के कारण फायदा हो सकता है। लेकिन साथ ही 'मोदी' फैक्टर और रायगढ़ मुख्यमंत्री साय का गृह क्षेत्र होने के कारण उनके लिए एक बड़ी चुनौती है।' दास कहते हैं कि जशपुर के जूदेव का राजपरिवार जो भाजपा से जुड़ा रहा है, सत्ताधारी दल के लिए ही काम करेगा। हाल ही में भाजपा ने रायगढ़ से गोंड राजपरिवार के वंशज देवेंद्र प्रताप सिंह को राज्यसभा भेजा है, जो सत्ताधारी दल को लाभ दिला सकता है।' रायगढ़ सीट पर कुल 13 उम्मीदवार मैदान में हैं लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है।
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