Lok Sabha Election: कौन हैं चितरंजन कुमार उर्फ चिंटू भैया? जहानाबाद सीट के लिए NDA का चुनावी समीकरण समझिए
Jehanabad Chunav: बिहार की जहानाबाद लोकसभा सीट को लेकर सियासी पारा हाई हो चुका है। इस सीट पर यादव बनाम भूमिहार की जंग देखने को मिलती है। यदि कास्ट फैक्टर का जिक्र करें तो चितरंजन कुमार उर्फ चिंटू भईया के नाम की चर्चा जोर पकड़ रही है। आपको जहानाबाद सीट का इतिहास और सियासी गुणा-गणित समझाते हैं।
जहानाबाद लोकसभा सीट से NDA किस पर जताएगी भरोसा?
Bihar News: लोकसभा चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो चुकी है। चुनावी तारीखों का कभी भी ऐलान हो सकता है, लिहाजा सभी सियासी पार्टियां अपनी-अपनी एड़ी-चोटी का जोर लगा रही हैं। चुनाव को लेकर तैयारियां जोरों पर हैं, उम्मीदवारों के नामों पर मंथन और मुहर लगाने का सिलसिला भी तेज हो चुका है। बिहार में हुए बड़े सियासी उटलफेर के बाद हर किसी की नजर सूबे की 40 सीटों पर होने वाले लोकसभा चुनाव पर टिकी होंगी। आपको बिहार की जहानाबाद लोकसभा सीट का चुनावी गणित समझाते हैं।
क्या कहता है जहानाबाद सीट का सियासी गणित?
बिहार की जहानाबाद लोकसभा सीट काफी चर्चा में है। पुराने चुनावी आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि इस सीट पर भूमिहार और यादव के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलती है। 1962 से ही यादव और भूमिहार समाज के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलती रही है। इस निर्वाचन क्षेत्र का देश के दूसरे लोकसभा चुनाव 1957 में गठन किया गया था। यह जिला मुख्यालय भी है।
RJD यादव तो NDA भूमिहार पर जताएगी भरोसा?
लोकसभा चुनाव 2019 में नीतीश कुमार ने अपने समीकरण से इस सीट पर हुए चुनावी मुकाबले को अलग ही रंग दे दिया था। 2019 में पहली बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी को चुनाव मैदान में उतरा और जीत हासिल की। जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र, भूमिहार और यादव बाहुल्य क्षेत्र है। RJD यहां से यादव को टिकट देती आई आयी है। दूसरी तरफ NDA 2024 में भूमिहार पर दाव खेलती दिख रही है।
फिलहाल इस सीट से जेडीयू के चंदेश्वर प्रसाद सांसद हैं, लेकिन उनकी उम्र 72 वर्ष हो चुकी है, ऐसे में उनको दोबारा टिकट देना शायद मुश्किल है। जहानाबाद के जमीनी हालात का जिक्र किया जाए तो NDA की तरफ से यदि इस सीट में भूमिहार नेता को टिकट देने पर चर्चा होती है।
अगर मौजूदा सांसद को मिला टिकट तो हो जाए 'खेला'
बिहार के जहानाबाद से पिछले लोकसभा चुनाव 2019 के विजेता चंदेश्वर प्रसाद ने जनता दल-यूनाइटेड से चुनाव लड़ा था। उन्हें कुल 335584 वोट मिले थे। उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रीय जनता दल के सुरेंद्र प्रसाद यादव को 333833 वोट मिले थे। जीत हार का अंतर महज 1751 वोट था। मतलब साफ है, इस बार भाजपा और NDA की राह इस सीट से आसान नहीं रहने वाली है।
संघ से नाता रखने वाले इस नेता को मिलेगा टिकट?
स्थानीय राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि चितरंजन कुमार उर्फ चिंटू भईया प्रभावी उम्मीदवार पर भरोसा जताया जा सकता है। स्थानीय, भूमिहार और युवा... ये तीन फैक्टर उनके पक्ष को मजबूत करते दिख रहे हैं। चितरंजन कुमार वजीरगंज से निर्दलीय चुनाव भी लड़ चुके हैं। रोजगार, सड़कें, गरीबी और शिक्षा जैसे जनहित के मुद्दों पर अक्सर वो अपने क्षेत्र में सुर्खियों में बने रहते हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि चितरंजन का युवाओं में मजबूत पकड़ है।
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से इस युवा नेता का जुड़ाव है, जिसके चलते ये माना जा रहा है कि भाजपा, जदयू या चिराग की एलजेपी किसी भी दल से इनपर भरोसा जताया जा सकता है। यदि चितरंजन को टिकट मिलता है तो भाजपा की नजर कहीं न कहीं भूमिहार फैक्टर पर होगी। जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र से किसे टिकट मिलता है, ये देखना वाकई दिलचस्प होगा।
कौन-कौन कब-कब रहा जहानाबाद का सांसद?
- 1957 से लेकर 1962 तक कांग्रेस की सत्यभामा देवी सांसद रहीं।
- 1967 से 1971 तक भाकपा के चंद्रशेखर सांसद रहे।
- 1977 में जनता पार्टी के हरिलाल प्रसाद सिन्हा लोकसभा पहुंचे।
- 1980 में कांग्रेस के महेंद्र प्रसाद यहां से सांसद चुने गए।
- रामाश्रय प्रसाद सिंह इस सीट पर 1984 से 1998 तक सांसद रहे।
- 1999 में जेडीयू के अरुण कुमार यहां के सांसद बने।
- 2004 में राजद के गणेश प्रसाद सिंह ने चुनाव जीता।
- 2009 में जदयू के डॉ. जगदीश शर्मा यहां से जीते।
- 2014 में फिर डॉ. अरुण कुमार यहां के सांसद बने।
- 2019 में जदयू के चंदेश्वर प्रसाद को जनता ने संसद में भेजा।
जानिए क्या कहता है जहानाबाद का इतिहास
क्या आप जानते हैं कि जहानाबाद का नाम कैसे पड़ा। बताया जाता है कि इस क्षेत्र में मुगलकाल के दौरान जहांआरा नाम से मंडी की स्थापना की गई, जिसके नाम पर इस क्षेत्र का नाम जहानाबाद पड़ गया। नीतीश कुमार के इंडिया ब्लॉक छोड़ एनडीए में जाने के बाद बिहार की 40 लोकसभा सीटों का गणित एकदम से बदल गया है। बिहार में लोकसभा की कुल 40 सीटें हैं, जिसमें से 39 सीटें NDA के खाते में हैं और विपक्षी गठबंधन INDIA के पास महज 1 सीट किशनगंज है।
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