NDA एकजुट तो क्यों बिखरा है INDI गठबंधन? समझिए लोकसभा चुनाव में इसका नफा-नुकसान
Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 का बिगुल बज चुका है। भाजपा के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन और विपक्षी दलों के गठबंधन INDIA के बीच मुकाबला होना है। INDI अलायंस में शामिल कई पार्टियां बिखरी हुई हैं। ऐसे में सवाल उठने लाजमी हैं कि जब चुनाव से पहले इस गठबंधन का ये हाल है तो बाद में क्या होगा?
क्या अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा है विपक्षी गठबंधन?
Election Explainer: विपक्षी दलों के गठबंधन ने जब इंडियन नेशनल डेवलपमेंट इंक्लूजिव अलायंस (INDIA) का गठन किया था तो इसमें शामिल सभी पार्टियां इस बात का दावा कर रही थीं कि वो एकजुट हैं, उनका सिर्फ एक ही लक्ष्य है केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा को हराना। मगर जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आने लगे विपक्षी गठबंधन के दावे खोखले होते चले गए। नतीजा ये है कि लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा हो चुकी है और आज भी ये गठबंधन राम भरोसे है।
आखिर क्यों बिखरा हुआ है विपक्षी गठबंधन INDIA?
सवाल उठने लाजमी हैं, क्योंकि विपक्षी गठबंधन INDIA में पड़ी दरार किसी से छिपी नहीं है। जिस नीतीश कुमार ने इस गठबंधन की नींव रखी थी, वो खुद अपनी पार्टी के साथ INDIA छोड़ NDA में शामिल हो चुके हैं। इसके ठीक पहले ममता बनर्जी ने इस गठबंधन से किनारा करते हुए पश्चिम बंगाल में सभी 42 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी थी। यही नहीं आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच चल रही रस्सा-कशी भी सबके सामने आ चुकी है। ऐसे में सवाल यही है कि ऐसे बिखरकर लोकसभा चुनाव में ये पार्टियां भाजपा से मुकाबला कैसे करेंगी?
कहां-कहां खतरे में है विपक्षी गठबंधन का अस्तित्व?
विपक्षी गठबंधन INDIA में रहते हुए पश्चिम बंगाल में ममता की अदावत की वजह कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी रहे। कांग्रेस के चलते ही बंगाल में ममता की पार्टी टीएमसी अकेसे सभी 42 सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना ली। इसका असर बिहार में भी देखने को मिला, नीतीश कुमार ने INDIA को अलविदा कह दिया और NDA के साथ मिल गए। कांग्रेस और राजद के बीच भी अब तक इस राज्य में सीट बंटवारे को लेकर विवाद जारी है। इसी बीच अरविंद केजरीवाल ने भी INDIA में रहते हुए कांग्रेस के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया और पंजाब की सभी 13 सीटों पर गठबंधन से अलग यानी अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी।
उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस और सपा के बीच सबकुछ ठीक नहीं चल रहा था, हालांकि अखिलेश ने कांग्रेस को 17 सीटें देने का ऐलान कर दिया, उसके बाद से मामला शांत है। हालांकि मध्य प्रदेश, गुजरात को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के बीच अब तक समझौता नहीं हो सका है। गनीमत है कि दिल्ली की 7 सीटों पर दोनों पार्टियों में बात बन गई है। महाराष्ट्र में भी मामला राम भरोसे है। ऐसे में पंजाब, पश्चिम बंगाल ये दो ऐसे राज्य हैं कि गठबंधन के साथी ही एक-दूसरे के साथ चुनाव लड़ने को तैयार खड़े हैं।
आगामी लोकसभा चुनाव में इसका नफा-नुकसान
जब एक ही गठबंधन में रहते हुए सहयोगी दल एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव प्रचार करेंगे तो भला जनता में क्या संदेश जाएगा। भोजपुरी में एक कहावत है- खेलब न खेले देब खेलिया बिगाड़ब... मतलब ये कि हम ना तो खेलेंगे और ना ही खेलने देंगे, हम खेल को ही बिगाड़ देंगे। यदि गठबंधन में रहते हुए दो सहयोगी दल एक-दूसरे से मुकाबला करेंगे तो इसका फायदा भाजपा के NDA को पहुंच सकता है। यूं कह लें कि ऐसा कर के वो अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं।
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