अखिलेश की कमान में सपा ने की यूपी में चमत्कारिक वापसी, चाचा शिवपाल के साथ मिलकर ऐसे रचा चक्रव्यूह

सपा की स्थापना के बाद लोकसभा चुनावों में यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है और इसका श्रेय अखिलेश यादव को जाता है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव ने न केवल अपनी पारिवारिक एकता कायम की है...

Akhilesh Yadav

अखिलेश यादव ने किया करिश्मा

UP Lok Sabha Election Results 2024: लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति में समाजवादी पार्टी ने अखिलेश यादव की कमान में चमत्कारिक वापसी कर राजनीतिक पंडितों को हैरान कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और भारतीय जनता पार्टी द्वारा राम मंदिर निर्माण का मुद्दा प्रमुखता से उठाने के बावजूद सपा का शानदार चुनावी प्रदर्शन जमीनी स्तर पर अखिलेश की लोकप्रियता और उनकी राजनीतिक सूझबूझ को दर्शाता है। चुनाव आयोग द्वारा यूपी की 80 लोकसभा सीटों पर घोषित चुनाव परिणामों के अनुसार सपा ने 37 सीटें जीत ली जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस ने भी छह सीट पर जीत दर्ज की है।

सपा की स्थापना के बाद सबसे बेहतर प्रदर्शन

सपा की स्थापना के बाद लोकसभा चुनावों में यह अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है और इसका श्रेय अखिलेश यादव को जाता है। सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव ने न केवल अपनी पारिवारिक एकता कायम की है, बल्कि 2019 में बसपा से गठबंधन के बावजूद सिर्फ पांच सीटें जीतने वाली सपा ने अकेले (यादव) परिवार में ही पांच सीटें हासिल कर ली हैं। वर्ष 2019 में अकेले 62 सीट पर जीत हासिल करने वाली भाजपा इस बार उप्र में 33 सीटों पर ही सिमट गई।

2019 में जीती थीं महज 5 सीटें

सपा ने मायावती नीत बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन में पिछला चुनाव लड़ा था और पांच सीट जीती थी, लेकिन इस बार अखिलेश की पार्टी ने प्रदेश में भाजपा को करारा झटका दिया है, जिसने 2019 में 62 सीट जीती थीं। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद यह पहला आम चुनाव था और अखिलेश ने निराश नहीं किया और उनके नेतृत्व में पार्टी साल 2004 से भी बेहतर प्रदर्शन किया है। 2004 के चुनाव में सपा ने 36 सीट जीती थीं। प्रचार के दौरान मोदी अक्सर अखिलेश यादव और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दो शहजादों की जोड़ी बताकर तंज कसते थे।

भाजपा की मनमानी का उठाया मुद्दा

विपक्षी गठबंधन इंडिया की सहयोगी तृणमूल कांग्रेस को प्रदेश में भदोही लोकसभा सीट दी गई। अखिलेश ने अपने भाषणों में भाजपा की मनमानी को उजागर करने के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झामुमो नेता हेमंत सोरेन को जेल भेजने की निंदा की। उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद और उनके बेटे तेजस्वी यादव की प्रशंसा भी की। कन्नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे अखिलेश ने अपनी पत्नी डिंपल यादव और तीन चचेरे भाइयों के लिए समर्थन जुटाने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ली।

चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश ने भाजपा को अपने विमर्श को बदलने के लिए मजबूर किया और कुछ हद तक उसे बैकफुट पर भी धकेल दिया। उन्होंने सत्तारूढ़ दल के भाई-भतीजावाद के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि जिनका कोई परिवार नहीं है, उन्हें दूसरों को दोष देने का कोई अधिकार नहीं है। इस जवाब से भाजपा के सभी शीर्ष नेताओं के साथ-साथ जमीनी कार्यकर्ताओं ने भी अपने सोशल मीडिया परिचय में मोदी का परिवार जोड़ दिया।

मुस्लिम आबादी का मिला भारी समर्थन

सपा के प्रदर्शन से संकेत मिलता है कि राज्य की मुस्लिम आबादी का भी उसे मजबूत समर्थन मिल है, जो कुल आबादी में एक बड़ा हिस्सा है। चुनाव से पहले अखिलेश ने चाचा शिवपाल सिंह यादव के साथ तालमेल बिठाया और उन्होंने पार्टी को अपने पारंपरिक मतदाताओं तक पहुंचने में मदद की जिनमें से अधिकांश यादव जाति से हैं और राज्य के पूर्वी और मध्य भागों में फैले हुए हैं। चुनावी रूझान दर्शाते हैं कि अपने पूर्व सहयोगी बहुजन समाज पार्टी से अलग होने से सपा को कोई नुकसान नहीं हुआ।

2000 में वह कन्नौज लोकसभा सीट पर जीते

इटावा जिले के सैफई में यादवों के पैतृक गांव में जन्मे अखिलेश यादव ने राजस्थान के धौलपुर मिलिट्री स्कूल से पढ़ाई की। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से पर्यावरण इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री प्राप्त की और इसके बाद सिडनी से परास्नातक किया। साल 2000 में वह कन्नौज लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव से निचले सदन के लिए चुने गए। 2004 और 2009 में भी उन्होंने जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर उन्होंने कंप्यूटर को लेकर पार्टी के पुराने रुख से हटकर छात्रों के लिए सबसे बड़ी लैपटॉप वितरण योजना शुरू की। उनकी सरकार ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे, मेट्रो परियोजना, अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम और लखनऊ में कैंसर अस्पताल जैसी विकास परियोजनाओं को शुरू करने का श्रेय भी लिया।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | इलेक्शन (elections News) और चुनाव के समाचार के लिए जुड़े रहे Times Now Navbharat से |

लेटेस्ट न्यूज

अमित कुमार मंडल author

करीब 18 वर्षों से पत्रकारिता के पेशे से जुड़ा हुआ हूं। इस दौरान प्रिंट, टेलीविजन और डिजिटल का अनुभव हासिल किया। कई मीडिया संस्थानों में मिले अनुभव ने ...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited