Lucknow Chunav: अटल बिहारी वाजपेयी ने तैयार की जमीन, अब राज कर रहे राजनाथ; जानें कितना दिलचस्प है लखनऊ का चुनाव
Lucknow Election: अटल बिहारी ने पहली बार इस लोकसभा सीट के लिए 1955 में हुए उपचुनाव में अपनी दावेदारी पेश की, हालांकि उनको न सिर्फ हार का मुंह देखना पड़ा बल्कि तीसरे स्थान पर रहकर संतोष भी करना पड़ा। इसके बाद 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव में वो दूसरे स्थान पर रहे। आपको दिलचस्प बातें बताते हैं।
लखनऊ चुनाव में राजनाथ सिंह का क्या होगा?
Lok Sabha Election 2024: राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि लखनऊ में भाजपा को जीत हासिल करने में किसी प्रकार की कोई मुश्किल नहीं होने वाली है। हालांकि वो कहते हैं न जब तक को काम हो न जाए, उसका ढोल नहीं पीटना चाहिए। क्योंकि राजनीति को यूं ही नहीं अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता है। सियासत में कब क्या हो जाए, इसका अंदाजा लगा पाना बिल्कुल वैसा ही है, जैसे रेत के ढेर में एक सुई की तलाश करना। खैर... भले ही लखनऊ लोकसभा सीट पर वर्ष 1991 से भारतीय जनता पार्टी का एकछत्र राज है, लेकिन इसके लिए जमीन तैयार करने में किसकी मेहनत लगी?
अटल बिहारी ने तैयार की थी लखनऊ की जमीन
पिछले 8 लोकसभा चुनावों में भाजपा को इस पर कोई भी पार्टी पटखनी नहीं दे सकी है। लगातार दो बार से राजनाथ सिंह इस सीट से सांसद चुने जा रहे हैं। उससे पहले 2009 के चुनाव में लाल जी टंडन ने यहां चुनाव जीता था। लेकिन इसकी जमीन अटल बिहारी वाजपेयी ने तैयार की। उन्होंने खुद इस सीट से आठ बार चुनाव लड़ा, जिसके शुरुआती तीन बार उन्हें हार झेलनी पड़ी थी।
लखनऊ के सबसे चर्चित सांसद अटल बिहारी वाजपेयी
उत्तर प्रदेश में कुल 80 लोकसभा (संसदीय) सीटें हैं, जिनमें एक अहम लखनऊ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र भी है। लखनऊ यूपी की राजधानी है। इस सीट पर 1991 से ही भारतीय जनता पार्टी का कब्जा है। लखनऊ के सबसे चर्चित सांसद का नाम अटल बिहारी वाजपेयी है, जो देश के पूर्व प्रधानमंत्री भी हैं। अटल ने अपने जीवन में इस सीट से आठ बार चुनाव लड़ा और इनमें से शुरुआती तीन में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। कहीं न कहीं वो हार भाजपा की जमीन इस सीट पर इतनी मजबूत कर रही थी कि पिछले आठ चुनावों में यहां इसे कोई नहीं हरा सका। हालांकि वाजपेयी ने उन दिनों भारतीय जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़ा था।
कब किसके हाथों वाजपेयी को झेलनी पड़ी हार?
अटल बिहारी ने पहली बार इस लोकसभा सीट के लिए 1955 में हुए उपचुनाव में अपनी दावेदारी पेश की, हालांकि उनको न सिर्फ हार का मुंह देखना पड़ा बल्कि तीसरे स्थान पर रहकर संतोष भी करना पड़ा। इसके बाद 1957 और 1962 के लोकसभा चुनाव में वो दूसरे स्थान पर रहे। 1955 के उपचुनाव में उन्हें कांग्रेस की श्योराजवती नेहरू ने शिकस्त दी थी। जबकि 1957 में पुलिन बिहारी बनर्जी और 1962 में कांग्रेस के ही बीके धौन ने पटखनी दी थी।
कब कौन चुना गया लखनऊ सीट से सांसद?
वर्ष | नाम | पार्टी |
1952 | विजया लक्ष्मी पंडित | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1955 (उपचुनाव) | श्योराजवती नेहरू | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1957 | पुलिन बिहारी बनर्जी | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1962 | बीके धौन | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1967 | आनंद नारायण मुल्ला | निर्दलीय |
1971 | शीला कौल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1977 | हेमवती नंदन बहुगुणा | जनता पार्टी |
1980 | शीला कौल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1984 | शीला कौल | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1989 | मांधाता सिंह | जनता दल |
1991 | अटल बिहारी वाजपेयी | भारतीय जनता पार्टी |
1996 | अटल बिहारी वाजपेयी | भारतीय जनता पार्टी |
1998 | अटल बिहारी वाजपेयी | भारतीय जनता पार्टी |
1999 | अटल बिहारी वाजपेयी | भारतीय जनता पार्टी |
2004 | अटल बिहारी वाजपेयी | भारतीय जनता पार्टी |
2009 | लाल जी टंडन | भारतीय जनता पार्टी |
2014 | राजनाथ सिंह | भारतीय जनता पार्टी |
2019 | राजनाथ सिंह | भारतीय जनता पार्टी |
1962 के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने 1991 के लोकसभा चुनावों में लखनऊ सीट से चुनाव लड़ा और उसके बाद से इस सीट पर भाजपा को कभी हार नहीं झेलनी पड़ी। यदि ये कहा जाए कि जिस सीट से आज राजनाथ राज कर रहे हैं, उसे अटल बिहारी ने भाजपा के लिए बड़ी जद्दोजहर से तैयार की है। इस बार के चुनावी मैदान में राजनाथ सिंह का मुकाबला सपा के रविदास मेहरोत्रा से हुआ, जिसके नतीजे आने में अब कुछ ही घंटे बाकी रह गए हैं।
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