सिंधिया की अग्निपरीक्षा: शाही शख्सियत जो बन गया समर्पित पार्टी कार्यकर्ता...वफादारों पर टिका दारोमदार

आगामी चुनाव सिंधिया के लिए किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं होगा जब उनके वफादार चुनावी मैदान में उतरकर एक नया अध्याय लिखने की कोशिश करेंगे।

ज्योतिरादित्या सिंधिया की अग्निपरीक्षा

Jyotiraditya Scindia: आगामी मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में बड़ा सियासी घमासान होने जा रहा है। इस चुनावी गाथा के केंद्र में रहेंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया, जिन्हें कभी महाराजा के नाम से भी जाना जाता था। आज वह भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों पार्टियों में एक नेता-कार्यकर्ता के तौर पर काम कर चुके हैं जो उनकी राजनीतिक छवि और रणनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देता है। आगामी चुनाव उनके लिए किसी लिटमस टेस्ट से कम नहीं होगा जब उनके वफादार चुनावी मैदान में उतरकर एक नया अध्याय लिखने की कोशिश करेंगे।

शाही शख्सियत से बने समर्पित पार्टी कार्यकर्ता

एक शाही शख्सियत से एक समर्पित पार्टी कार्यकर्ता के रूप में सिंधिया का कायापलट भाजपा की विचारधारा के साथ जुड़ने की उनकी कोशिशों को दर्शाता है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ने रणनीतिक रूप से सिंधिया के वफादारों को अपनी उम्मीदवार सूची में शामिल किया है, जो पिछली चुनावी रणनीतियों से हटकर है। सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हुए 25 प्रमुख वफादारों में से 18 को पार्टी ने मैदान में उतारा है। हालांकि, 2020 में उपचुनाव जीतने वाले सात लोगों को अपना टिकट खोना पड़ा है, जिनमें ओपीएस भदोरिया और रक्षा सनोरिया जैसी प्रमुख हस्तियां शामिल हैं। उम्मीदवारों का यह फेरबदल मध्य प्रदेश में सियासी उठापटक और बदलती रणनीति को बयां करता है।

खुद चुनाव में नहीं उतरे सिंधिया

दिलचस्प बात यह है कि जहां सिंधिया के वफादारों को उम्मीदवारों की सूची में जगह मिली है, वहीं सिंधिया ने खुद चुनाव लड़ने से परहेज किया है। यह फैसला भाजपा नेतृत्व का सिंधिया की क्षमताओं पर विश्वास और उनके लिए लंबी योजना को दर्शाता है। उनकी लोकप्रियता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ उनके घनिष्ठ संबंधों ने इस विकल्प पर आगे बढ़ने का हौसला दिया है।

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