यूपी में मुस्लिम वोटों की जंग, BJP खेल रही पसमांदा मुस्लिमों पर दांव, जानें सपा-कांग्रेस की रणनीति
उत्तर प्रदेश की 19% आबादी वाले मुस्लिम लगभग 24 लोकसभा सीटों पर महत्वपूर्ण असर रखते हैं और यहां उनकी आबादी 20% से 50% तक है।
यूपी में मुस्लिम वोटों की जंग
Fight For Muslim Votes: उत्तर प्रदेश में 2024 के लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही तमाम दलों के बीच मुस्लिम वोटों के लिए जंग देखने को मिल रही है। समाजवादी पार्टी के नेतृत्व वाले इंडिया ब्लॉक, बहुजन समाज पार्टी और यहां तक कि भारतीय जनता पार्टी के बीच मुस्लिम वोट के लिए संग्राम चरम पर पहुंचने की संभावना है। बीडजेपी पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों के करीब जाने की कोशिशों में है, जिन्होंने मोदी सरकार की सरकारी कल्याणकारी कार्यक्रमों का लाभ उठाया है।
उत्तर प्रदेश की 19% मुस्लिम आबादी
उत्तर प्रदेश की 19% आबादी वाले मुस्लिम लगभग 24 लोकसभा सीटों पर महत्वपूर्ण असर रखते हैं और यहां उनकी आबादी 20% से 50% तक है। समाजवादी पार्टी पिछले एक दशक से सक्रिय रूप से ओबीसी-मुस्लिम फॉर्मूले पर काम कर रही है। इससे 2017 के विधानसभा चुनाव में उसकी सीटों की संख्या 47 से बढ़कर 2022 के चुनाव में 111 हो गई। इसके विपरीत, बसपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों में 10 सीटें हासिल कीं, लेकिन 2022 के विधानसभा चुनावों में केवल एक सीट पर सिमट गई। इसका कारण मुस्लिम वोटों का सपा की ओर झुकाव था। अखिलेश यादव की सपा अपनी ओर से राज्य में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए दलित-मुस्लिम गठबंधन पर भरोसा कर रहे हैं।
बीजेपी की नजर पसमांदा मुसलमानों पर
इस बीच, बीजेपी पसमांदा मुसलमानों का समर्थन हासिल करने के लिए मुस्लिम-बहुल इलाकों में बैठकें और रैलियां कर रही है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) जैसे मुद्दे और वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि जैसे मुद्दों पर भाजपा के सख्त रुख के बावजूद पार्टी नेताओं को मुस्लिम आबादी के एक वर्ग का दिल जीतने की पूरी उम्मीद है , जिन्हें सरकारी योजनाओं से लाभ हुआ है। विश्लेषकों का अनुमान है कि रामपुर, संभल, अमरोहा और अन्य मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में पिछली जीत का हवाला देते हुए बीजेपी को हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण से फायदा हो सकता है।
सपा-कांग्रेस का लक्ष्य 24 विधानसभा क्षेत्र
समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन का लक्ष्य उत्तर प्रदेश के 24 निर्वाचन क्षेत्रों में मुस्लिम वोटों को मजबूत करना है। सपा ने अब तक 41 उम्मीदवारों की घोषणा की है, जिसमें गाजीपुर और कैराना के लिए मुस्लिम उम्मीदवार भी शामिल हैं, साथ ही संभल में दिवंगत शफीकुर रहमान बर्क के स्थान पर जल्द किसी को उम्मीदवार बनाने की योजना है। अपने पारंपरिक ओबीसी समर्थन आधार को लुभाने के लिए सपा ने रणनीतिक रूप से मुस्लिम-बहुल निर्वाचन क्षेत्रों में ओबीसी उम्मीदवारों को नामांकित किया। इस बीच, कांग्रेस, जिसे 17 सीटों पर चुनाव लड़ना है, उसने अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।
बसपा ने मुसलमानों को मैदान में उतारा
बहुजन समाज पार्टी ने कई सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं। इनमें अमरोहा में डॉ. मुजाहिद हुसैन, मुरादाबाद में इरफान सैफी, पीलीभीत में अनीश अहमद खान (फूल बाबू) और सहारनपुर में माजिद अली शामिल हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि सपा-कांग्रेस गठबंधन मुस्लिम वोटों का एक बड़ा हिस्सा हासिल करेगा। हालांकि बीएसपी के मुस्लिम उम्मीदवार इंडिया ब्लॉक के समर्थन आधार में सेंध लगा सकते हैं।
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