संजय गांधी के साथ पढ़े नवीन पटनायक, पहनते थे जींस-टीशर्ट, राजनीति ने बदल दिया पहनावा
Naveen Patnaik : 17 अप्रैल 1997 को बीजू पटनायक की हृदयाघात से मौत हो गई। उनके निधन से अस्का लोकसभा सीट से रिक्त हो गई। इस सीट पर उपचुनाव होना था। इस सीटे के लिए जनता दल ने पहले पटनायक के उद्योगपति एवं बड़े बेटे प्रेम पटनायक को चुनाव लड़ाने की पेशकश की।
ओडिशा के सीएम हैं नवीन पटनायक।
Naveen Patnaik : ओडिशा में लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव हो रहे हैं। ओडिशा के मुख्यमंत्री पद पर नवीन पटनायक दो दशक से भी ज्यादा समय से कायम हैं। 78 साल के हो चुके नवीन यदि विधानसभा चुनाव जीत जाते हैं तो सीएम के रूप में उनकी यह शायद अंतिम पारी हो सकती है। अपने बाद राजनीति में उन्होंने अपनी कोई पारिवारिक विरासत नहीं बनाई है। उनकी विरासत उनके पूर्व नौकरशाह वीके पांडियन के हवाले है। इस बार नवीन अगर सीएम बने तो वह पवन कुमार चामलिंग के सबसे ज्यादा सीएम रहने का रिकॉर्ड तोड़ देंगे। राजनीति में नवीन का आना भी एक घटना है। वह राजनीति के दांव-पेंच से दूर अपनी कला-संस्कृति और लेखन में अपना हुनर दिखा रहे थे।
राजनीति में नवीन का आना एक घटना की तरह था
17 अप्रैल 1997 को बीजू पटनायक की हृदयाघात से मौत हो गई। उनके निधन से अस्का लोकसभा सीट से रिक्त हो गई। इस सीट पर उपचुनाव होना था। इस सीटे के लिए जनता दल ने पहले पटनायक के उद्योगपति एवं बड़े बेटे प्रेम पटनायक को चुनाव लड़ाने की पेशकश की लेकिन उन्होंने अपने कारोबारी एवं निजी व्यस्तताओं का हवाला देकर चुनाव लड़ने से मना कर दिया। प्रेम के मना करने के बाद बीजू पटनायक की बेटी गीता मेहता के नाम पर भी विचार हुआ लेकिन उस समय वह देश में नहीं बल्कि अमेरिका में थीं। इसका बाद उनके छोटे बेटे नवीन पटनायक के नाम पर चर्चा हुई।
युवा अवस्था में जींस-टीशर्ट पहनते थे
परिवार भले ही राजनीति में था लेकिन उन दिनों नवीन पटनायक का मन-मिजाज सियासत से दूर कला-संस्कृति और लेखन में रमा हुआ था। उन दिनों नवीन की पोशाक जींस-टीशर्ट हुआ करती थी लेकिन सियासत में आने के बाद उनका पहनावा बदलने लगा, वह कुर्ता-पाजामा पहनने लगे। पिता के निधन से रिक्त हुई सीट पर उन्होंने उपचुनाव लड़ा और फिर विजयी हुए। इसके बाद 1997 में जनता दल से अलग होकर उन्होंने बीजू जनता दल (बीजद) पार्टी का गठन कर लिया।
दून स्कूल में संजय गांधी के साथ पढ़े
नवीन पटनायक की शुरुआती शिक्षा नामी दून स्कूल में हुई। यहां वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी के साथ पढ़े। नवीन के बारे में कहा जाता था कि अपने युवा अवस्था में वह लुटियन दिल्ली में काफी चर्चित थे। कला के प्रति उनका लगाव इतना ज्यादा था कि वह ओबेराय होटल में बुटिक तक चलाते थे। 2000 में कांग्रेस को सत्ता से हटाने के बाद वह ओडिशा में लगातार मुख्यमंत्री पद पर बने हुए हैं। ओडिशा में इस बार मुख्य चुनावी मुकाबला भाजपा और बीजद के बीच है। लोकसभा चुनाव में भाजपा का इरादा बीजद के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने का था लेकिन यह धरातल पर नहीं उतर सका।
उड़िया ठीक से नहीं बोल पाते
नवीन पटनायक के बचपन का ज्यादातर हिस्सा ओडिशा से दूर बीता। दून स्कूल में पढ़ाई की वजह से वह घर से और ओड़िया खान-पान और संस्कृति से दूर रहे। इसका असर उनकी मातृभाषा पर भी पड़ा। वह आज भी ठीक से उड़िया बोल और लिख-पढ़ नहीं पाते हैं। स्कूल में लोग उनके सहपाठी प्यार से पप्पू बुलाते थे। युवा अवस्था में इनके दिन न्ययॉर्क में बीते। विदेशी कल्चर के साथ पले-बढ़े और जवान हुए नवीन के व्यक्तित्व में नाफिसियत की झलक मिलती है। वह अंग्रेजी भी बड़े ही सलीके से बोलते हैं। वह सिगरेट और व्हिस्की के शौकीन भी हैं। नवीन ने शादी नहीं की, वह अविवाहित हैं।
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