इसी सत्र में आ सकता है 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल, आम सहमति की तैयारी में सरकार; JPC भी ऑप्शन में!
One Nation One Election Bill: 'वन नेशन, वन इलेक्शन' के बारे में चर्चा सबसे पहले 1999 में शुरू हुई, जब विधि आयोग ने अपनी 170 वीं रिपोर्ट में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव हर पांच साल पर एक साथ कराने का सुझाव दिया।
वन नेशन वन इलेक्शन पर सरकार की तैयारियां पूरी
मुख्य बातें
- कोविंद समिति का गठन 2 सितंबर 2023 को किया गया था
- इस समिति ने 18,626 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की थी
- आठ सदस्यीय समिति ने आम लोगों से भी राय आमंत्रित की थी
One Nation One Election Bill: वन नेशनल वन इलेक्शन बिल को सरकार इसी सत्र में पेश कर सकती है। रिपोर्ट्स की मानें तो शीतकालीन सत्र में ही मोदी सरकार एक देश एक चुनाव बिल को पेश करने की तैयारी में है। मोदी सरकार इस बिल को आम सहमति के जरिए पास कराने की कोशिश में है। हालांकि इसमें कई चुनौतियां भी हैं।
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जेपीसी भी ऑप्शन में
कैबिनेट ने 'वन नेशन, वन इलेक्शन' पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी दे दी है। सूत्रों ने बताया कि सरकार अब विधेयक पर आम सहमति बनाना चाहती है और इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है। सूत्रों के मुताबिक जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा करेगी। इस प्रक्रिया में अन्य स्टेकहोल्डर को भी शामिल किया जाएगा। चर्चा है कि संवैधानिक विशेषज्ञों के साथ सभी राज्यों की विधानसभा अध्यक्षों को इस चर्चा में शामिल किया जा सकता है। साथ ही इस विधेयक पर आम लोगों की राय लिये जाने की योजना है।
विचार-विमर्श के दौरान विधेयक के प्रमुख पहलुओं, इसके लाभ और देश भर में एक साथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक कार्यप्रणाली और चुनावी प्रबंधन पर चर्चा की जाएगी। इस मुद्दे पर विपक्षी दलों से बातचीत की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अर्जुन राम मेघवाल और किरेन रिजिजू को नियुक्त किया गया है।
संविधान में करना होगा संशोधन
'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन के लिए कम से कम छह विधेयक लाने होंगे और सरकार को संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत पड़ेगी। गौरतलब है कि एनडीए को संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में साधारण बहुमत प्राप्त है। लेकिन, सदन में दो तिहाई बहुमत प्राप्त करना केंद्र सरकार के लिए चुनौती भरा कदम है।
संदन में संख्याबल में सरकार पीछे
उल्लेखनीय है कि संविधान संशोधन के लिए मोदी सरकार को एनडीए से बाहर के दलों के सहयोग की भी जरूरत होगी। संविधान संशोधन के लिए सदन की सदस्य संख्या के 50 प्रतिशत के साथ ही सदन में मौजूद सदस्यों के कम से कम दो-तिहाई का विधेयक के पक्ष में मतदान करना जरूरी है।उच्च सदन राज्यसभा की 245 सीटों में से एनडीए के पास 112 और विपक्षी दलों के पास 85 सीटें हैं। दो तिहाई बहुमत के लिए सरकार को कम से कम 164 वोटों की जरूरत है। वहीं अगर हम लोकसभा की बात करें तो एनडीए के पास 545 में से 292 सीटें हैं और इस सदन में दो तिहाई बहुमत का आंकड़ा 364 है। ऐसे में केंद्र सरकार इस विधेयक पर सर्वानुमति बनाने के एक्शन प्लान पर काम कर रही है।
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शिशुपाल कुमार author
पिछले 10 सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम करते हुए खोजी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया के क्षेत्र...और देखें
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