Mahasamund Lok Sabha Constituency: क्या कहता है महासमुंद का जातीय समीकरण, समझिए कहां है बीजेपी मजबूत और कांग्रेस कमजोर
Mahasamund Lok Sabha Constituency: 2019 के आंकड़ों के अनुसार महासमुंद में कुल मतदाताओं की संख्या 1637002 है, जिसमें शहरी मतदाता 13.4 प्रतिशत, ग्रामीण मतदाता 86.6 प्रतिशत है। धार्मिक संरचना के संदर्भ में, हिंदू मतदाता 86% हैं, इसके बाद मुस्लिम (1.5%), ईसाई (0.37%) और सिख (0.19%) हैं।
महासमुंद लोकसभा सीट का समीकरण
Mahasamund Lok Sabha Constituency: महासमुंद लोकसभा सीट पर बीजेपी हैट्रिक लगाने की तैयारी कर रही है। वहीं कांग्रेस अपने पुराने गढ़ को वापस लाने की कोशिश में हैं। महासमुंद लोकसभा सीट पर ओबीसी वोटर की निर्णायक भूमिका रही है। बीजेपी जहां इस बार नए चेहरे के भरोसे तो वहीं कांग्रेस अपने दिग्गज को उतार कर इस चुनाव में बढ़त बनाने की कोशिश की है।
महासमुंद का जातीय समीकरण
2019 के आंकड़ों के अनुसार महासमुंद में कुल मतदाताओं की संख्या 1637002 है, जिसमें शहरी मतदाता 13.4 प्रतिशत, ग्रामीण मतदाता 86.6 प्रतिशत है। धार्मिक संरचना के संदर्भ में, हिंदू मतदाता 86% हैं, इसके बाद मुस्लिम (1.5%), ईसाई (0.37%) और सिख (0.19%) हैं। इस सीट पर ओबीसी मतदाता निर्णायक रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार महासमुंद सीट पर 54 प्रतिशत ओबीसी मतदाता हैं। ये जिस साइड गए, जीत उनकी होती है। यही कारण है कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने ही ओबीसी उम्मीदवार पर भरोसा जताया है।
बीजेपी कहां मजबूत
भाजपा ने रूप कुमारी चौधरी को टिकट दिया है, जिनका कोई विवादित इतिहास नहीं है। कुमारी बसना से आती हैं, जहां उन्हें अपनी स्थानीय लोकप्रियता के आधार पर भारी बहुमत मिलने की उम्मीद है। अन्य क्षेत्रों में, उनके प्रचार अभियान जारी हैं। मौजूदा सांसद को टिकट न दिए जाने के बावजूद, अंदरूनी कलह या गुटबाजी का कोई संकेत नहीं है। केंद्र की कल्याणकारी योजनाएं लोगों के बीच बीजेपी को सपोर्ट दिला सकती है। साथ ही राज्य की महतारी वंदना योजना, जिसमें सभी महिलाओं को हर महीने सरकार से 1000 रुपये की राशि मिलती है, से बी बीजेपी को सीधे फायदा हो सकता है।
कांग्रेस का समीकरण
कांग्रेस पार्टी ने 2018 से 2023 के बीच भूपेश बघेल सरकार में गृह मंत्री रहे और साहू समाज के दिग्गज नेता ताम्रध्वज साहू को मैदान में उतारा है। साहू दुर्ग से आने वाले राज्य के जाने-माने और सम्मानित नेता हैं। 2014 में मोदी लहर के बावजूद वे दुर्ग की लोकसभा सीट जीतने में कामयाब रहे थे। 2018 में वे दुर्ग ग्रामीण सीट से विधायक बने और गृह मंत्री बने। साहू स्वयं एक प्रमुख नेता हैं तथा उन्हें स्थानीय कांग्रेस विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जो अपने निर्वाचन क्षेत्रों में भी लोकप्रिय हैं। इस लिहाज से इस सीट पर मुकाबला टक्कर का दिख रहा है।
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