इंदिरा गांधी को किसने हराया था चुनाव? रायबरेली से शुरू हुई सियासी जंग बनी थी इमरजेंसी की वजह, पढ़ें दिलचस्प किस्सा
Siyasi Kisse: आपातकाल के बाद जब देश में लोकसभा चुनाव हुए, तो स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार कांग्रेस पार्टी सत्ता से बाहर हुई। कांग्रेस के खिलाफ देश में ऐसी लहर चली कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक चुनाव हार गईं। कांग्रेस की गढ़ मानी जाने वाली रायबरेली से उन्हें मुंह की खानी पड़ी। आपको वो रोचक किस्सा बताते हैं।
राजनारायण vs इंदिरा गांधी।
Indira Gandhi vs Raj Narain: वैसे तो सियासी गलियारों में इंदिरा गांधी से जुड़े कई दिलचस्प किस्से मशहूर हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री रहते हुए इंदिरा गांधी खुद चुनाव हार गई थीं। वो साल था 1977... देश में इमरजेंसी लगने के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव हो रहा था। ये वही दौर था, जब पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर होने होने वाली थी। जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था। कांग्रेस के विरोध की आंधी इस कदर चली कि खुद इंदिरा गांधी तक चुनाव हार गईं। अपने सियासी करियर में पहली बार इंदिरा ने हार का स्वाद चखा था, ये उनकी जिंदगी की पहली और आखिरी हार थी।
रायबरेली में इंदिरा गांधी को किसने हराया?
आपातकाल के चलते जनता के बीच फैली नाराजगी को कांग्रेस और इंदिरा भांप नहीं पाईं। यही नतीजा था कि 1977 में इंदिरा गांधी के साथ-साथ उनके बेटे संजय गांधी भी चुनाव हार गये थे। कांग्रेस के इतिहास में ये सबसे बड़ी घटना मानी जाती है। ऐसा पहली बार हुआ था, जब गांधी परिवार के सदस्य को किसी चुनाव में हार झेलनी पड़ी हो। इस चुनाव में इंदिरा गांधी को उसी नेता ने मात दी थी, जिसे 1971 के चुनाव में इंदिरा के हाथों की हार झेलनी पड़ी थी। राजनारायण ही वो शख्स थे, जिन्होंने रायबरेली से इंदिरा को बड़े अंतर से मात दी थी।
रायबरेली लोकसभा चुनाव 1977 के नतीजे
उम्मीदवार | कुल वोट | वोट फीसदी | पार्टी |
राजनारायण | 177719 | 51.9% | जनता पार्टी |
इंदिरा गांधी | 122517 | 35.7% | कांग्रेस |
उम्मीदवार | कुल वोट | वोट फीसदी | पार्टी |
रविंद्र प्रताप सिंह | 176410 | 58.3% | भारतीय लोक दल |
संजय गांधी | 100566 | 33.2% | कांग्रेस |
राजनारायण।
रायबरेली से हार के बाद इंदिरा गांधी के पहले शब्द
इंदिरा गांधी के करीबियों में गिने जाने वाले आरके धवन ने एक इंटरव्यू में इस बात का खुलासा किया था कि आधी रात में जब इंदिरा खाना खा रही थीं, उसी वक्त उन्हें देश में कांग्रेस और रायबरेली सीट से उनकी हार की खबर मिली। उन्होंने उस वक्त कहा था कि 'अब मैं अपना अधिक समय अपने परिवार को दूंगी।' मार्च 1977 में जब कांग्रेस सत्ता से पहली बार बाहर हुई, तो इसके एक साल के भीतर ही इंदिरा गांधी ने चिकमंगलूर सीट से चुनाव लड़ा और फिर संसद पहुंच गईं।
इंदिरा गांधी।
इंदिरा ने तीन साल बाद ही जनता पार्टी से लिया बदला
इंदिरा गांधी को आयरल लेडी के नाम से जाना जाता है। उनके अडिग फैसले और निडरता से सारी दुनिया वाकिफ रही है। वो बार-बार ये संदेश देती रहीं कि उन्हें कोई डरा और झुका नहीं सकता। यही वजह थी कि 1977 में रायबरेली से हार मिलने के बावजूद वो 1980 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर इसी सीट से चुनाव लड़ने पहुंच गईं। ये वही दौर था, जब कांग्रेस सत्ता में जोरदार वापसी करने वाली थी और इंदिरा गांधी एक बार फिर प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालने जा रही थीं। उन्होंने रायबरेली सीट जीतकर जनता पार्टी से बदला लिया और ये बताया कि वो डरती नहीं हैं।
राजबरेली लोकसभा चुनाव 1980 के नतीजे
उम्मीदवार | कुल वोट | वोट फीसदी | पार्टी |
इंदिरा गांधी | 223903 | 56.5% | कांग्रेस (आई) |
राजमाता विजया राजे सिंधिया | 50249 | 12.7% | जनता पार्टी |
उन्होंने जनता पार्टी की उम्मीदवार राजमाता विजया राजे सिंधिया को एक लाख 73 हजार से अधिक वोटों से धूल चटा दी। हालांकि 1980 के चुनाव इंदिरा ने तेलंगाना (उस वक्त के आंध्र प्रदेश) के मेदक सीट से भी चुनाव लड़ा था। रायबरेली में जनता पार्टी से अपना बदला लेकर, उन्होंने ये सीट छोड़ दी और मेदक सीट को चुना। इसके बाद रायबरेली सीट पर उपचुनाव हुए, जिसमें कांग्रेस के अरुण नेहरू ने जनेश्वर मिश्र को करारी शिकस्त दी। रायबरेली में गांधी परिवार के किसी सदस्य की इस सीट से दोबारा हार नहीं हुई, हालांकि 1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा के अशोक सिंह ने कांग्रेस को हार झेलने पर मजबूर कर दिया था। 2004 से अब तक इस सीट पर इंदिरा की बहु सोनिया गांधी सांसद रहीं, उन्होंने इस बार ये सीट छोड़ दी और राजस्थान से राज्यसभा सांसद बन गईं।
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रायबरेली सीट के लिए शुरू हुई जंग इमरजेंसी तक पहुंची
ये किस्सा वाकई बेहद दिलचस्प है, साल 1971 की बात है। कांग्रेस की इंदिरा गांधी ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे राजनारायण को रायबरेली सीट से लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त दे दी थी। इस चुनाव में राजनारायण को भरोसा था कि वो चुनाव जीतेंगे, लेकिन जब उनकी हार हुई तो उन्होंने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया और अदालत का रुख किया। मामला लंबा चला, देश के इतिहास में पहली बार हुआ जब प्रधानमंत्री को अपना पक्ष रखने अदालत की चौखट पर जाना पड़ा। इलाहाबाद हाइकोर्ट के तत्कालीन न्यायमूर्ति जगमोहन लाल ने तब आदेश दिया था कि सुनवाई के लिए जब इंदिरा गांधी अदालत के अंदर आएं, तो कोई खड़ा नहीं होगा। अदालत में सिर्फ जज के आने पर ही खड़ा होने का नियम है। इस सुनवाई में जस्टिस जगमोहन ने इंदिरा के खिलाफ फैसला सुनाया और 1971 के चुनाव को रद्द कर दिया था। इतना ही नहीं, अदालत ने इंदिरा के 6 साल तक चुनाव लड़ने पर भी प्रतिबंध लगा दिया था। अदालत के फैसले के कुछ ही दिनों के भीतर देश में इमरजेंसी लागू कर दिया गया।
इंदिरा गांधी।
रायबरेली सीट पर पहली बार सांसदी का चुनाव इंदिरा के पति फिरोज गांधी ने जीता था। 1952 और 57 को लोकसभा चुनाव में फिरोज इस सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद 1960 में इस सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसमें कांग्रेस के आरपी सिंह ने जीत हासिल की। 1962 के चुनाव में बैजनाथ कुरील रायबरेली के सांसद बने। इसके बाद 1967 से 1977 तक इंदिरा गांधी, 1977 से 1980 तक राजनारायण, 1980 से 1989 तक अरुण नेहरू, 1989 से 1996 तक शीला कौल, 1996 से 1999 तक अशोक सिंह, 1999 से 2004 तक सतीश शर्मा और 2004 से 2024 तक सोनिया गांधी इस सीट से सांसद रही हैं।
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