प्रियंका अब भी बनी रहेंगी कांग्रेस की 'सीक्रेट सुपरस्टार', राहुल के सामने UP का आखिरी गढ़ बचाने की चुनौती
Lok Sabha Election 2024: रायबरेली सीट से राहुल गांधी के नाम का ऐलान कांटों भरी सेज की तरह है। एक तरफ उन्हें सोनिया गांधी की पारंपरिक और सुरखित सीट तो विरासत में मिली है, लेकिन उनके सामने उत्तर प्रदेश के इस आखिरी अभेद किले को बचाने की भी चुनौती है।
राहुल गांधी- प्रियंका गांधी
Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट पर कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने से खाली इस सीट पर राहुल गांधी उनकी राजनीतिक विरासत संभालेंगे। पार्टी ने उन्हें यहां से प्रत्याशी घोषित किया है। कांग्रेस पार्टी की इस घोषणा से यह भी साफ हो गया है कि प्रियंका गांधी फिलहाल चुनावी राजनीति में कदम नहीं रखेंगी और वह अभी भी कांग्रेस की 'सीक्रेट सुपरस्टार' ही बनी रहेंगी। दरअसल, काफी लंबे समय से प्रियंका गांधी के सक्रिय राजनीति में एंट्री के कयास लगाए जा रहे हैं। पहले उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में चर्चा थी कि प्रियंका गांधी अपना चुनावी डेब्यू कर सकती हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके बाद सोनिया गांधी की पारंपरिक सीट रायबरेली से उनके चुनाव लड़ने की अटकलें थीं। शुरुआत में प्रियंका गांधी ने इस सीट को लेकर रुचि भी दिखाई थी। हालांकि, बाद में प्रियंका और उनकी टीम रायबरेली की सियासत से दूर होती गई।
प्रियंका को चुनावी चेहरा बनाए रखना चाहती है कांग्रेस
गांधी परिवार में प्रियंका गांधी ही एक ऐसी नेता हैं, जिन्होंने अब तक कोई चुनाव नहीं लड़ा है। हालांकि, वह पार्टी के संगठन का कामकाज संभालने से लेकर चुनावों में स्टार प्रचारक की भूमिका निभाती आई हैं। हिमाचल प्रदेश और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत के पीछे प्रियंका गांधी को ही क्रेडिट दिया जाता रहा है। पार्टी के कार्यकर्ता से लेकर मीडिया में उनकी भाषण शैली और तेवरों की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से होती है। हालांकि, कांग्रेस पार्टी को एक डर यह भी है कि अगर चुनावी मैदान में प्रियंका गांधी को झटका लगता है तो भविष्य की राजनीति में उसको बड़ा नुकसान हो सकता है। ऐसे में कांग्रेस प्रियंका गांधी को सीधे तौर पर चुनाव लड़ने से बचाना चाहती है।
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यूपी का आखिरी किला बचाने की चुनौती
रायबरेली सीट से राहुल गांधी के नाम का ऐलान कांटों भरी सेज की तरह है। एक तरफ उन्हें सोनिया गांधी की पारंपरिक और सुरखित सीट तो विरासत में मिली है, लेकिन उनके सामने उत्तर प्रदेश के इस आखिरी अभेद किले को बचाने की भी चुनौती है। दरअसल, अब तक रायबरेली के अलावा अमेठी को कांग्रेस का मजबूत गढ़ कहा जाता था। हालांकि, 2019 के चुनाव में बीजेपी ने इस सीट को कांग्रेस से छीन लिया था। अब कांग्रेस के पास रायबरेली ही ऐसी सीट है, जिसके माध्यम से पार्टी उत्तर प्रदेश की सियासत में एक्टिव रह सकती है।
रायबरेली में त्रिकोणीय मुकाबला
रायबरेली सीट लंबे समय से कांग्रेस के खाते में ही रही है। यहां से सोनिया गांधी 2004 से 2024 तक सांसद रही हैं। हालांकि, सोनिया गांधी के राज्यसभा जाने के बाद बीजेपी की नजर इस सीट पर है। बीजेपी इस सुनहरे मौके को आसानी से जाने नहीं देना चाहती है। पार्टी ने यहां से दिनेश प्रताप सिंह को उम्मीदवार बनाया है, उन्होंने 2019 में भी सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। वहीं, बसपा ने भी इस सीट से ठाकुर प्रसाद यादव को मैदान में उतारा है। ऐसे में यहां त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा सकता है।
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रायबरेली के जातीय समीकरण
रायबरेली सीट के जातीय समीकरणों की बात करें तो यहां 11 फीसदी ब्राह्मण आबादी है। करीब 9 फीसदी राजपूत और सात फीसदी यादव वर्ग है। यहां दलित मतदाता सबसे अधिक करीब 34 प्रतिशत हैं। वहीं, मुस्लिम 6 फीसदी, लोधी 4 फीसदी, कुर्मी 4 फीसदी वोट हैं। अन्य जाति वर्ग के मतदाता 23 फीसदी के करीब हैं।
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