BJP के लिए नया गुजरात बना MP, CM पद पर चौहान का दावा और मजबूत करेगी यह प्रचंड जीत
Madhy Pradesh Assembly Election Results 2023: मध्य प्रदेश में भाजपा की यह जीत 2022 में गुजरात चुनाव में मिली जीत जैसी है। इस चुनाव में राज्य की 182 सीटों में से भगवा पार्टी ने 156 सीटों पर कब्जा जमाया। गुजरात में पहली बार किसी राजनीतिक दल ने इतनी सीटें जीतीं।
साल 2005 में पहली बार सीएम बने शिवराज सिंह चौहान।
Madhy Pradesh Assembly Election Results 2023: मध्य प्रदेश के चुनाव रुझानों ने सबको चौंका दिया। राजनीति के जानकार यहां भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस में टक्कर का अनुमान जता रहे थे। लेकिन तीन दिसंबर को आए रुझानों ने भाजपा की जीत की एक बड़ी पटकथा लिख दी। 230 सीटों वाली विधानसभा में भाजपा करीब 155 सीटों पर बढ़त ले चुकी है। रुझानों से जाहिर है कि भगवा पार्टी की एमपी में प्रचंड जीत होने जा रही है।
2018 की तुलना में यह बहुत बड़ी जीत
भाजपा की इस शानदार सफलता के पीछे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की 'लाड़ली बहना' योजना का असर बताया जा रहा है। मध्य प्रदेश का चुनाव भले ही शिवराज के चेहरे को आगे न रखकर लड़ा गया हो लेकिन इस बंपर जीत में उनका कुशल प्रशासन एवं उनका सौम्य छवि शामिल है। 2018 के विधानसभा चुनाव परिणाम से तुलना करे तो यह बहुत बड़ी जीत है। सत्ता विरोधी लहर के बावजूद 150 से ज्यादा सीटने जीतना राजनीति एवं सियासत की एक अलग तस्वीर पेश करता है। 2018 के चुनाव में भाजपा 109 सीट ही जीत पाई थी। इस चुनाव में कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत मिली।
एमपी में भाजपा को गुजरात जैसी जीत मिली
मध्य प्रदेश में भाजपा की यह जीत 2022 में गुजरात चुनाव में मिली जीत जैसी है। इस चुनाव में राज्य की 182 सीटों में से भगवा पार्टी ने 156 सीटों पर कब्जा जमाया। गुजरात में पहली बार किसी राजनीतिक दल ने इतनी सीटें जीतीं। गुजरात जैसी सफलता भाजपा अब अन्य राज्यों में दोहरा रही है। मध्य प्रदेश उसका ताजा मिसाल बनकर उभरा है। यह जीत भाजपा में नए सिरे से उत्साह एवं आत्मविश्वास का संचार करेगी।
सत्ता विरोधी लहर भी थी
भाजपा के लिए यह जीत इसलिए और भी खास हो जाती है क्योंकि कमलनाथ के 15 महीनों के शासन को अगर छोड़ दिया जाए तो शिवराज सिंह चौहान लगातार राज्य के सीएम हैं। वह 16 सालों से राज्य के मुख्यमंत्री हैं। एमपी के लोग लंबे समय से सीएम की कुर्सी पर शिवराज सिंह को देखते आ रहे हैं। लंबे समय तक राजनीतिक पद पर बने रहने के अपने जोखिम होते हैं। जनता एक ही चेहरे और उसके कार्यप्रणाली को देखते-देखते ऊब जाती है। वह बदलाव की मांग करने लगती है। शिवराज को इस चुनाव में सत्ता विरोधी लहर का भी सामना करना पड़ा है।
5वीं बार सीएम बन सकते हैं चौहान
चुनाव के दौरान भाजपा ने उन्हें सीएम पद का चेहरा घोषित नहीं किया। उसे इस बात का डर था कि उन्हें सीएम पद का चेहरा बनाने पर उसे नुकसान हो सकता है। पार्टी की तरफ से अपना कद एक तरह से घटाने के बावूजद शिवराज ने खुद को एक कमजोर नेता के रूप में पेश नहीं किया बल्कि पहले से ज्यादा जुझारूपन का परिचय देते हुए पूरे दम-खम के साथ चुनाव में प्रचार किया। अपनी रैलियों में उन्होंने जनता से सीधे संवाद किया। मंदिर-मंदिर गए।
जीत से बड़ा हुआ शिवराज का सियासी कद
मध्य प्रदेश की महिलाओं एवं बच्चियों को यह बार-बार अहसास कराया कि वही उनके 'भाई और मामा' हैं। अपनी जनसभाओं के जरिए शिवराज ने बार-बार संकेत दिया कि भले ही उन्हें सीएम पद का चेहरा नहीं बनाया गया है फिर भी इस पद के लिए वही सबसे बड़े दावेदार हैं। इस जीत ने उनका सियासी कद और बड़ा कर दिया है। वह पांचवीं बार मध्य प्रदेश के सीएम बन सकते हैं।
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