लोकसभा चुनाव 2024 में दूसरे दलों से आए नेता भाजपा के लिए कितने फायदेमंद रहे ? ये रही पूरी डिटेल
Lok Sabha Election Result 2024: इस लोकसभा चुनाव में कई ऐसे नेता भी रहे जो कि, दूसरे दलों को छोड़ भाजपा ज्वाइन कर चुके थे। ऐसे नेताओं से भाजपा को कितना फायदा हुआ, आइए समझते हैं:
लोकसभा चुनाव 2024.
Lok Sabha Election Result 2024: आया राम गया राम…राजनीति गलियारों में ये जुमला तो आपने सुना ही होगा। दरअसल, देखा जाए तो चुनावी माहौल में नेताओं के दलबदल का का सिलसिला काफी पुराना है। कभी एक पार्टी छोड़कर दूसरे में जाना नेताओं की मजबूरी होती है तो कभी उनका उनका स्वार्थ...2024 के लोकसभा चुनाव के समय भी से सिलसिला जोरों पर रहा। इस चुनाव में कई दलों से आए नेताओं ने भारतीय जनता पार्टी को ज्वाइन किया था। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद नेताओं को इस बार भी मोदी लहर में जीतने की उम्मीद थी, लेकिन अब तक सामने आए रुझान भाजपा नेताओं की अपेक्षाओं के विपरीत नजर आ रहे हैं। बहरहाल, कांग्रेस समेत दूसरी अन्य पार्टियों से आने वाले कुछ नेताओं के लिए ये चुनाव नुकसानदेह रहा या फिर लाभदायक ? आज हम आपको इस रिपोर्ट से समझिए:
नीरज शेखर
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के पुत्र नीरज चंद्रशेखर ने पिता की मौत के बाद राजनीति में एंट्री मारी। नीरज शेखर पूर्वी उत्तर प्रदेश में बलिया लोकसभा सीट से दो बार के सांसद रह चुके हैं। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके नीरज को दोनों बार हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद सपा ने उनको राज्यसभा भेजा जहां से उन्होंने इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया। 2024 के चुनाव में नीरज के खिलाफ सपा के सनातन पांडेय ने चुनाव लड़ा और उनको 33665 वोटों से पीछे कर दिया। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, नीरज को अब तक 243494 वोट ही मिले हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
ग्वालियर के महाराज ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम मध्य प्रदेश में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरों में लिया जाता था। 2014 की प्रचंड मोदी लहर में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की दो लोकसभा सीटों पर जीत हासिल की थी जिनमें से एक सीट गुना की थी। 2019 के चुनाव में सिंधिया गुना से हार गए जिसके बाद कांग्रेस ने उनको राज्यसभा भेजा लेकिन बाद में सिंधिया बीजेपी में शामिल हो गए और मोदी कैबिनेट में मंत्री भी बने। 2024 के चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बीजेपी के टिकट पर गुना सीट से ही चुनाव लड़ा और ताजा रुझान के मुताबिक वे जीत के काफी पहुंच चुके हैं। यहां से सिंधिया को अब तक 923302 वोट मिले हैं और 540929 वोटों से इन्होंने कांग्रेस के यादवेंद्र राव देशराज सिंह को पीछे कर दिया है।
ठाकुर जयवीर सिंह
कांग्रेस, सपा और बसपा से होते हुए ठाकुर जयवीर सिंह भाजपा में शामिल हुए थे। इनको भाजपा ने मैनपुरी लोकसभा सीट पर सपा की डिंपल यादव के खिलाफ उतारा था। कांग्रेस की युवा शाखा के प्रदेश उपाध्यक्ष रह चुके ठाकुर जयवीर सिंह मुलायम सिंह यादव और मायावती के नेतृत्व वाली सपा और बसपा सरकारों में मंत्री भी रह चुके हैं। ठाकुर 2022 के चुनाव में मैनपुरी से विधायक हैं। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, यहां से डिंपल यादव ने 221639 वोटों से बढ़त बनाई है।
जितिन प्रसाद
पीलीभीत सीट से वरुण गांधी का टिकट काटकर भाजपा ने कांग्रेस से आए जितिन प्रसाद को मैदान में उतारा था। शाहजहांपुर के रहने वाले जितिन मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार में मंत्री रह चुके हैं और उनके पिता जितेंद्र प्रसाद कांग्रेस के उपाध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के राजनीतिक सलाहकार थे। बता दें कि, 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही वे भाजपा में शामिल हुए थे। जितिन की गिनती राहुल गांधी के करीबी नेताओं में होती थी। ताजा आंकड़ों के मुताबिक, जितिन प्रसाद को अब तक 588698 वोट मिले हैं और सपा प्रत्याशी भगवत सरन गंगवार से उन्होंने 163589 वोटों की बढ़त बना ली है।
रवनीत सिंह बिट्टू
भाजपा ने रवनीत सिंह बिट्टू को पंजाब की लुधियाना सीट से टिकट दिया था। रवनीत कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। 2019 का लोकसभा चुनाव इन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीता था। कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल होने से पहले रवनीत ने अपने करीबी कार्यकर्ताओं को भी भरोसे में नहीं लिया, जिससे वे नाराज बताए जा रहे थे। ताजा आंकड़ों मुताबिक, अब तक रवनीत को 281815 वोट मिले हैं। कांग्रेस के प्रत्याशी अमरिंदर सिंह राजा से वे फिलहाल 26193 वोट पीछे चल रहे हैं।
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