MP Election: शिवराज सिंह ने बुधनी से दाखिल किया नामांकन, हनुमान मंदिर, कुल देवी-देवता, सलकनपुर मंदिर में की पूजा अर्चना

Shivraj Singh Nomination: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने जन्मभूमि जैत में हनुमान मंदिर, कुल देवी-देवता, नर्मदा नदी और सलकनपुर मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद नामांकन जमा किया।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने बुधनी विधानसभा से अपना नामांकन फार्म जमा किया

मुख्य बातें
  1. सीएम ने कमलनाथ और राहुल गांधी को लिया आड़े हाथ
  2. ये तो ठहरे परदेशी, सिर्फ चुनाव में आते हैं, प्रत्येक परिवार को मिलेगा रोजगार : मुख्यमंत्री
  3. बहनें घर का काम करने के साथ ही हर साल 1 लाख रुपये कमाएंगी

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने सोमवार को सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन फार्म जमा किया। इसके साथ ही उन्होंने ऐलान कर दिया कि वे अब बुधनी में अपना प्रचार करने नहीं आएंगे, प्रदेश की बाकी 229 सीटों पर प्रचार कर फिर बीजेपी की सरकार बनाएंगे। बुधनी की जनता ने भी संकल्प लिया कि वे अपने भैया और मामा से रिश्ता निभाने के इस चुनाव में शिवराज सिंह के लिए हर घर से पूरे वोट दिलाएंगे।

नामांकन से पहले सीएम सपरिवार अपने गृहग्राम जैत पहुंचे। उन्होंने जन्मभूमि को प्रणाम किया। नर्मदा मैया तथा कुल देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की। सीएम का इस मौके पर ऐतिहासिक रोड शो भी हुआ। नामांकन से पहले जनसभा को सम्बोधित करते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस और उसके नेताओं पर जमकर आड़े हाथों लिया। कांग्रेस नेता कमलनाथ पर निशाना साधते हुए सीएम शिवराज ने कहा कि अब वो लोग तो सेठ, अरबपति, उद्योगपति हैं, गांव-गली क्या जानें? मध्यप्रदेश की माटी से उनका कोई लेना देना नहीं है, लेकिन अपना तो नरा ही जैत में गड़ा है। उनका तो पता ही नहीं होगा कि नरा कहां गड़ा है, वो तो नरा का मतलब ही नहीं जानते होंगे। वे तो ठहरे परदेशी, चुनाव में आते हैं फिर चले जाते हैं। एक दिन मेरे साथ दौरा करके देख लें, दिनभर फिर दूसरे दिन उठ लें, तो बताएं। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस के मित्र परेशान बहुत रहते हैं। सोचते हैं कि डेढ़ पसली का यह शिवराज कहां से आ गया। उन्होंने एक बार तो मेरा श्राद्ध ही कर दिया था। तब मैंने कहा कि मैं राख के ढेर में से भी उठ कर खड़ा हो जाऊंगा।

कांग्रेसी आटे को लीटर में तौलते हैं : सीएम

शिवराज सिंह चौहान ने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि देखो उनमें और हममें अंतर क्या है? वे आटे को किस चीज में तोलते हैं, लीटर में। अब भैया धान का खेत काटने पहुंच जाएं, लेकिन यह पता ही नहीं है कि धान जमीन के नीचे होती है या जमीन के उपर। वे जमीनी वास्तविकता से परिचित नहीं हैं। हमने तो बक्खर हांके हैं। ढुली टांग कर उराई भी करी है।

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