मायावती ने अपने भतीजे आनंद आकाश पर क्यों गिराई गाज, इन तीन वजहों से लिया एक्शन?
बसपा प्रमुख मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को इन दोनों जिम्मेदारियां से अलग कर दिया। इसके पीछे क्या वजहें बताई जा रही हैं,
आकाश आनंद पर गिरी गाज
Akash Anand: मंगलवार रात बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद को ना सिर्फ नेशनल कोऑर्डिनेटर के पद से हटाया बल्कि अपना उत्तराधिकारी भी नहीं रखा। मायावती ने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी देते हुए आकाश आनंद को इन दोनों जिम्मेदारियां से अलग कर दिया। इसके पीछे वजह उनका अपरिपक्व होना बताई जा रही है। आकाश के हालिया कुछ बयानों ने भारी विवाद पैदा किया था और मामला चुनाव आयोग तक पहुंच गया था। बताया जा रहा है कि इसी से मायावती खफा थीं। आपको बताते हैं कि इसके पीछे कौन सी तीन बड़ी वजहें सामने आ रही हैं।
1.भाजपा सरकार की तुलना आतंकवादियों से करना
दरअसल, 28 अप्रैल को आकाश आनंद ने सीतापुर में एक बड़ी की रैली को संबोधित किया था। इस रैली में आकाश आनंद ने कहा, "ये आतंकवादियों की सरकार है। इस सरकार को हटाना है और मायावती जी को प्रधानमंत्री बनाना है।" इस भाषण के बाद आकाश पर एफआईआर हुई। बसपा सुप्रीमो मायावती ने इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए आकाश आनंद के रेडियो के आयोजन पर रोक लगा दी। इसके बावजूद आकाश दिल्ली में पार्टी समर्थकों और शिक्षकों से लगातार संपर्क साध रहे थे और विपक्षी नेताओं को लगातार निशाने पर लेते रहे।
2. आकाश आनंद की आक्रामकता और बड़बोलापन
मायावती ने दिसंबर 2023 में लखनऊ में हुए पदाधिकारी सम्मेलन में आकाश को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। साथ ही उन्हें नेशनल कोऑर्डिनेटर बनाया गया था, लेकिन उन्हें यूपी और उत्तराखंड से दूर रखने का फैसला भी लिया गया था। इसके बावजूद लोकसभा चुनाव में आकाश आनंद ने नगीना से जनसभाओं की शुरुआत की। इस जनसभा में आकाश आनंद ने आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष और नगीना के प्रत्याशी चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण पर सीधा हमला बोला जो कि बसपा नेतृत्व को रास नहीं आया। मायावती कभी भी अपनी रैलियों में चंद्रशेखर का जिक्र तक नहीं करती हैं। पार्टी को लगा कि आकाश आनंद के इस फैसले से चंद्रशेखर को सियासी फायदा मिला।
3. ऐसे मुद्दों को उठाया जिससे बसपा किनारा करती रही है
आकाश आनंद अपनी रैलियों में बेहद आक्रामक दिखे। उनके भाषणों को भड़काऊ भाषण भी कहा गया। प्रचार पर रोक के बावजूद उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्रों, दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विदेश में बसे हुए बहुजन समाज के लोगों के साथ संपर्क करते हुए बसपा का प्रचार किया। आकाश आनंद ने ऐसे मुद्दों को हवा दे जिससे बसपा नेतृत्व किनारा करता रहा है। मायावती अपने रैलियों में चुनाव आयोग से सख्त कार्रवाई करने की मांग कर रही थी। ऐसी हालत में उनके लिए आकाश को बचाना मुश्किल लग रहा था। लिहाजा सबसे पहले मायावती ने अपने उत्तराधिकारी पर ही गज गिरकर बड़ा संदेश देने की कोशिश की।
बसपा में प्रत्याशियों को लेकर खींचतान
इतना ही नहीं बसपा में प्रत्याशियों को बदलने को लेकर भी अंदरखाने खींचतान हो रही है। सूत्रों का दावा है कि कुछ प्रत्याशियों के चयन में आकाश आनंद ने भी भूमिका निभाई थी, जिन्हें बाद में बसपा ने बदला भी। इससे बसपा की सख्त और अनुशासन वाली पार्टी की इमेज पर भी असर पड़ा। (विनोद मिश्रा की रिपोर्ट)
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