Lok Sabha elections 2024: राजस्थान में इतिहास दोहराने पर टिकीं BJP की निगाहें, क्या दोहराएगी सफलता!
bjp in Lok Sabha elections 2024: राजस्थान की बची एक लोकसभा सीट पर भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी ने जीत दर्ज की थी। इस बार भाजपा राज्य में सत्तारूढ़ पार्टी है और उसे सारे समीकरण फिर अपने पक्ष में नजर आ रहे हैं।
BJP आगामी आम चुनाव में राजस्थान के अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश में
bjp in Lok Sabha elections 2024: भारतीय जनता पार्टी (BJP) आगामी आम चुनाव में राजस्थान के अपने पिछले प्रदर्शन को दोहराने की कोशिश में जुटी है और पार्टी को उम्मीद है कि वह राज्य की सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज करेगी। वहीं कांग्रेस, भाजपा के इस सपने को पूरा होने से रोकने की कवायद में जुट गयी है।भाजपा ने 2019 लोकसभा चुनावों में राज्य की 24 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि 2018 विधानसभा चुनाव में पार्टी को कांग्रेस के हाथों शिक्सत का सामना करना पड़ा था।
लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस को पूर्वी राजस्थान से मुंह की खानी पड़ी थी जबकि 2018 विधानसभा चुनावों में उसने क्षेत्र की अधिकांश विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी। विधानसभा चुनाव 2018 में गुर्जर समुदाय ने कांग्रेस को इस उम्मीद से वोट दिया था कि सचिन पायलट राज्य के मुख्यमंत्री होंगे जबकि ऐसा नहीं हुआ।
यही कारण है कि भाजपा ने लोकसभा चुनाव में इलाके की सभी सीटों पर जीत हासिल की थी हालांकि, राज्य की अन्य सीटों की तुलना में पूर्वी राजस्थान की तीन सीटों पर जीत का अंतर अपेक्षाकृत कम था, गत लोकसभा चुनाव में भाजपा की जसकौर मीणा ने दौसा से 78,444 वोटों के अंतर से जबकि मनोज राजोरिया ने करौली-धौलपुर सीट पर 97,682 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। टोंक-सवाई माधोपुर में सुखबीर सिंह जौनपुरिया ने 1,11,291 के अंतर से चुनाव जीता था।
पायलट ने 2018 में अपना पहला विधानसभा चुनाव टोंक विधानसभा सीट से जीता
पायलट ने 2018 में अपना पहला विधानसभा चुनाव टोंक विधानसभा सीट से जीता था जो टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आती है।
मारवाड़ क्षेत्र में कांग्रेस को संसदीय चुनावों में जोधपुर से अपमानजनक हार का सामना करना पड़ा था, जहां तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत अपना पहला चुनाव भाजपा के गजेंद्र शेखावत से 2,74,440 वोटों से हार गए थे।
जोधपुर गहलोत का गृहनगर है और कांग्रेस का गढ़
जोधपुर गहलोत का गृहनगर है और कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। वैभव की हार गहलोत और कांग्रेस दोनों के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी थी। केंद्रीय मंत्री शेखावत इस बार फिर से इस सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वह 2014 से जोधपुर से लोकसभा सांसद हैं। कांग्रेस ने इस सीट पर इस बार अपना प्रत्याशी बदलते हुए करण सिंह उचियारड़ा को मैदान में उतारा है।
आरएलपी ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन समाप्त कर दिया था
उचियारड़ा कांग्रेस की प्रदेश इकाई के महासचिव हैं। लोकसभा चुनाव 2019 में भाजपा ने नागौर की सीट राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की घटक राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के लिए छोड़ दी थी, जहां हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस उम्मीदवार ज्योति मिर्धा को 1,81,260 वोटों के अंतर से हराया था।मिर्धा, अब भाजपा में हैं और उन्हें नागौर से पार्टी का टिकट दिया गया है। 2020 में किसानों आंदोलन को लेकर आरएलपी ने भाजपा के साथ अपना गठबंधन समाप्त कर दिया था।
राज्य के दक्षिणी हिस्से वाले मेवाड़ क्षेत्र में 2018 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उभरी भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) ने दो विधानसभा सीटें पर जीत हासिल की थी। बीटीपी ने बांसवाड़ा और डूंगरपुर इलाके में कांग्रेस और भाजपा दोनों को काफी नुकसान पहुंचाया था।हालांकि, इसके बाद हुए लोकसभा चुनावों में भाजपा मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में कामयाब रही और उसने बांसवाड़ा (3,05,464 वोट), चित्तौड़गढ़ (5,76,247 वोट), उदयपुर (4,37,914 वोट) और राजसमंद सीट (5,51,916 वोट) पर बहुत बड़े अंतर से जीत दर्ज की।
मेवाड़ क्षेत्र में भाजपा का विधानसभा चुनाव 2018 में प्रदर्शन अच्छा रहा था
मेवाड़ क्षेत्र में भाजपा का विधानसभा चुनाव 2018 में प्रदर्शन अच्छा रहा था, जिसका फायदा उसे बाद के लोकसभा चुनाव में भी मिला। वहीं पार्टी ने हाड़ौती क्षेत्र में अपना प्रभुत्व बरकरार रखा, जहां उसने कोटा-बूंदी सीट (ओम बिरला) और झालावाड़-बारां सीट (दुष्यंत सिंह) पर जीत हासिल हुई थी। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह ने 4,53,928 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। उत्तरी राजस्थान (बीकानेर, गंगानगर) और शेखावाटी क्षेत्र (चूरू, सीकर, झुंझुनू) में, पार्टी ने हर सीट पर लगभग तीन लाख के अंतर से जीत हासिल की थी।
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